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किसान आन्दोलन – चिल्ला बॉर्डर पर रास्ता खोलने के फैसले को लेकर भाकियू (भानु गुट) में हुआ दो फाड़, राष्ट्रीय अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ प्रदेश अध्यक्ष का आमरण अनशन

आदिल अहमद

नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के खिलाफ 18 दिनों से आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के बीच अब दरार दिखने लगी है। नोएडा-दिल्ली बार्डर पर बीते 12 दिनों से सड़क बंद कर धरने पर बैठे भारतीय किसान यूनियन (भानु) में आंतरिक कलह बेपर्दा हो गया। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह के रास्ता खोलने के फैसले के खिलाफ संगठन के प्रदेश अध्यक्ष योगेश प्रताप खड़े हो गए। उन्होंने न सिर्फ रास्ता खोलने का विरोध किया, बल्कि वे आमरण अनशन पर बैठ गए। उन्होंने कहा कि अब वे मर कर ही उठेंगे। वही बीकेयू (भानु) के दो वरिष्ठ पदाधिकारियों ने फैसले आहत हो कर इसे किसानो कौम के खिलाफ गद्दारी मानते हुए इस्तीफ़ा दे दिया है।

हुआ कुछ इस तरह कि भाकियू भानु गुट के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात के बाद नोयडा से दिल्ली जाने वाले रास्ते के चिल्ला बॉर्डर को खोलने का निर्णय लिया। किसान आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे भारतीय किसान यूनियन भानु गुट में इसको लेकर तीखे मतभेद उभर कर सामने आ गए। जब नोएडा से दिल्ली को जाने वाले चिल्ला बॉर्डर खोलने को लेकर भानु गुट में दो फाड़ हो गए।

भाकियू (भानु गुट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह का यह फैसला संगठन के प्रदेश अध्यक्ष योगेश प्रताप को रास नहीं आया और उन्होंने अपने ही अध्यक्ष के सामने मोर्चा खोल दिया। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आंदोलनरत किसानों के साथ चिल्ला बार्डर पर रास्ता खोला तो संगठन के प्रदेश अध्यक्ष ने इस फैसले के खिलाफ अनशन शुरू कर दिया। संगठन के राष्ट्रीय महासचिव और प्रवक्ता ने इस्तीफा दे दिया।  योगेश प्रताप रविवार की सुबह आमरण अनशन पर बैठ गए। मौके पर ही पूजा पाठ भी शुरू हो गया। बातचीत में योगेश प्रताप ने कहा कि अगर नए कृषि कानून को वापस नहीं लिया गया तो यहां से वह मर कर ही उठेंगे।

जबकि बीकेयू (भानु) के राष्ट्रीय महासचिव महेंद्र सिंह चौरोली और राष्ट्रीय प्रवक्ता सतीश चौधरी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्णय से आहत हो इसे किसानो कौम के खिलाफ गद्दारी मानते हुए इस्तीफ़ा दे दिया है। गौरतलब है कि नोएडा से दिल्ली बॉर्डर केवल एकमात्र विकल्प रह गया था। रविवार को ही राजस्थान से किसानों को दिल्ली आने से रोकने के लिए दिल्ली-जयपुर बॉर्डर को बंद कर दिया गया था। दिल्ली-यूपी के बीच चिल्ला बॉर्डर को किसानों ने 14 दिन से बंद कर रखा था।

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