ए जावेद/ साजिद खान
वाराणसी। वाराणसी में इस वैश्विक महामारी कोरोना से जूझती इन्सानियत के लिए एक फ़रिश्ते के तरफ सामने एक शख्स आया है जिसका नाम है मनीष टंडन। एचडीऍफ़सी बैंक के सर्किल हेड के पद पर पोस्टेड मनीष टंडन ने इस एक सप्ताह के दरमियान कई ज़रुरतमंद लोगो की मदद किया है। एक स्मार्ट, हैण्डसम और डैशिंग जिस्मानी शख्सियत के साथ मनीष टंडन के दिल में इन्सानियत का जज्बा भी है। दिल में खिदमत-ए-खल्क का जज्बा वैसे तो वरासत में मिला है। मगर विगत कई वर्षो से दबे हाथो उनकी आम जनता के लिए सेवा काबिल-ए-तारीफ है।
अभी विगत मार्च माह में मनीष टंडन के पहल पर एचडीएफसी बैंक ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, काशी हिंदू विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शोध अनुसंधान और स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए अपने प्रयासों की कड़ी को एक कदम और आगे बढ़ाते हुए 50 लाख रुपये का अनुदान इन्क्यूबेशन सेंटर को दिया था। जिस धनराशि का उपयोग नए स्टार्टअप जिनकी शुरुवात और संरक्षण इन्क्यूबेशन सेंटर के द्वारा किया जा रहा है। उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाएगा।
मनीष ने उदहारण देते हुवे कहा कि अगर आप पौधारोपण का कार्य कर रहे है तो कोई ज़रूरी नही कि बहुत से पौधे आप लगा डाले। आप जितने भी पौधे लगाते है उसका ख्याल रखे। उनकी देखभाल करे। कम से कम तब तक उनकी देखभाल करे जब तक वह खुद से अपनी देखभाल करने लायक नही हो जाते है। ऐसा न हो कि आप पौधे तो लगाते जाए मगर उनका कोई फायदा न हो। इसी तरह ध्यान दे कि आपके द्वारा किसी को की गई सहायता उस तक पहुच रही है या नही। कही ऐसा तो नहीं कि ज़रुरतमंद तक सहायता नही पहुच रही।
मनीष ने कहा कि केवल मैं ही नहीं बल्कि मेरी पूरी टीम सेवा का अवसर तलाशती है। हम अपनी टीम को इस सेवा एक अवसर तलाशने के लिए प्रोत्साहित भी करते है। वो सेवा भले समाज की हो अथवा हमारे बैंक के ग्राहक की हो। हमारा उद्देश्य दिखावे पर न जाकर केवल अपना कर्त्तव्य पूरा करना है। समाज के प्रति अपने दायित्वों की पूर्ति करना है।
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