ए जावेद
वाराणसी। बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच अचानक दवाओं और आक्सीज़न की मांग बढ़ने लगी है। लोग पैनिक हो रहे है। सोशल साइट्स पर लोग एक दुसरे से सहायता मांग रहे है। लोग अलग अलग ग्रुप में सहायता मांग रहे है। आक्सीज़न की मांग कर रहे है। ग्रुप्स में लोग उनको अलग अलग नंबर ऐसे उपलब्ध करवा रहे है जहा से उन्हें न सुनने को मिल रहा है। साथ ही साथ उन्हें सलाह दिया जाने लगा है। कोई कह रहा है ये करो, कोई कह रहा है वो करो। कोई सरकार को बुरा भला कह रहा है, तो कोई सिस्टम को कोस रहा है।
नहीं है आक्सीज़न की शार्टेज
शहर में आक्सीज़न की शार्टेज नही है। भरपूर मात्रा में आक्सीज़न उपलब्ध है। सभी रिफिल सेंटर पर भरपूर मात्रा में आक्सीज़न उपलब्ध है। रोज़ ही आने वाले सिलेंडर को भरा जा रहा है। कोई ओवर रेटिंग नही हो रही है। हाँ ये ज़रूर है कि मांग बढ़ने से रिफिल सेंटर में थोडा भीड़ दिखाई दे रही है। जिसके वजह से लोगो को इसकी सप्लाई में दिक्कत समझ आ रही है।
क्यों दिखाई दे रही है किल्लत
दरअसल आक्सीज़न की किल्लत एकदम शहर बनारस में नहीं है। ये किल्लत सिर्फ सिलेंडर की सामने है। हुआ कुछ इस प्रकार है कि छोटे छोटे नर्सिंग होम और अन्य चिकित्सकीय सुविधा प्रदान करने वाले क्लिनिक अपनी इमरजेंसी के लिए सिलेंडर मंगवा कर रखे है। ये उनकी अपनी खुद की व्यक्तिगत संपत्ति है। इसके ऊपर किसी प्रकार की कोई आपत्ति किसी को नहीं हो सकती है। इसके साथ सबसे बड़ी समस्या यहा उत्पन्न हुई कि कोरोना काल में बढ़ते कोरोना केसेस में छोटे नर्सिंग होम और अन्य क्लिनिक खुद की और समाज की सुरक्षा हेतु बंद हो चुकी है। इस कारण जो सिलेंडर रोट्रेट होता था वह हो नही रहा है।
आक्सीज़न सप्लाई करने वाले संस्थान के पास रोट्रेशन वाले सिलेंडर ही है। वह सिलेंडर मांग के अनुरूप लोगो को दिए जा चुके है। जिन्हें एक सिलेंडर की आवश्यकता है वह भी इमरजेंसी के डर से दो सिलेंडर रखे हुवे है। इस कारण से जो सिलेंडर दो लोगो की आवश्यकता की पूर्ति कर सकता है वह एक की ही आवश्यकता की पूर्ति कर पा रहा है। सिलेंडर की शोर्टेज दिखाई दे रही है और आम जनता को लगता है कि आक्सीज़न की शार्टेज है।
एक सलाह – क्या प्रशासन ऐसा नही कर सकता है ?
जिला प्रशासन चाहे तो इस समस्या का निदान आसानी से साथ कर सकता है। बंद पड़े नर्सिंग होम और अस्पतालों और ट्रस्ट के अस्पतालों में रखे हुवे आक्सीज़न सिलेंडर को अपने अधीन लेकर ब्लड बैंक की तरह नगर निगम ज़ोन के अनुसार एक अस्थाई आक्सीजन सिलेंडर बैंक की स्थापना कर डाले और इसका सञ्चालन किसी स्वयं सेवी संस्थाओ को दे दे। इस बैंक से एक फायदा होगा कि एक ही जगह से लोगो को आशा रहेगी कि उन्हें आक्सीज़न सिलेंडर मिल जायेगा। जैसे ही महामारी से कुछ निजात मिलती है उन आक्सीज़न सिलेंडर को उनके असली मालिको के हवाले कर दिया जाए। ऐसे वाजिब दाम पर सुनिश्चित जगह से लोगो को आक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध हो जायेगा।
सामने आये समाज सेवक
आक्सीज़न की इस आवश्यकता को देखते हुवे कुछ समाज सेवक भी सामने आकर समाज सेवा के तहत निःशुल्क बिना किसी लालच के लोगो की सेवा में जुड़ गए है। ऐसे ही एक दुबे जी है गोदौलिया के रहने वाले। वह अपने सिमित संसाधनों से लोगो की सेवा में जुटे हुवे है। दुबे जी ने अपने नम्बर भी सोशल मीडिया पर जारी करके सहायता का वायदा किया है। उन्होंने कहा है कि किसी को आक्सीज़न की आवश्यकता हो तो वह उनसे संपर्क करे वह उनकी तत्काल सहायता के लिए सतत प्रयत्नशील रहेगे। उन्होंने अपने मोबाइल नम्बर 9454343990 जारी करते हुवे काशी की जनता से अपील किया है कि यदि किसी के पास खाली आक्सीज़न सिलेंडर हो तो वह हमको प्रदान करे जिससे हम इस महामारी में लोगो की मदद कर सके। जैसे ही समाज में सब कुछ नार्मल होगा उनका सिलेंडर उनके आवास तक वापस पंहुचा दिया जायेगा।
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