आदिल अहमद
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टलों, ऑनलाइन कॉन्टेंट प्रोवाइडरों को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत लाने की अधिसूचना जारी की है। बता दें कि केंद्र सरकार ने इसके पहले सुप्रीम कोर्ट में एक मामले में वकालत की थी कि ऑनलाइन माध्यमों का नियमन टीवी से ज्यादा जरूरी है। और अब सरकार ने ऑनलाइन माध्यमों से न्यूज़ या कॉन्टेंट देने वाले माध्यमों को मंत्रालय के तहत लाने का कदम उठाया है।
बता दें कि वर्तमान में डिजिटल कंटेंट के नियमन के लिए कोई कानून या फिर स्वायत्त संस्था नहीं है। प्रेस आयोग प्रिंट मीडिया के नियमन, न्यूज चैनलों के लिए न्यूज ब्रॉडकास्टर्स असोसिएशन और एडवर्टाइज़िंग के नियमन के लिए एडवर्टाइज़िंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया है। वहीं, फिल्मों के लिए सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन है।
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने OTT प्लेटफॉर्म्स पर स्वायत्त नियमन की मांग वाली याचिका को लेकर केंद्र की प्रतिक्रिया मांगी थी। शीर्ष अदालत ने इस संबंध में केंद्र सरकार, सूचना व प्रसारण मंत्रालय और मोबाइल असोसिएशन ऑफ इंडिया को नोटिस भेजा था। इस याचिका में कहा गया था कि इन प्लेटफॉर्म्स के चलते फिल्ममेकर्स और आर्टिस्ट्स को सेंसर बोर्ड के डर और सर्टिफिकेशन के बिना अपना कंटेंट रिलीज करने का मौका मिल गया है। बता दें कि OTT प्लेटफॉर्म्स पर न्यूज पोर्टल्स के साथ-साथ Hotstar, Netflix और Amazon Prime Video जैसे स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स भी आते हैं।
मंत्रालय ने अदालत को एक अन्य केस में बताया था कि डिजिटल मीडिया के नियमन की जरूरत है। मंत्रालय ने यह भी कहा था कोर्ट मीडिया में हेट स्पीच को देखते हुए गाइडलाइंस जारी करने से पहले एमिकस के तौर पर एक समिति की नियुक्ति कर सकता है।
पिछले साल सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि सरकार ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगी, जिससे कि मीडिया की स्वतंत्रता पर कोई असर पड़ेगा। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा था कि प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ-साथ फिल्म्स पर जिस तरह का नियमन है, उसी तरह का कुछ नियमन ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म्स पर भी होना चाहिए।
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