तारिक आज़मी
वाराणसी। वाराणसी के चौक थाना क्षेत्र के एक कारोबारी से रंगदारी का मामला प्रकास में आते ही पुलिस सक्रिय हो गई है। चौक पुलिस को मिली तहरीर में व्यवसाई ने अज्ञात के खिलाफ तहरीर दिया था जिस तत्काल कार्यवाही करते हुवे व्यवसाई को सुरक्षा मुहैया करवाते हुवे ऍफ़आईआर दर्ज हुई। इसके बाद घटना से सम्बंधित सीसीटीवी फुटेज चौक पुलिस ने तत्काल खंगाला। पुलिस की तत्परता ही रही कि महज़ घंटे भर के अन्दर अज्ञात की शिनाख्त चौक पुलिस ने कर डाली।
कौन है शातिर अपराधी किट्टू
बड़ी पियरी के सीके 65/189 के निवासी राम निवास गुप्ता ने अपने बेटे को बचपन से ही मुहब्बत में बाबू कहना शुरू किया था। परिवार ने उसको नाम दिया था रोशन। शायद परिवार को उस रोशन से पुरे कुनबे का नाम रोशन होने की तमन्ना थी। मगर शुरू से ही मनबढ़ किस्म का रोशन कब बाबू से किट्टू बन गया किसी को पता ही नहीं चला। वर्ष 2012 में सबसे पहले सैदपुर में एक हत्या के प्रयास मामले में किट्टू का नाम सामने आया और पुलिस के रजिस्टर और डायरी में ये नाम चढ़ा रोशन गुप्ता उर्फ़ बाबु उर्फ़ किट्टू। आया राम गया राम की दुनिया में रोशन गुप्ता अब तक 8 साल गुज़ार चूका है।
अपराध जगत में वह पहले सनी सिंह के साथ काम करता था। सनी सिंह के डी30 गैंग का सक्रिय सदस्य रोशन गुप्ता सनी सिंह के एनकाउंटर के बाद से खुद उस गैंग को लीड करने की कोशिश करने लगा। इस दरमियान उसने रईस बनारसी का साथ पकड़ लिया। रईस बनारसी और राकेश अग्रहरी के बीच हुई गैंगवार में रोशन भी शामिल था। पुलिस सूत्रों की माने तो रोशन ने भी उस गैंगवार में हिस्सा लिया था जिसका खुलास उसने खुद 2019 में अपनी नारायण सहित गिरफ़्तारी में किया था।
रईस के गुर्गे ही देना चाहते है रईस की जगह किट्टू को
किट्टू ने अपराध जगत में रईस और सनी सिंह दोनों के लिए काम किया था। रईस और सनी सिंह के अवैध आमदनी का सबसे बड़ा जरिया रंगदारी था। उनके निशाने पर चिकित्सक और बिल्डर्स हुआ करते थे। रोशन गुप्ता तो उन बिल्डर्स के बीच अपनी पकड़ बनाने की बेचैनी थी। उसने भी चिकित्सको और बिल्डर्स से रंगदारी मांगना शुरू कर दिया। बस उसको साथ की ज़रूरत थी।
सूत्रों की माने तो ये साथ भी जल्द पूरा हो गया जब रईस के गुर्गे जिनकी आमदनी रईस के मारे जाने के बाद बंद हो चुकी थी ने रोशन को रईस की जगह देने का सपना बन डाला। वही गाजीपुर जेल में कैद के दरमियान शहर के एक अन्य कुख्यात से उसकी संगत हो गई। उस कुख्यात की तो ज़मानत नही हुई मगर किट्टू के चाहने वालो ने उसकी ज़मानत करवा डाली। ज़मानत पर बाहर आने के बाद से किट्टू सक्रिय होना शुरू कर दिया। इस दरमियान एक हत्या के केस में जैतपुरा पुलिस ने भी उसकी तलाश शुरू कर दिया। एक हत्या केस में भी किट्टू का नाम सामने आया है। सूत्रों की माने तो वही दूसरी तरफ जेल में बंद शहर के एक अन्य कुख्यात के गुर्गो ने किट्टू को संरक्षण देना शुरू कर दिया।
वही दूसरी तरफ सूत्र बताते है कि सफेदपोश भी खुद का बल इकठ्ठा करने के लिए किट्टू को संरक्षण दे रहे है। रईस के गुर्गे और मौका परस्त बिल्डिंग लाइन में मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर में विवादो से भरी संपत्तियों का कॉन्ट्रैक्ट भी इसी बल पर उठा बैठे है। रईस के जिंदा रहते मोटा मुनाफा कमाने वालो ने भी इसका उपयोग करने का मन बना लिया है। सूत्र बताते है कि किट्टू इस इलाके में खुद का सिक्का सनी सिंह और रईस बनारसी जैसा चलाना चाहता है। उसको जो दरकार थी वह मिलती दिखाई दे रही है।
दूसरी तरफ पुलिस सूत्रों की माने तो कुख्यात गैंग अजय-विजय के संपर्क में रहकर सुपारी किलिंग के काम को भी ये गैंग अंजाम दे रहा है। जिसका एक बड़ा साक्ष्य वह केस है जिसमे जैतपुरा पुलिस को इसकी सरगर्मी से तलाश है। दो दर्जन से अधिक मामले लेकर अपने सर पर चलने वाला किट्टू वाराणसी पुलिस के लिए सरदर्द बना हुआ है। पुलिस सूत्रों के अनुसार पुलिस इसके घर जब भी दबिश डालती है तो इसके घर में एक बुज़ुर्ग महिला ही रहती है। जिसका एक ही बयान है कि वह काफी अरसे से घर नही आया है। अब वाराणसी पुलिस इसके ज़मानतदारो और संरक्षण दाताओं पर अपना शिकंजा कसना शुरू कर डाला है। देखा होगा कि कानून के लम्बे हाथ कब तक इसको अपनी गिरफ्त में ले पाते है। क्रमशः….
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