तारिक़ खान
नई दिल्ली: किसान आंदोलन के 19 दिनों बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला है। हालांकि किसानों का कारवां सिंघु बॉर्डर पर एक शहर की शक्ल ले चुका है। सिंघु बॉर्डर से करीब 7-8 किलोमीटर तक किसानों का रेला नजर आता है। ट्रक, ट्रैक्टर-ट्रालियों के अलावा किसान तंबू गाड़े किसान लंबी लड़ाई के लिए दमखम दिख रहे हैं। वहीं दिल्ली-जयपुर हाईवे पर बावल के पास धरनारत किसानों को पुलिस ने जबरन हटा दिया। पुलिस ने ट्रैक्टरों की चाभियां छीन लीं। हालांकि किसान वहीं सड़क किनारे धरने पर बैठ गए। किसानो का आरोप है कि उन पर इस दरमियान लाठी चार्ज भी हुआ है और 15 किसानों को हिरासत में लिया गया है।
किसान नेता बूटा सिंह ने एक खबरिया चैनल से बात करते हुवे कहा है कि इस किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए सरकार हर तरह का हथकंडा अपना रही है। कभी आतंकी कहती है, कभी नक्सल कहती है, कभी पाकिस्तान तो कभी चीन की बात करती है। हमें लोगों का समर्थन है। सरकार की कोशिश फूट डालो है, लेकिन किसान डटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार कानून वापस नही लेती है तब तक आंदोलन जारी रहेगा। अब आंदोलन और तेजी पकड़ेगा। केंद्र सरकार कैसे कृषि पर कानून बना सकती है। ये राज्य का मामला है। सरकार को कानून वापस लेना होगा। नहीं लेने तक आंदोलन जारी रहेगा। हमने छह महीने एक साल का राशन लेकर आये है जब तक कानून वापस नही होगा तब तक नही जाएंगे।
किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा ने कहा कि अब सरकार को ही कुछ करना है किसान को नहीं। जब तक सरकार कृषि कानून वापस नही लेती है, उनका आंदोलन जारी रहेगा। सरकार किसानों के धैर्य की परीक्षा न ले। पहले किसानों को पाकिस्तानी कहा, फिर कहा कि चीन इस आंदोलन को चला रही है और अब कह रहे हैं कि नक्सली कह रहे हैं। हम अपना शांतिपूर्वक आंदोलन जारी रखेंगे।
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