तारिक़ आज़मी
शहर बनारस अपनी सुबह के लिए मशहूर है। आज शहर बनारस कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलो के बीच शहर के हर एक इलाके में वैसे तो खौफ का माहोल है। मगर कहा जाता है लोग समझते नही है। अभी भी आपको सडको पर टहलते ऐसे लोग मिल जायेगे जिनको मास्क लगाने के लिए पुलिस की वर्दी दिखाई देने की ज़रूरत है। बेशक उनके लिए मास्क सिर्फ उसी वक्त ज़रूरी है जब वो पुलिस को देख ले रहे है। उसके बाद उनको मास्क ज़रूरी नही है। खुद को सुपर हीरो समझने वाले ऐसे लोग अपने को शायद सुपर पॉवर का इंसान समझते है।
हम आज ज़मीनी हकीकत को देखने शहर में निकल पड़े। खुद के अन्दर भी खौफ था कि मालूम नही कौन कोरोना संक्रमित मिल जायेगा। आपने मुक्तिधाम यानी शमशान घाट पर ठंडी न होने वाली चिता के सम्बन्ध में काफी कुछ पढ़ लिया है। हकीकत ये है कि इनमे कोरोना प्रोटोकाल के तहत अंतिम संस्कार होने के मामलो से कई गुना ज्यादा मामले दुसरे मौतों से सम्बन्धित है। हकीकत से रूबरू रहे आप कि सरकार अथवा सरकारी तंत्र अन्तर्यामी नही है जो हर एक घर के अन्दर होती मौतों का आकडा इकठ्ठा कर पाए कि उनकी मौत किस वजह से हुई। बेशक ऐसे भी मौते हो रही है जो संक्रमित नही थे। मगर उन मौतों से भी इनकार नही किया जा सकता जिनकी मौत बिना जानकारी के कोरोना संक्रमित होने पर हुई है।
झोला छाप डाक्टरों की हुई मौज
ऐसे में झोला छाप डाक्टरों की तो लाटरी निकल पड़ी है। कुछ ऐसे भी डाक्टर जान रहा हु जो है तो झोला छाप मगर तेज़ बुखार, सर्दी, ज़ुकाम और तेज़ सरदर्द से परेशान मरीजों के इलाज कर रहे है और जमकर मलाई काट रहे है। आप समझ सकते है कि ये सभी लक्षण कोरोना के भी है। मगर उन झोला छाप को इससे मतलब नही है कि वो संक्रमित है अथवा नही। बस भीड़ लगा कर इलाज करने का काम जारी है। इनमे से कौन मर गया इसकी जानकारी उन झोला छाप डाक्टरों को भी नहीं है।
दूसरी मलाई काट रहे है वो चिकित्सक जो एमबीबीएस अथवा एमडी करके गली मुहल्लों में नर्सिंग होम अथवा अस्पताल चला रहे है। उनको भी इससे कोई मतलब नही कि कोरोना जाँच का प्रस्ताव मरीज़ के सामने रखे। उनको तो अपनी फीस, अस्पताल के बिल से मतलब है। कौन संक्रमित है अथवा कौन नही इसका रिकार्ड उनके पास तो कम से कम नही मिलेगा आपको। क्योकि उनको लाल और हरी नोटों का चस्का लगा हुआ है। वही बड़े चिकित्सको की बात करे तो प्राइवेट बैठने वाले बड़े चिकित्सक बिना कोविड निगेटिव रिपोर्ट के मरीज़ देख ही नही रहे है। जबकि कोरोना जाँच से खौफ खाने वालो की कमी भी नही है।
बैकुंठ धाम पर जहा मरने वालो की लाइन लगी है। दो दिनों पहले समाचार मिला था कि लकड़ियाँ खत्म हो गई थी और महंगे दामों में लकडिया बेचने की कोशिश हो रही है। जानकारी पर तत्काल जिला प्रशासन और पुलिस ने संज्ञान लिया और लकडियो का स्टॉक के साथ उसके रेट भी फिक्स कर दिया। काला बाजारी करने वालो पर सख्त लगाम लगा दिया। वैसे ये काम प्रशंसनीय है। कम से कम मौत को मोटे मुनाफे का जरिया न बनने दिया। प्रशासनिक पहल और कार्यवाही की सभी ने तारीफ किया।
बुरी हाल है कब्रिस्तानो की भी
कब्रिस्तानो पर भी हालात कुछ अच्छे नही है। हमने सरैया से लेकर बड़ी बाज़ार तक छोटी बड़ी कब्रस्तानो में कब्रों के खोदे जाने की जानकारी इकठ्ठा करना चाहा तो हालात कुछ इस तरह सामने आये कि पहले कब्र खोदने वालो को वक्त दिया जाता था कि दाफीन इस वक्त होगा। मगर अब वो वक्त दे रहे है कि दाफीन के लिए कब्र फलां वक्त तैयार मिलेगी। ये नही कहा जा सकता है कि ये मौते संक्रमण के कारण है। मगर इनमे संक्रमित मौते भी है इनसे भी इनकार करने की जगह नही है। बस फर्क इतना है कि मरने वाला संक्रमित था कि नही ये जाँच ही नही हुई जिससे मरने वाले के साथ ही ये हकीकत कब्र में दफ्न हो गई।
हलात रोज़ ब रोज़ बद से बत्तर होते जा रहे है। इलाज के लिए लोग बड़े डाक्टरों को नही दिखा पा रहे है। या फिर ये कहे कि नही दिखा रहे है क्योकि वहा कोविड जाँच की रिपोर्ट देखे बिना इलाज शुरू नही होगा और कोविड जाँच करवाने से न मालूम कौन सा खौफ लोगो को सता रहा है। दुसरे सीरियस पेशेंट को जाँच के लिए सोचने सोचने में ही वक्त नही मिल पा रहा है। दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम ने अभी कल ही अपील किया था कि हालात बुरे होते जा रहे है। उन्होंने कहा था कि दिल्ली में कब्रिस्तानो पर माय्यते ज्यादा है कब्र बनाने वाले कम है। उन्होंने अपील करके मास्क लगाने, सोशल डिस्टेंस बनने और घरो में ही महफूज़ रहने को कहा था। इमाम अहमद बुखारी उस कुनबे के है जिनके कुनबे की बात लोग सुनते भी है। अब इसका कितना असर लोगो पर पड़ा ये आने वाला वक्त ही बताएगा। मगर मामला अब गंभीर होता जा रहा है।
हम अपने पाठको से अपील करते है कि कोविड प्रोटोकाल का पूरी तरह पालन करे। अगर ज़रूरी न हो तो घरो में रहे। अगर सामान खरीदने निकलना हो तो पूरी लिस्ट एक साथ बना कर खरीदे। देखिये, परिवार आपका है, बेशक आप अपने परिवार को मुश्किलों से बचाने के लिए जी जान लगा देते है। ये भी मुश्किल वक्त है। कदमो को रोके। सुरक्षित रहे। घर से निकले तो मास्क ज़रूर पहने। सेनेटाइज़र का प्रयोग करे। सोशल डिस्टेंस बनाये रखे। हाथो को बार बार धोये।
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