दुर्गाकुंड ऑटो स्टैंड प्रकरण (भाग – 2) – अवैध ऑटो स्टैंड संचालन में हमसे जो टकरायेगा, ऐसा लांछन लगायेगे कि देखता रह जायेगा……………

तारिक आज़मी

वाराणसी। वाराणसी के भेलूपुर थाना क्षेत्र के दुर्गाकुंड में मंदिर के ठीक सामने और पुलिस चौकी के ठीक बगल में संचालित ऑटो स्टैंड जो अबरे-जबरे की खेती के तहत संचालित हो रहा है के सम्बन्ध में आपने हमारे पिछले अंक में पढ़ा। शिया वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर नगर निगम किस प्रकार से सभी नियमो और उच्चाधिकारियों के आदेशो को ताख पर रखकर अवैध ऑटो स्टैंड का लाइसेंस बकायदा दे रहा है। इस स्टैंड के खिलाफ नगर निगम क्यों कार्यवाही नही करता है ये तो नगर निगम जाने मगर पुलिस कार्यवाही क्यों नही करती है इसका जीता जागता उदहारण सामने है। शायद सही भी है कि पुलिस इस प्रकार से इन लोगो को नियंत्रित नही करती है, क्योकि लांछन से डर सबको लगता है। गला सबका सूखता है।

आप हमारे पिछले भाग को पढ़ कर मुतमईन हो चुके होंगे कि ये ऑटो स्टैंड का लाइसेंस ही गलत तरीके से जारी होता है और यहाँ ऑटो स्टैंड हो ही नही सकता है। अगर होगा भी तो तीन ऑटो के लिए नगर निगम जारी कर सकता है। क्योकि इससे अधिक जगह तो नगर निगम के पास है ही नही। मगर ऑटो यूनियन के नाम पर हेल्लो हेल्लो, साहब जी, बाबु जी के दम पर अवैध तरीके से नगर निगम लाइसेंस जारी कर रहा है। मगर पुलिस की इस ऑटो स्टैंड के वजह से लगने वाले जाम के झाम को सुलझाती रहती थी। ऑटो स्टैंड के नाम पर भीड़ इकठ्ठा होना आम बात है। उसके ऊपर बात करना बेमाईनी होगी।

अब आते है मुद्दे की बात पर। नगर निगम अगर इस अवैध ऑटो स्टैंड के लिए जितना दोषी है उतना ही दोषी मूकदर्शक पुलिस प्रशासन भी है। रामधारी सिंह दिनकर की कविता का एक अंश शायद ऐसे ही वक्त के लिए कलमकार इस्तेमाल करते है। उन्होंने कहा था कि “समर शेष है, नही पाप का भागी केवल व्याध, जो तटस्थ है समय लिखेगा उनका भी अपराध।” तो इस अनुसार अब तटस्थ का अपराध लिखने का भी वक्त तो आ ही चूका है। वर्ष 1999 से लेकर अब तक जितने भी उच्चाधिकारियों के आदेश आते रहे वह सभी आदेश की प्रति स्थानीय थाना भेलूपुर को भी आती रही है। मगर कहा जाता है कि “कौन लोड ले ?” ले तर्ज पर गेंद नगर निगम के पाले में ही रह जाती रही। वही नगर निगम इस प्रकरण में शांत बैठा रहा।

आखिर वक्त आया और दुर्गाकुंड में तैनात चौकी इंचार्ज प्रकाश सिंह ने मामले में सख्ती दिखाई। प्रकरण में कागजातों को बटोरते बटोरते अच्छा ख़ासा वक्त गुज़र गया। कागज़ात थे कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहे थे। 21 सालो का इतिहास खंगालना मुश्किल काम था। आखिर इतिहास पूरा खंगाला गया और इसकी रिपोर्ट बनकर विभाग को चली गई। यहाँ से शुरू हुआ विवादों का सिलसिला। यहाँ भी तटस्थो के अपराध का इतिहास लिखा जाना अब आवश्यक होता जा रहा है। दुर्गाकुंड इलाके में कई कद्दावर सामाजिक कार्यकर्ताओ से लेकर कई कद्दावर पत्रकार है। नज़रे तो सबकी पड़ी मगर कलम से क्रांति की बात है तो ऐसे कैसे क्रांति आएगी। फिर सबसे बड़ी क्रांति में पेच ये थी कि क्रांतिकारी आखिर हम ही क्यों ?

बहरहाल, मामला बढ़ने लगा। हम एक बार फिर बताते चलते है कि मंगल यादव का आरोप सही है अथवा झूठ के बुनियाद पर खड़ा है, हम इसकी बात ही नही कर रहे है। मामला सिर्फ एक अवैध ऑटो स्टैंड का है। तो हम इस अवैध ऑटो स्टैंड की बात करेगे। हम स्टैंड संचालको को भी आरोपों के घेरे में नही लेते है क्योकि उनके पास लाइसेंस है भले कही से भी आया। हम नगर निगम से सवालातो की झड़ी लगा रहे है कि आखिर ऐसे कैसे लाइसेंस किसी और की संपत्ति पर नगर निगम जारी कर सकता है। आखिर नियमो को और उच्चाधिकारियों के आदेशो को ताख पर रख देना नगर निगम की आदत में शुमार हो चूका है क्या ?

