आफताब फारुकी
डेस्क. एक तरफ जहा तेजस्वी यादव ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में 10 लाख बिहार की जनता को नौकरी देने का वायदा किया तो बिहार की सियासत में हडकंप मच गया। इसके बाद उनकी आलोचना शुरू हुई जिसे खुद सुशासन बाबु ने किया और साथ ही प्रदेश के उप मुख्यमंत्री तथा भाजपा नेता सुशील मोदी ने भी जमकर कटाक्ष किया। नितीश ने तो इसको नौसिखिया जैसी निति तक करार दे दिया था। मगर जब तेजस्वी की सभा में उमड़ रहे जनसैलाब में कोई कमी नही आई तो आखिर भाजपा ने नितीश कुमार और सुशील मोदी दोनों को आईना दिखाते हुवे राज्य में कुल 19 लाख को रोगजार देने की बात अपने चुनावी घोषणा पत्र में कर दिया है।
इसके अगले दिन बुधवार (21 अक्टूबर) को उनके सहयोगी उप मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने भी नीतीश कुमार के सुर में सुर मिलाया। मोदी ने ट्वीट कर पूछा, “10 लाख नौकरी देने की ढपोरशंखी घोषणाओं के लिए अतिरिक्त 58 हजार करोड़ कहां से लाएगा विपक्ष? वर्तमान कर्मियों के वेतन में 52,734 करोड़ का व्यय, 10 लाख और बहाली हो तो वेतन पर होगा 1 लाख 11 हजार करोड़ से ज्यादा खर्च।” उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी राजद विकास के सारे काम को बंद करना चाह रहा है।
बीजेपी नेता ने तो यहां तक कहा और सोशल मीडिया पर लंबा-चौड़ा पोस्ट लिखा कि जब विपक्ष वेतन पर ही बजट का अधिकांश भाग खर्च करेगा तो फिर पेंशन, छात्रवृति, साइकिल, पोशाक, मध्यान्ह भोजन, कृषि अनुदान, फसल सहायता, पुल-पुलिया व सड़क निर्माण, बिजली-पानी आदि तमाम योजनाओं के लिए पैसे कहां से लाएगा? उन्होंने लिखा कि बजट का वर्तमान आकार 2,11 761 करोड़ का है। ऐसे में अगर 10 लाख नए रोजगार पर वेतन पर ही 1.11 लाख करोड़ खर्च होगा तो ब्याज चुकाने, पुराने कर्ज का भुगतान करने समेत अन्य खर्चे कहां से आएगा?
इतने पर भी जब भाजपा को लगा कि तेजस्वी का दांव राज्य के युवाओं के सिर चढ़कर बोल रहा है और उनकी जनसभाओं में भारी भीड़ उमड़ रही है तो इसके अगले दिन यानी गुरुवार (22 अक्टूबर) को भाजपा को अपने चुनावी घोषणा पत्र, जिसे वह संकल्प पत्र कहती है, में 19 लाख नौकरियां और रोजगार देने का ऐलान करना पड़ा। हालांकि, भाजपा मात्र चार लाख लोगों को नौकरी और बाक़ी पंद्रह लाख लोगों को रोजगार देने की बात कर रही है जबकि तेजस्वी ने 10 लाख लोगों को सरकारी नौकरी देने का वादा किया है।
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