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कोरोना को लेकर सरकार को मिली हाईकोर्ट से फटकार, पटना हाईकोर्ट ने कहा “नही संभल रहा तो सेना को दे दे, वही इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा ऑक्सीजन न देना नरसंहार जैसा अपराध

तारिक खान/ आदिल अहमद

डेस्क। देश भर में कोरोना से बिगड़ते हालत पर अब अदालते सख्त होना शुरू हो गई है। इसके पहले दिल्ली हाईकोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त लहजे में सरकारों को फटकार लगा चुकी है। ये सिलसिला बदस्तूर जारी है। इस क्रम में अब पटना हाईकोर्ट और इलाहबाद हाई कोर्ट ने अपने प्रदेश की सरकारों को जमकर खरी खरी सुनाई है। पटना हाईकोर्ट ने तो नितीश सरकार को फटकारते हुवे कहा है कि अगर आपसे नही संभल पा रहा है तो आप सेना के हवाले कर दे।

पटना हाई कोर्ट ने नितीश सरकार को सुनाई खरी खरी

कोरोनावायरस को लेकर हालात बिगड़ते जा रहे हैं। राज्य में हर दिन संक्रमितों का आंकड़ा बढ़ रहा है। वहीं कई पीड़ित लोग ऑक्सीजन और बेड की कमी से जूझ रहे हैं। बिहार में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच पटना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि अगर आप से स्थिति नहीं संभल रही है तो क्या  कोविड का प्रबंधन सेना को सौंप देना चाहिए? अदालत ने कहा कि बार-बार आदेश देने के बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है। कोर्ट ने यहां तक कह डाला कि ये शर्म की बात है कि हमारे बार-बार आदेश देने के बाद भी लोग मर रहे हैं। इस बीच राज्य में ना तो सरकारी अस्पताल और  न निजी अस्पताल में लोगों को बेड मिल रहा है और जो भर्ती हैं उन्हें पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन भी नहीं मिल रहा है।

ऑक्सीजन न देना नरसंहार से कम अपराध नही – इलाहाबाद हाई कोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि अस्पतालों को ऑक्सीजन न देना एक अपराध है, जो नरसंहार से कम नहीं है। इसके दोषी वे हैं, जो इसकी सप्लाई के लिए जिम्मेदार हैं। हाईकोर्ट ने कोरोना महामारी पर चल रही एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सरकारी पोर्टल पर अस्पतालों में कोविड के बेड उपलब्ध दिखाए जा रहे हैं, जबकि अस्पतालों को फोन करने पर वे कहते हैं कि बेड नहीं हैं। हाईकोर्ट के कहने पर एक वकील ने अदालत के सामने फोन कर यह जजों को सुनाया भी।

अदालत ने सरकार से कहा कि कोविड की दवाएं और ऑक्सीजन वगैरह, जो पुलिस जब्त कर रही है, उन्हें मालखानों में रखने के बजाय फौरन लोगों की मदद के लिए इस्तेमाल किया जाए। हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्या इलाहाबाद हाईकोर्ट और उसकी लखनऊ बेंच के वकीलों को कोरोना का टीका लगाने के लिए कोई अलग से इंतजाम किया जा सकता है।

पंचायत चुनाव मतगणना पर भी अदालत ने लिए सरकार को आड़े हाथो

अदालत ने कहा कि उन्हें पता चला है कि पंचायत चुनाव की काउंटिंग में कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन हुआ है। अदालत ने इसकी जांच करने के लिए सरकार से पंचायत चुनाव केंद्रों की सीसीटीवी फुटेज मांगी है। अदालत ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया था कि पंचायत चुनाव की काउंटिंग में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करवाया जाएगा।

हाईकोर्ट ने कहा कि उसने पिछली सुनवाई पर चुनाव आयोग से चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारियों की कोविड से हुई मौतों पर जवाब मांगा था लेकिन चुनाव आयोग का जोर इन मौतों की तस्दीक करने के बजाय खबर को गलत साबित करने पर ज्यादा है। अदालत ने जस्टिस वीके श्रीवास्तव की कोरोना से हुई मौत पर जांच बिठा दी है। अदालत ने कहा कि हमें पता चला कि न्यायमूर्ति वीके श्रीवास्तव की लखनऊ के आरएमएल अस्पताल में देखभाल नहीं हुई। हालत बिगड़ने पर उन्हें पीजीआई शिफ्ट किया गया, जहां बाद में उनका निधन हो गया।

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