खैर, फरवरी माह में इस ऑटो स्टैंड के खिलाफ मिली शिकायत पर कार्यवाही करते हुवे प्रकश सिंह चौकी इंचाज दुर्गाकुण्ड द्वारा सख्ती दिखाई जाने लगी। वही सूत्रों की माने तो विभाग के विभीषण की तरह काम करने वाले एक सज्जन ने मामले में हवा देने का भी दस्तूर बना रखा था। 10 फरवरी को ऑटो स्टैंड पर वसूली कर रहे मंगल यादव को प्रकाश सिंह द्वारा थाना भेलूपुर पर पुलिस एक्ट 34 के तहत बैठा लिया गया। उस समय लाइसेंस जो गोला दीनानाथ के निवासी किसी अज्ञात व्यक्ति के नाम से था और उसका रिनिवल भी नही हुआ था के ऊपर मंगल यादव द्वारा ऑटो चालको से वसूली की बात सामने आई थी। इस प्रकरण में नगर आयुक्त को पत्र चौकी इंचार्ज द्वारा लिखा जा चूका था। वही दूसरी तरफ कई शिकायतों का पिटारा भी तैयार था।

पुलिस एक्ट 34 के तहत चालान होने के बाद शाम को स्थानीय एक पत्रकार मंगल यादव की पैरवी में आते है। ये बात हमको सूत्रों ने बताया तो हमने भी रिकार्ड खंगाला। सूत्रों की बाते पुख्ता साबित हुई क्योकि मंगल यादव को स्थानीय पत्रकार रामू पाण्डेय के सुपुर्दगी में दिया गया था। हमने मामले में रामू पाण्डेय से बात किया तो उन्होंने कहा कि “मैंने सुपुर्दगी लिया था ये बात सही है। उसके साथ मारपीट और अन्य आरोपों के सम्बन्ध में मैं कुछ भी नही जानता हु। मैंने सुपुर्दगी लिया और उसको उसके घर तक छोड़ दिया जैसे न्यायसंगत होता है। बकिया क्या आरोप सही क्या गलत मैं नही जानता हु।” बहरहाल ये घटना दिनांक 10 फरवरी की है। इसके बाद मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर मंगल यादव के द्वारा तत्कालीन एसएसपी वाराणसी को शिकायत किया जाता है जिस शिकायत पर तत्कालीन एसपी (सिटी) और वर्त्तमान एडीसीपी (काशी) विकास चन्द्र त्रिपाठी ने दोनों पक्षों का बयान और अन्य गवाहों तथा सबूतों के तहत जाँच कर शिकायत को निराधार पाते हुवे रिपोर्ट प्रेषित कर दिया। मामला फरवरी में ही निस्तारित हो चूका था मगर अब जब जुलाई आधी गुजरने को है तो मामले में नया ट्वीस्ट आ गया।

कल तक थे सपाई अब बन बैठे भाजपाई

मामले में अब लगभग पांच महीने बाद ट्वीस्ट आ गया। पांच महीने तक शांत बैठे मंगल यादव ने अचानक अपना बयान जारी किया और घुसखोरी का आरोप लगा डाला दुर्गाकुंड चौकी इंचार्ज प्रकाश सिंह पर। कल तक सपा के नेता होने का दावा करने वाले मंगल यादव ने अपने आपको भाजपा का कार्यकर्ता भी लोगो से बताना शुरू कर दिया है, जबकि फेसबुक प्रोफाइल मंगल यादव की उनके सपाई होने की चिल्ला चिल्ला कर गवाही देने को तैयार है। खैर, हमको क्या इससे, मंगल यादव का आरोप सही हो या गलत हो वो विभाग जाने और मंगल यादव जाने। मगर इस वीडियो बयान की टाइमिंग परफेक्ट है इसको ध्यान दे। वीडियो बयान जारी हुआ है 8 जुलाई को, जबकि संजय सिंह के नाम से जारी लाइसेंस की समय अवधी ख़त्म हुई है 7 जुलाई को। बस ये बात हमने ऐसे ही जानकारी के लिए कह दिया। इसका मामले से कोई मतलब है नही।

दुर्गाकुंड ऑटो स्टैंड प्रकरण (भाग -1) – सभी आदेश रख ताख पर, न खाता न बही, जो नगर निगम के अधिकारी कहे बस वही सही

क्या कहते है ज़िम्मेदार

प्रकरण में हमने नगर निगम के जिम्मेदारो से बात किया उप नगर आयुक्त देवी दयाल वर्मा ने हमसे बात करते हुवे बताया कि “प्रकरण संज्ञान में आया है, तथ्यों के आधार पर मामले की जाँच होगी और निष्पक्ष कार्यवाही होगी।” वैसे बताते चले कि देवी दयाल वर्मा कई निष्पक्ष और त्वरित कार्यवाही के लिए चर्चा में रह चुके है। हम आशा करते है कि इस प्रकरण में भी उनकी कार्यवाही तथ्यों के आधार पर निष्पक्ष ही होगी।

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