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कानपुर – पुलिस न कर सके ट्रेस, गाडी पर इस अख़बार के नाम सहित लिखते थे ये लुटेरे प्रेस, जाने वो खबर जिसे आपका पसंदीदा अख़बार ने भी नही बताया, देखे घटना के समय का फुटेज

आदिल अहमद

कानपुर। पुलिस ने मोहम्मद इरफ़ान उर्फ़ इरफ़ान चाचा के साथ कुख्यात अपराधी गोविन्द गुप्ता को गिरफ्तार कर लूट के बहुचर्चित मामले का कल खुलास कर डाला। पुलिस ने बढ़िया प्रयास किया और गीतानगर से दोनों कुख्यात लुटरे गिरफ्तार किये गए।

 

गिरफ़्तारी करने वाली पुलिस टीम में थाना प्रभारी काकादेव रणबहादुर सिंह, मणिभूषण शुक्ला, कमलेश पटेल, श्यामशंकर, हे0का0 पवन कुमार, का0 धर्मेन्द्र तिवारी और अरविन्द गुप्ता उपस्थित रहे। पुलिस ने घटना में प्रयुक्त दोनों बाइक सहित दोनों की जामातलाशी में कुल 9 अदद मोबाइल फोन और एक कट्टा मय कारतूस बरामद किया है।

घटना के समय का सीसीटीवी फुटेज

गिरफ्तार अभियुक्तों में इरफ़ान उर्फ़ इरफ़ान चाचा का नाम भले चाचा हो और उसके ऊपर मात्र 3 मुक़दमे दर्ज है। मगर गोविन्द गुप्ता अपराध में पीएचडी कर चूका है। उसके ऊपर कुल 8 अपराधिक मामले गंभीर धाराओ में दर्ज है। कई बार जेल का मेहमान रह चूका गोविन्द इस गैंग का मास्टर माइंड और मुखिया बताया जाता है। इस बात की जानकारी पुलिस सूत्रों से मिली मगर पुलिस ने घटना के खुलासे में इसका ज़िक्र नही किया है।

क्या है मुख्य बात जो है पर्दे के पीछे

ये है वो नार्मल खबर जिसको हर एक अखबार को अपने यहाँ जगह देनी चाहिये। वैसे आज मैं कानपुर के आज छपे रोज़नामो को सरसरी तौर पर देख रहा था। मगर ये खबर मुझको रनिंग क्राइम स्टोरी के तौर पर भी नही दिखाई दी। लगता नही शायद किसी अख़बार ने इसको अपने यहाँ जगह दिया होगा। खबर अमूमन अख़बार में छोटी ही सही सुर्खिया बटोर जाती है।

शायद हो सकता है त्यौहार के सीज़न में इस खबर पर जगह की कमी पड़ी हो। मगर हम खबर में जगह की कमी का ज़िक्र करने आपसे नही आये है। हम इस खबर में बड़े रोचक पहलू को आपके सामने रखने आये है ताकि आप सतर्क रहे। इस लूट की घटना के बाद पुलिस को घटना स्थल से सीसीटीवी फुटेज बरामद हुआ था। पुलिस के भी शायद समझ में नहीं आया होगा कि प्रेस नोट में इस मामले का ज़िक्र करे अथवा नही करे। फुटेज को देखकर ये ज़ाहिर हुआ कि घटना में प्रयुक्त बाइक पर कानपुर के एक स्थानीय अख़बार का लोगो सहित नाम लिखा हुआ है और ऊपर बड़े अक्षरों में प्रेस लिखा हुआ है।

गिरफ़्तारी में जब पुलिस ने बाइक बरामद किया तो बाइक से उस लोगो को हटाया नही गया था। बाइक पर उस अख़बार का लोगो शान से छपा हुआ था। पूरा नाम भी लिखा था और ऊपर प्रेस भी लिखा था। बाइक पर इतना बड़ा बड़ा अखबार का नामा लिखा था कि उसका वाईज़र ही पूरा ढक गया था। ऊपर प्रेस अलग से लिखा था ताकि दूर से समझ आ जाए कि जा रहे युवक पत्रकार है। वो तो पुलिस को गिरफ़्तारी के बाद समझ आया कि दोनों पत्रकार नही पतलकाल है। अब पतलकाल शाब पकडे गए लूट में तो अचम्भा कई लोगो को हुआ।

सबसे अचम्भे की बात ये है कि जिस गीतानगर से ये बाइक चालक अपराधी पकडे गए है उसी गीतानगर में इस अख़बार का दफ्तर भी है। बाइक जिस अपराधी की बताया जा रहा है वह उन्नाव का रहने वाला है। अब सवाल ये उठता है कि अख़बार के लोग क्या कर रहे थे। किसी अपराधी की मजाल कैसे हो गई कि उस अख़बार का नाम प्रयोग में लाये।

बहरहाल, पुलिस ने गोविन्द के पास से कोई प्रेस कार्ड बरामद नही किया है। वही अपराध का पुराना इतिहास रखने वाले गोविन्द और उसके साथी को पुलिस ने मीडिया के सामने पेश करते हुवे लूट की घटना का सफल अनावरण कर डाला। आपका पसंदीदा अख़बार शायद इस खबर को त्योहारों के विज्ञापन के बीच काट दिए होगा। और करे भी क्यों न, आखिर कौन सी इतनी बड़ी खबर है। जब अपराधियों को पुलिस की वर्दी से लेकर मेलेट्री की वर्दी तक मिल जाती है तो फिर प्रेस कार्ड अथवा प्रेस स्टीकर तो आराम से हर शहर में कुछ सिक्को का उपलब्ध है।

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