तारिक खान
नई दिल्ली: भारत के साथ 59,000 करोड़ रुपये के राफेल विमान सौदे में कथित ‘भ्रष्टाचार और लाभ पहुंचाने’ के मामले में फ्रांस के एक न्यायाधीश को ‘बहुत संवेदशील’ न्यायिक जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है। फ्रांसीसी वेबसाइट ‘मीडिया पार्ट’ के अनुसार, दो सरकारों के बीच हुए इस सौदे को लेकर जांच गत 14 जून को औपचारिक रूप से आरंभ हुई। राफेल डील पर फ्रांस में जांच शुरू हो गई है। फ्रांस की पब्लिक प्रॉसिक्यूशन सर्विस पीएनऍफ़ के मुताबिक जांच के लिए एक जज की नियुक्ति की गई है। 14 जून को मजिस्ट्रेट ने जांच शुरू कर दी है। फ्रेंच मीडिया “मीडियापार्ट” के मुताबिक पीएनऍफ़ ने कहा है कि डील में भ्रष्टाचार के अलावा पक्षपात के आरोप की भी जांच की जाएगी।
जांच के दौरान उस समय राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद और उस समय वित्तमंत्री इमैनुएल मैक्रों (वर्तमान राष्ट्रपति) से भी सवाल-जवाब किए जाएंगे। इन दोनों के कार्यकाल में ही डील पर साइन किए गए थे। इस समय फ्रांस में विदेश मंत्री का पद संभाल रहे और डील के समय रक्षा मंत्री रहे जीन यवेस ले ड्रियान से भी पूछताछ की जा सकती है।
फ्रांस के एयरफोर्स चीफ और दैसो एविएशन ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया है। कंपनी अब तक डील में किसी भी तरह के भ्रष्टाचार से इंकार करती आई है। कंपनी का कहना है कि इससे पहले भी कई देशों के साथ एयरक्राफ्ट की डील हो चुकी है।
राहुल गांधी ने लगाया था 21 हजार करोड़ के घोटाले का आरोप
कांग्रेस राफेल डील में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते आई है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कुछ महीनों पहले दावा किया कि भारत सरकार और दैसो एविएशन (राफेल बनाने वाली फ्रेंच कंपनी) के बीच हुए राफेल सौदे में 21,075 करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार हुआ है। उनके आरोप लगाने के कुछ देर बाद ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा था। राहुल ने लिखा था, ‘प्रिय छात्रों, प्रधानमंत्री कहते हैं कि हमें बिना डरे या घबराए हर सवाल का जवाब देना चाहिए। आप उनसे कहिए कि मेरे 3 सवालों का जवाब भी बिना डर और घबराहट के दें।’ इसके बाद उन्होंने प्रधानंत्री से तीन सवाल पूछे थे।
कांग्रेस ने राफेल विमानों की खरीद में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए सौदे में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग की और कहा कि सच का पता लगाने के लिए जांच का केवल यही रास्ता है। कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जांच का आदेश देना चाहिए। उधर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी को प्रतिस्पर्धी रक्षा कंपनियां ‘मोहरा’ बना रही हैं और साथ ही दावा किया कि देश को ‘‘कमजोर” करने के प्रयास के तहत वह और कांग्रेस पार्टी राफेल विमान सौदे में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते रहे हैं। भाजपा मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने फ्रांस में एक न्यायाधीश को राफेल मामले की जांच सौंपे जाने को यह कहते हुए तवज्जो नहीं दी कि एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की शिकायत पर ऐसा किया गया है। उन्होंने कहा कि इसे भ्रष्टाचार के मामले में रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
क्या है आरोप
बताते चले कि ‘मीडिया पार्ट’ से संबंधित पत्रकार यान फिलिपीन ने कहा कि 2019 में दायर की गई पहली शिकायत को पूर्व पीएनएफ प्रमुख की ओर से ‘दबा दिया गया था।’ अप्रैल महीने में इस वेबसाइट ने फ्रांस की भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी की जांच का हवाला देते हुए दावा किया था कि राफेल विमान बनाने वाली कंपनी दसॉं एविशन ने एक भारतीय बिचौलिए को 10 लाख यूरो दिए थे। दसॉं एविएशन ने इस आरोप को खारिज कर दिया था और कहा था कि अनुबंध को तय करने में कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। भाजपा की अगुवाई वाली राजग सरकार ने फ्रांसीसी कंपनी दसॉ एविएशन से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 23 सितंबर, 2016 को 59,000 करोड़ रुपये के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे।
कांग्रेस का आरोप है कि इस सौदे में बड़े पैमाने पर अनियमितता हुई है और 526 करोड़ रुपये के एक विमान की कीमत 1,670 करोड़ रुपये अदा की गई। उसने 2019 के लोकसभा चुनाव में इसे बड़ा मुद्दा बनाया था। भाजपा और सरकार की तरफ से आरोपों को कई मौकों पर खारिज किया गया और यह कहा गया कि उच्चतम न्यायालय इस मामले में क्लीन चिट दे चुका है।
सुरजेवाला ने कहा कि मामला देश की सुरक्षा और साख का है, इसलिए एक निष्पक्ष और स्वतंत्र जेपीसी जांच ही एकमात्र रास्ता है, न कि उच्चतम न्यायालय द्वारा जांच। उन्होंने कहा, ‘‘जब फ्रांस की सरकार ने स्वीकार कर लिया है कि सौदे में भ्रष्टाचार हुआ है तो क्या देश में जेपीसी जांच नहीं होनी चाहिए जहां भ्रष्टाचार हुआ है?” सुरजेवाला ने कहा कि यह कांग्रेस बनाम भाजपा का मुद्दा नहीं है, बल्कि देश की सुरक्षा का और सबसे बड़े रक्षा सौदे में ‘भ्रष्टाचार’ का विषय है।
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