गुड जॉब थाना लोहता महिला हेल्प डेस्क – “मे आई हेल्प यु,” के तर्ज पर काम करता एक थाना
शाहीन बनारसी
वाराणसी। महिलाओं के बढ़ते अपराध पर रोकथाम के लिए सभी सरकारे काम करती रही है। जैसे पिछली सरकार में मशहूर आईपीएस अधिकारी नवनीत सिकेरा के अथक प्रयास से 1090 की स्थापना हुई थी जो आज भी कार्यरत है। इसी कड़ी में मौजूदा योगी सरकार के द्वारा महिला हेल्प डेस्क हर थाने में स्थापित हुआ। इस महिला हेल्प डेस्क में थाने पर आने वाली महिला शिकायतकर्ता कि शिकायतों को सुनने और समझने के लिए महिला पुलिस कर्मियों की नियुक्ति हुई। अब ये महिला हेल्प डेस्क शहरो में तो अच्छा काम कर रहे है। मगर ग्रामीण इलाको में इसकी क्या स्थिति है। कुछ समझने के लिए कल हमने वाराणसी ग्रामीण क्षेत्र के लोहता थाना का रुख कर लिए।
रात का लगभग 8 बज चुका था। ग्रामीण इलाका काम-धाम बंद करके अपने घरो को जाने को बेताब थे। मैं अपने सहयोगी मो0 सलीम के साथ लोहता थाना पहुंची। थाने के सामने सड़क के दूसरी पटरी पर गाडी के पार्किंग हेतु खाली जगह सुरक्षित थी । हम अपनी बाइक वही किनारे लगाकर थाने के तरफ आये। थाने के गेट पर ही कोविड प्रोटोकॉल का पूरी तरीके से पालन करवाने के लिए पहरा की ड्यूटी में उपस्थित सिपाही ने बड़े ही अदब के साथ हमारे हाथो पर सेनेटाईज़र की चंद बुँदे गिराई, जो पुरे हाथो को सेनेट्राइज करने के लिए काफी थी। इस दरमियान हमारा टेम्प्रेचर भी लिया गया। वह रखा हुआ ऑक्सीमीटर हमसे पूछता हुआ सा लगा कि क्या आपको सांस लेने में कोई दिक्कत तो नही हो रही है ? अगर हो रही हो तो मेरा इस्तेमाल कर सकती है।
कोविड प्रोटोकॉल कि फॉर्मेलिटी पुरी कर जब हम थाने के अन्दर प्रवेश किये। थाने में कुछ भीड़-भाड़ थी। थानाध्यक्ष वहा आई भीड़ के साथ एक महिला शिकायतकर्ता कि शिकायत को बड़ी तन्मयता से सुन रहे थे। चंद लम्हों में ही हमको ये जानकारी मिल गई कि उस बुजुर्ग महिला के साथ टप्पेबाजी की घटना हुई है। जिसकी शिकायत वह बुजुर्ग महिला करने के लिए लोहता थाने आई थी। थाने के अन्दर की ये भीड़ उस महिला के परिजन थे।
हम चुप चाप किनारे खड़े थे, तभी हम पर नज़र महिला हेल्प डेस्क में ड्यूटी पर तैनात महिला सिपाही शशिकला सिंह की पड़ी। वह अपनी कुर्सी से उठ कर हमारे पास आती है और मुझसे मुखातिब होकर पूछती है कि “जी मैंम बताइए”। हम अपना परिचय बतौर पत्रकार नहीं देना चाह रहे थे, इसीलिए हमने उनसे कहा कि एसओ साहब से कुछ काम है। इसके बाद वो महिला सिपाही बड़े अदब के साथ हमको महिला हेल्प डेस्क में ले जाती है, और कुर्सी देकर बैठाती है। एक गिलास पानी हमारे सामने रख कर कहती है कि लीजिये पानी पीजिये, साहब अभी व्यस्त है, अभी थोड़ी देर में खाली होते है, तो आपसे मुलाकात करवाती हूँ। तब तक यदि आप चाहे तो अपनी समस्या हमसे बता सकती है।
थानाध्यक्ष विश्वनाथ प्रताप सिंह पूर्व परिचित होने के कारण हमको बतौर महिला पत्रकार जानते व पहचानते है। हमारा प्रयास सिर्फ ये देखना था कि आखिर महिला हेल्प डेस्क ग्रामीण इलाको में कैसे काम करता है। कुछ मिनटों में थानाध्यक्ष विश्वनाथ प्रताप सिंह स्वयं आ गये और हमको देखकर हाल-चाल पूछते हुए आने का सबब पूछा। हमने उनको टप्पेबाजी कि खबर कवरेज कि बात बताते हुए उनका वर्जन उस सम्बन्ध में लिया। हम इस रियलिटी चेक के सम्बन्ध में उनको नही बताना चाहते थे। कुछ थोडा अलग होना चाहिये के तर्ज पर हम ये काम कर रहे थे। विश्वनाथ प्रताप का वर्जन उस टप्पेबाजी की घटना पर लिया और हम वापस आ गये।
ये हमारा व्यक्तिगत नजरिया है कि जिस थाने पर इस प्रकार से शिकायतकर्ताओं की सुविधा का ध्यान रखा जाता है उस थाने पर बेशक किसी के साथ अन्याय तो नहीं ही हो सकता है। वैसे भी विश्वनाथ प्रताप सिंह एक तेज़ तर्रार और अनुभवी अधिकारी है। उनके द्वारा ट्रेनिंग लिए हुवे काफी दरोगा आज उत्तर प्रदेश पुलिस में कार्यरत है। उनकी मृदु भाषा शैली भीड़ में उनको सबसे अलग रखती है। ट्रेडिशनल पुलिसिंग से लेकर माडर्न पुलिसिंग में महारत हासिल विश्वनाथ प्रताप सिंह का मूल मंत्र सभ्य और शिष्ट भाषा शैली में शिकायतकर्ताओ से बात करना है। हकीकत में अगर नम्बर के आधार पर इस थाने में काम कर रहे महिला हेल्प डेस्क को नम्बर देना होगा तो मैं बतौर एक महिला 10/10 दूंगी।