ए जावेद
वाराणसी। प्रतिभा किसी की मोहताज नही होती है। प्रतिभा को खुद को दिखाने का सिर्फ एक अवसर मिलना चाहिये, भले वह मोहल्ले का नुक्कड़ ही क्यों न हो, वह निखर का सामने आती ही है। बिना किसी उस्ताद के सूफी कलाम के ज़रिये अपनी आवाज़ और गायकी का सबको ऐसी ही दो बहनों ने लोहा मनवा दिया जब नई प्रतिभाओं को मौका देने के लिए मशहूर शेर अली यूथ ब्रिगेड के मच से उन्होंने सुफिया कलाम गाया।
हुआ कुछ इस प्रकार की नई प्रतिभाओं को भरपूर प्रोत्साहन देने वाले मंच शेर अली यूथ ब्रिगेड के मंच पर जानी मानी अंजुमने अपने कलाम पेश कर रही थी। तभी इस दरमियान दो बेटियों ने आकर अपने नाम लिखवाए और कहा कि वह भी चंद अशरात पेश करना चाहती है। उनके हौसलों को देखकर मंच की निजामत कर रही टीम ने बकिया बड़ी अन्जुमनो को रोक कर उन दो बहनों को पहले मौका दिया।
हमसे बात करते हुवे दोनों बेटियों में बड़ी शमा ने कहा कि हम केवल सुनकर ही अपनी प्रेक्टिस करते है। आज पहली बार हमने इतनी भीड़ में अपना कलाम पेश किया है। हम दोनों बहने घर में ही खुद की प्रेक्टिस करते है। अल्लाह ने आवाज़ बक्शी है वही रास्ते दिखायेगा। उक्त अवसर पर शेर अली यूथ ब्रिगेड के जूरी ने दोनों बहनों को ढेर सारी दुआओ के साथ उनको स्मृति चिन्ह देकर रुखसत किया।
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