फारुख हुसैन
लखीमपुर खीरी= लखीमपुर खीरी जिले के इंडो नेपाल की तराई में मौजूद दुधवा टाइगर रिजर्व वन्यजीवों की कब्रगाह बनता जा रहा है। जिसमें आए देने वाली जीवो की मौतें हो रही हैं। जो पार्क प्रशासन की कार्यशैली पर सवालिया निशान उठा रही है। दूसरी ओर पार्क प्रशासन की निष्क्रीय कार्यशैली को देखते हुए दुधवा में शिकारियों की घुसपैठ होने से इन्कार भी नही किया जा सकता है। तो वही दूसरी ओर पार्क प्रशासन दुधवा में हो रहीं घटनाओं को छुपाने का प्रयत्न करना और जब घटना का शोसल मीडिया पर वायरल होना अपनी कमियों को उजागर करना ही प्रतीत हो रहा है।
इस बात की सूचना की जानकारी वन विभाग के आला अधिकारियों को दी गयी थी। जिसके बाद बाघिन की फोटोग्राफी की गयी थी। लेकिन उसके बाद बाघिन का शव 37 कक्ष संख्या 04 चल्तुआ कठपुलिया के पास घास के मैदान में मिला। सूचना मिलने पर मौके पर उपनिदेशक मनोज सोनकर व डा0 दयाशंकर ने किशनपुर क्षेत्रीय वन अधिकारी के साथ मौके का निरीक्षण किया। जिसमें पूरे क्षेत्र की काबिंग डॉग स्क्वायड से कराई गई व फॉर मेटल डिटेक्टर से भी जांच की गई। जिससे क्षेत्र में कोई भी संदेहास्पद वस्तु नहीं मिली।
बाघिन के सभी अंग अंग सुरक्षित पाए गए हैं शरीर पर नाखून से खरोच के निशान पाए गए। उसके कुछ नाखून क्षतिग्रस्त है। जिसमें खून और मांस लगा था। वही प्रथम दृष्टया बाघिन का किसी अन्य परभच्ची जीव से द्वद होना बताया जा रहा है। मृत्यु के वास्तविक कारणों की जानकारी पोस्टमार्टम के उपरांत ही प्राप्त हो सकेगी। मुख्य वन रक्षक एवं फिल्ड डायरेक्टर संजय कुमार पाठक दुधवा टाइगर रिजर्व लखीमपुर खीरी के निर्देशानुसार बाघिन के शव को पोस्टमार्टम हेतु आईवीआरआई बरेली भेजा जा रहा है।
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