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अपराध जगत का खुद को समझता था शेर, पुलिस एनकाउंटर में हुआ खौफ का दूसरा नाम गिरधारी लोहार ढेर, देखे तस्वीरे

मुकेश यादव/ संजय ठाकुर

लखनऊ। उसके नाम में ही खौफ था। वो दहशत का दूसरा नाम था। एक लाख के इनाम के बावजूद उत्तर प्रदेश पुलिस और एसटीऍफ़ उसको गिरफ्तार नही कर पाई थी। दिनदहाड़े दुस्साहसिक हत्या कर देना उसका शौक था। वो चाहे नितेश सिंह बबलू की दिनदहाड़े वाराणसी तहसील परिसर में हत्या हो अथवा फिर लखनऊ सरज़मीन पर पूर्व ब्लाक प्रमुख तथा बाहुबली अजीत सिंह की हत्या हो। अपराध जगत में उसके नाम का डंका था। इसी डंके के साथ गिरधारी उर्फ़ डाक्टर उर्फ़ गिरधारी लोहार आज लखनऊ में पुलिस मुठभेड़ में ढेर हो गया।

घायल एसआई उस्मानी

एनकाउंटर के सम्बन्ध में मिली जानकारी के अनुसार आज सोमवार अहले सुबह गिरधारी लोहार उर्फ डॉक्टर को लेकर पुलिस अजीत सिंह हत्या में प्रयुक्त असलहा बरामदगी के लिए सहारा हॉस्पिटल के पीछे खरगापुर क्रॉसिंग के पास पहुंची। जैसे ही गाड़ी रुकी और लोग सीट से उतरे और उप निरीक्षक अख्तर उस्मानी अपने साइड से अभियुक्त को उतार रहे थे, तभी आरोपी गिरधारी ने इंस्पेक्टर उस्मानी की नाक पर अपने सिर से हमला कर दिया। इससे अख्तर उस्मानी गिर गए और गिरधारी उनकी पिस्टल लेकर भागने लगा जिसका पीछा वरिष्ठ उप निरीक्षक अनिल सिंह द्वारा किया गया।

पुलिस की गोली से मृत गिरधारी लोहार

खुद के भागने के मकसद में कामयाबी में रोड़ा बनी पुलिस हमला बोल दिया और पुलिस टीम पर गिरधारी ने फायरिंग शुरू कर दिया। गिरधारी पुलिस पर फायर करता हुआ झाड़ियों में भाग गया। इसकी सूचना ब्रैवो कंट्रोल रूम व 112 पर दी गई, जिसके बाद पुलिस उपायुक्त पूर्वी वहां आ पहुंचे। इसके बाद पुलिस वालों ने झाड़ियों को चारों तरफ से घेर लिया और गिरधारी को आत्मसमर्पण की चेतावनी देने लगे। हालांकि उसने एक बात न सुनी और छीनी हुई पिस्टल से बार-बार फायर करता रहा। जवाबी कार्रवाई में उसे पुलिस की एक गोली लग गई और वह चिल्लाता हुआ गिर गया।

गिरधारी के चिल्लाने की आवाज़ सुनकर पुलिस ने जब पास जाकर देखा गया तो उसकी सांसे चल रही थीं, पुलिस टीम के द्वारा तत्काल सरकारी गाड़ी द्वारा राम मनोहर लोहिया  इमरजेंसी में भेजा गया लेकिन इलाज के दौरान गिरधारी की मृत्यु हो गई। जानकारी के अनुसार गिरधारी पुलिस रिमांड में था और पुलिस उससे पूछताछ कर रही थी और आज उसकी रिमांड खत्म होने वाली थी।

गिरधारी के मौत के बाद से कई राज़ अब राज़ ही रह जायेगे। कैसे गिरधारी अजीत सिंह हत्याकांड के बाद लखनऊ से भाग कर दिल्ली गया और कैसे वह पकड़ा गया। कैसे गिरधारी वाराणसी के तहसील परिसर में नितेश सिंह हत्याकाण्ड में भागा और कहा छुपा। सभी राज़ अब शायद राज़ ही रह गए। मगर गिरधारी लोहार के मौत के बाद एक तरफ जहा अपराध जगत में मायूसी देखा जा रहा है वही दूसरी तरफ आम जन ने राहत की सास लिया है। गिरधारी अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह भले रहा हो मगर मौत ने उसको भी आया राम गया राम की दुनिया से अलविदा कर दिया।

अजीत सिंह हत्याकांड के मुख्य शूटर गिरधारी उर्फ डॉक्टर से रिमांड के दूसरे दिन यानी 14 फरवरी को भी पूछताछ की गई थी। इस दौरान उसने वारदात में प्रयुक्त मोबाइल अलकनंदा अपार्टमेंट से अंकुर के किराए के फ्लैट से पुलिस को बरामद कराए। गिरधारी के मोबाइल में फरार शूटरों के मोबाइल नंबर भी मिले हैं। इसके आधार पर पुलिस उनके पुराने रिकॉर्ड खंगाल रही है। पुलिस ने मोबाइल को फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है।

कठौता चौराहे पर 6 जनवरी की रात को छह शूटरों ने मऊ के मुहम्मदाबाद गोहना के पूर्व ज्येष्ठ प्रमुख अजीत सिंह की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी थी। इस मामले में आजमगढ़ के कुंटू सिंह व अखंड सिंह के अलावा गिरधारी के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया गया था।

पुलिस ने सबसे पहले तीन मददगारों को दबोचा। इसके बाद शूटर संदीप सिंह बाबा को गिरफ्तार कर रिमांड पर लिया। वहीं कुंटू सिंह व अखंड सिंह की भी पुलिस ने रिमांड ली जिसमें कई राज सामने आए। पुलिस ने 16 फरवरी तक की रिमांड सीजेएम कोर्ट से ली है। रिमांड के दूसरे दिन रविवार को उससे पूछताछ की गई। इस दौरान शूटरों के संबंध में कई सवाल किए गए।

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