तारिक आज़मी
वाराणसी। आतंक का दूसरा नाम बनकर उभरा रोशन गुप्ता उर्फ़ बाबु गुप्ता उर्फ़ किट्टू पुलिस के लिए सरदर्द बनता जा रहा है। रेत की तरह हाथो से फिसल जाने वाले किट्टू गुप्ता पर पुलिस ने इनाम राशी बढ़ा दिया है तो वही ताज़े मामले में पियरी निवासी एक व्यक्ति को कुट्टू ने 15-16 नवम्बर की मध्य रात्रि फिरौती के लिए धमकी दिया है। सुबह होने पर पीड़ित ने पुलिस से शिकायत दर्ज करवाई है। चौक पुलिस को प्राप्त शिकायत में रंगदारी की रकम लाखो बताई गई है। वही पुलिस ने मामला दर्ज कर पीड़ित को सुरक्षा मुहैया करवा कर किट्टू की खोजबीन शुरू कर दिया है।
इस क्रम में देर रात लगभग 2 बजे तक चौक इस्पेक्टर आशुतोष तिवारी के नेतृत्व में काशीपुर चौकी इंचार्ज स्वतंत्र सिंह, एसआई श्रीकांत मौर्या, पियरी चौकी इंचार्ज घनश्याम मिश्रा, दालमंडी चौकी इंचार्ज सौरभ पाण्डेय, एसआई ओमनारायण शुक्ला, एसआई वीरेंदर वर्मा आदि सहित अन्य पुलिस कर्मियों के साथ जमकर किट्टू की संभावित ठिकानों पर छापेमारी किया गया। मगर पुलिस को सफलता हाथ नही लगी है। पुलिस के लिए सरदर्द बन चुके रोशन गुप्ता उर्फ़ किट्टू पर अपनी पकड़ बनाने के लिए चौक इस्पेक्टर के साथ क्षेत्राधिकारी दशाश्वमेघ अवधेश पाण्डेय ने खुद पुरे इलाके में दौरे किये। पैदल गश्त जारी है।
कहा से उभरा रोशन गुप्ता किट्टू
एक समय था जब आतंक का दूसरा नाम शहर और आसपास के लिए सनी सिंह बना हुआ था। जौनपुर जिले के केराकत थाना क्षेत्र के नाऊपुर गांव के निवासी अशोक सिंह उर्फ विजय सिंह टाइगर का पुत्र रोहित सिंह उर्फ सनी सिंह अपराध जगत में एक आतंक का नाम बनकर उभरा था। महज़ 27 साल की उम्र में मारे जाने से पहले इस आया राम, गया राम की जरायम दुनिया में सनी सिंह ने अपना खौफ पैदा कर रखा था। उसके दुर्दांत होने का सबसे बड़ा उदहारण था फूलपुर निवासी पेट्रोल पम्प संचालक और तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के रिश्तेदार अरविन्द सिंह की हत्या। इस हत्या के बाद ही वह पुरे प्रदेश की पुलिस के रडार पर आ गया।
नाउपुर से वैसे तो कई दुर्दांत निकल कर सामने आये है जिसमे सबसे बड़ा नाम बीकेडी है। पुलिस सूत्रों की माने तो बीकेडी का पूरा बचपन और जवानी नाऊपुर में ही गुजरी है। बहरहाल, नाऊपुर से निकल कर सूत्रों की माने तो सनी सिह ने अपना अड्डा वाराणसी का पियरी और आसपास का इलाका बनाया था। सनी सिह तो एनकाउंटर में मारा गया मगर अपना गैंग छोड़ कर गया। वही क्षेत्र के कुछ युवक सनी सिंह के राह पर चलने को आतुर हो गया। सनी सिंह के मरने के बाद गैंग लोगो को लगा ठंडा हो गया। मगर सनी सिंह का एक चेला जेल में बैठ कर खुद के बाहर निकलने का इंतज़ार देख रहा था। वो चेला था रोशन गुप्ता उर्फ़ किट्टू उर्फ़ बाबु।
