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हाथरस काण्ड के आरोपियों की कानूनी ज्ञान से भरी चिट्ठी हुई वायरल, अज्ञात मुलाकातों के बाद सामने आई चिट्ठी, बड़ा सवाल किसने दिया इतना कानूनी ज्ञान

तारिक खान

डेस्क. हाथरस प्रकरण में आरोपियों की एक चिट्ठी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इस चिट्ठी में खूब जमकर कानूनी ज्ञान को बघार गया है। बड़ा सवाल उठता है कि आखिर इन आरोपियों को इतने कानूनी ज्ञान किसने उपलब्ध करवाए। वही जेल प्रशासन ने इस चिट्ठी के लीक होने पर खुद का पल्ला झाड लिया है। बताते चले जेल नियमावली के तहत किसी भी बंदी को चिट्ठी लिखने का अधिकार है। मगर उसका सार्वजनिक इस प्रकार से होने कानून गलत है। चिट्टी में बघारे गए कानूनी ज्ञान को देखकर तरह तरह की चर्चाये भी व्याप्त है। ये चिट्टी उस समय सामने आई है जब आरोपियों से अज्ञात मुलाकातियो की तय्दात अचानक बद गई है।

बताते चले कि हाथरस कांड में जेल से जारी चिट्ठी ने कई अहम सवाल खड़े कर दिए हैं, जिनके जवाब खोजना शायद जांच एजेंसियों का हिस्सा बने। अब बड़ा सवाल है कि चिट्ठी का ज्ञान आरोपियों के खुद के दिमाग की उपज है, या किसी अज्ञात ‘मुलाकाती’ ने कानूनी राय लेकर उन्हें यह ज्ञान दिया। चिट्ठी का मजमून कानूनी ज्ञान से ओतप्रोत है और चिट्ठी जेल से जारी होने के चंद घंटों बाद ही लीक हो गई और मीडिया/सोशल मीडिया तक पहुंच गई। फिर यह कैसी गोपनीयता है?

बड़ी शख्सियते पहुची मुलाक़ात को, पर मुलाक़ात नही हुई

वैसे तो कोरोना काल में जेल में बंदियों/कैदियों की मुलाकात बंद है। इसके बावजूद पिछले दिनों हाथरस के भाजपा सांसद, बरौली के भाजपा विधायक और हाथरस के ही हसायन के ब्लाक प्रमुख पति जेल गए थे। हालांकि, जेल से वापसी के बाद खुद उन्होंने हाथरस कांड के आरोपियों से मुलाकात न करना स्वीकारा था। कारागार अधिकारियों ने भी बताया कि सांसद तो किसी से नहीं मिले। विधायक व उनके साथ आए अन्य लोग किसी गंगा सिंह नाम के बंदी से मिले थे। इस तरह इन चारों की किसी से मुलाकात नहीं हुई। मगर, इस बात को बाहर के लोग मानने तो तैयार नहीं। तरह-तरह की बातें कही जा रही हैं, इन मुलाकातों को लेकर। सांसद पर तो कई तरह के आरोप भी लगे हैं।

इन अज्ञात ‘मुलाकातों’ के बाद अचानक चिट्ठी का मामला सामने आ गया। इसे लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। कोई कह रहा है कि यह चिट्ठी बाहर लिखी गई है और फिर अंदर आरोपियों तक पहुंचाई गई है। कोई कह रहा है कि आरोपियों को चिट्ठी का कच्चा मजमून दिया गया है। उसे इन लोगों ने अपनी राइटिंग में लिखकर बाहर भिजवा रहा है। कोई कह रहा है कि इन्हें ‘मुलाकातों’ में ज्ञान दिया गया है। तभी तो इस चिट्ठी में अपराध संख्या से लेकर धारा आदि लिखे गए हैं।

अब देखना होगा कि स्थानीय प्रशासन अथवा अपकमिंग जांच एजेंसिया अथवा इस प्रकरण में बनी एसआईटी इस मामले में जाँच करती है अथवा नही। मगर सवाल कई अनसुलझे अभी तक है कि इस आरोपियों को इतने ज्ञान कहा से आये ? क्या ये उनकी दिमागी उपज है ? या फिर किसी ने उनको इतने ज्ञान दिए है। ये ज्ञान बाहर से आये या अन्दर से ही किसी के द्वारा उपलब्ध करवाये गए।

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