लोजपा का सियासी घमासान – चिराग पासवान के चाचा ने खोला टॉप सीक्रेट, कहा जल्द ही केंद्रीय मंत्रीमंडल में शामिल होने जा रहा हूँ
आदिल अहमद
पटना: लोक जनशक्ति पार्टी का यह घमासान फिलहाल थमता नजर नहीं आ रहा है। अब इस घमासान में पशुपति पारस ने खुद को केंद्रीय मंत्री बनाये जाने की बात कहकर एक और मुद्दा छेड़ दिया है. शायद ये मुद्दा अब विपक्ष के लिए एक मौका बन जाये. भले ही कुछ हो मगर एक बात तो जगजाहिर हो गई है कि राजनीति में पशुपति कुमार पारस का कद तेजी से बढ़ता जा रहा है। पिछले हफ्ते उन्होंने अपने भतीजे चिराग पासवान को हटाकर संसदीय दल के नेता का पद हासिल वाले पशुपति पारस ने कहा है कि वो जल्द ही केंद्र सरकार में शामिल होने जा रहे हैं। 71 साल के पारस ने कहा, जब मैं मंत्रिमंडल में शामिल होउंगा, उसी वक्त संसदीय दल के नेता पद से इस्तीफा दे दूंगा।
हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे महत्वपूर्ण मामलों में रहस्योद्घाटन को कतई पसंद नहीं करते हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार और फेरबदल की लंबे समय से सुगबुगाहट चल रही है। प्रधानमंत्री की गृह मंत्री अमित शाह समेत वरिष्ठ मंत्रियों के साथ हुई बैठकों के दौर के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि बीजेपी नेता कैबिनेट मंत्री पद मिलने को लेकर किसी भी अटकलबाजी से बच रहे हैं। उनका कहना है कि सिर्फ दो लोग जानते हैं कि कब बदलाव होगा और किसको मंत्रिपद मिलेगा। ऐसे में पशुपति पारस का ऐलान या तो असामयिक है या लापरवाही भरा है।
उनके गृह राज्य बिहार में भी बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने भी केंद्रीय नेतृत्व को यह संदेश दिया है कि चिराग पासवान के खिलाफ पशुपति पारस को एकतरफा समर्थन बड़ी भूल होगी। चिराग पासवान की उम्र महज 38 वर्ष है और वो पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के बेटे हैं। बिहार चुनाव के कुछ वक्त पहले राम विलास पासवान की मौत हो गई है।बिहार भाजपा ने पार्टी के दलित विधायकों के बीच चिराग और पशुपति पारस को लेकर इस मुद्दे पर रायशुमारी की है। इन विधायकों का कहना था कि दलित और ख़ासकर पासवान समुदाय चिराग के साथ रहेगा।
कुछ विधायकों का कहना था कि चिराग के खिलाफ नीतीश कुमार की अगुवाई में जो मुहिम चली है उससे जो वोटर बिखरे या असंतोष में भी हैं और चिराग़ के लिए हमदर्दी पैदा हो गई है। बीजेपी नेताओं ने केंद्रीय नेतृत्व को भी इससे अवगत करा दिया है। उनका कहना है कि पारस को केंद्रीय मंत्री बनाने और चिराग पासवान को हाशिये पर डालने से जो पासवान वोटर 2014 के लोकसभा चुनाव से भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में उतरा था, उसका नुक़सान आगे उठाना पड़ सकता है। हालांकि पारस कभी जन नेता के तौर पर काम करते नजर नहीं आए हैं, ये बात भी वो मानते हैं। चिराग पासवान का स्वास्थ्य भी फिलहाल ऐसा नहीं है कि जिससे भरोसा किया जा सके कि सक्रिय होकर अपनी पासवान जाति के वोटरों को गोलबंद कर सकें।