पियरी निवासी बाबू गुप्ता उर्फ़ किट्टू जेल से बाहर आते ही गैंग की कमान खुद संभाल लेता है। मगर गैंग कमज़ोर हो चुका था। गैंग लीडर के मरने के बाद हमेशा रहा है कि गैंग कमज़ोर हुआ है। दिल-ओ-दिमाग में मुन्ना बजरंगी जैसा सुपारी किलर बनने की तमन्ना पाले किट्टू ने जेल से निकलने के बाद गैंग को लीड करना शुरू कर दिया। कमज़ोर पड़ चुके गैंग को दुबारा संजीवनी देने के लिए किट्टू को एक बड़े नामा की ज़रूरत थी। शुरू से ही मनबढ़ किस्म का इंसान रहा किट्टू रईस बनारसी जैसे अपराधी की शरण हासिल कर बैठा। इस दरमियान रईस बनारसी और राकेश अग्रहरी आपसी मुठभेड़ में मारे जाते है। जिसमे रोशन गुप्ता उर्फ़ किट्टू का भी नाम सामने आया था। पुलिस सूत्रों की माने तो 2017 में अपनी गिरफ़्तारी के बाद किट्टू ने खुद अपना जरायम कबुल करते हुवे पुलिस को पूरी कहानी बताई थी।
क्या है आईडी 30 और कौन कौन है गैंग में
आईडी 30 गैंग पुलिस द्वारा चिन्हित और पंजीकृत अंतर जनपदीय गैंग है। इस गैंग का मुख्य काम सुपारी, लूट, हत्या, रंगदारी जैसे जरायम है। इसके निशाने पर शहर के चिकित्सक, बड़े कारोबारी, बिल्डर रहते है। गैंग के अधिकतर सदस्य फरारी पर है। कुख्यात अजय-विजय गैंग से इसको संरक्षण वर्त्तमान में प्राप्त है। इस गैंग में अभिषेक सिंह हनी, अशोक यादव, रामबाबू यादव, शिवा बिंद, मनीष सिंह सोनू मुख्य सदस्य है। सूत्र बताते है कि किट्टू का सबसे करीबी सोनू सिंह है। गैंग के सञ्चालन में सोनू सिंह और किट्टू की ही चलती है। वही गोपनीय सूत्रों की माने तो इस गैंग में अमन मलिक जैसे अपराधी भी है।
कहा से शुरू हुआ किट्टू का अपराधिक सफ़र
महज़ खेलने खाने की उम्र में ही किट्टू ने जरायम की दुनिया में कदम रख दिया था। जरायम की आया राम, गया राम की इस दुनिया में किट्टू काफी लम्बी पारी खेल चूका है। इसका अपराधिक सफ़र वर्ष 2012 में शुरू हुआ जब गाजीपुर जनपद के सैदपुर में हुई हत्या में इसका नाम सामने आया। इसी वर्ष गाजीपुर जनपद में हत्या, हत्या के प्रयास जैसे गंभीर कुल 5 मामलो में किट्टू का नाम सामने आया। जिसमे सैदपुर, सआदत, करंडा में इसके ऊपर मुक़दमे नामज़द दर्ज हुआ।
वर्ष 2013 में इसका नाम पहली बार वाराणसी जनपद में जरायम की दुनिया में सामने आया और फूलपुर तथा सिगरा में इसके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। इसके बाद वर्ष 2014 वाराणसी जनपद के अलग अलग थानों में कुल 4 मामलो में इसका नाम आया। जिसके बाद इसकी गिरफ़्तारी होती है। मगर तब तक किट्टू आतंक का दूसरा नाम बन जाता है। वर्ष 2017 में हाई कोर्ट से इसकी ज़मानत होती है और ये रईस बनारसी के शरण में चला जाता है। वर्ष 2019 में इसके एक अन्य साथ हनुमान सहित क्राइम ब्रांच गिरफ्तार करती है। जिसके बाद हनुमान और ये दोनों ज़मानत पर बाहर आते है। पहले ज़मानत हनुमान की होती है।
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