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अवैध पटाखा कारोबारियों पर कसते शिकंजे पर बोल शाहीन के लब आज़ाद है तेरे :  गरीब लहरों पर पहरे बिठाये जाते है, समुन्दरो की तलाशी कभी नही होती

शाहीन बनारसी

वाराणसी। वाराणसी पुलिस अवैध पटाखा कारोबारियों पर शिकंजा कसे हुए है। अभी कल ही 7 कुंटल अवैध पटाखा चौक पुलिस ने पकड़ा था। उसके पहले चौक पुलिस के द्वारा इसी सप्ताह डेढ कुंटल के करीब अवैध पटाखा पकड़ा गया था। वही पिछले वर्ष दिवाली के सीजन की बात करे तो विभिन्न छापेमारी में 80-90 कुंटल माल पकड़ा गया था। इन सभी मालो के साथ कोई न कोई गिरफ्तारी भी हुई। मगर अगर गौर करके देखा जाये तो ये सभी गिरफ्तारियां पटाखा कारोबारियों के नौकरों की थी। इनमे से कोई भी असली पटाखा कारोबारी नहीं गिरफ्तार हुआ था।

इन पटाखा कारोबारियों के भ्रमजाल कुछ इस प्रकार के है कि इनका माल पकड़ा जाने के बाद भी इनकी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता है। कहा जाता है कि अवैध पटाखा का कारोबार एक नशे के तरीके से है। जो एक बार कर लेता है उसको बार-बार इस कारोबार को करने में मज़ा आता है। इनको इसकी भी फ़िक्र नहीं होती है कि किसी घटना दुर्घटना में सिर्फ इनकी ही नही बल्कि अडोस-पड़ोस की भी ज़बरदस्त हानि होगी। इनको तो सिर्फ एक लगाकर 10 कमाने की चाहत होती है।

बहरहाल, हम अपने मुद्दे पर आते है और कुछ उदाहरण देते है। इसी सप्ताह चौक पुलिस द्वारा पकडे गये डेढ कुंटल अवैध पटाखे के साथ एक व्यक्ति की गिरफ्तारी होती है। अगर ध्यान देकर देखे तो गिरफ्तार व्यक्ति एक बड़े अवैध पटाखा कारोबारी का कर्मचारी है। वही कल चौक पुलिस द्वारा 7 कुंटल अवैध पटाखे के साथ दीपक नाम के एक युवक को पकड़ा गया। सूत्र बताते है कि दीपक भी एक बड़े पटाखा कारोबारी का कर्मचारी मात्र है। यहां लोग पुलिस को दोष देंगे। मगर हकीकत ये है कि पुलिस भी नियमो के आगे मजबूर है। जब सामने से खुद कोई अपने अपराध की स्वीकारोक्ति कर रहा है और लाख समझाने के बाद भी वह अपना ही माल होने का दावा करता रहे तो पुलिस उसमे क्या कर सकती है।

लेखिका शाहीन बनारसी एक युवा पत्रकार है

अब पिछले वर्ष का ही उदाहरण ले ले। तत्कालीन एसएसपी ने एक राजनैतिक छवि रखने वाले पटाखा कारोबारी के यहां खुद छापेमारी किया था। अवैध पटाखा कारोबारी खुद तो मौके से निकल लिया मगर उसके कर्मचारी गिरफ्तार हुए थे। 5-7 हज़ार की नौकरी करने वाले ये कर्मचारी पुलिस से अपना पटाखा होने का दावा करते रहे। इसको स्वामी भक्ति कहे या कुछ और, शायद लफ्ज़ यहां अपनी तंगी महसूस करेंगे। ऐसे कई उदाहरण है जिनको अगर लिखने चले तो शायद कई पन्ने भर जायेंगे। शायद ऐसे ही हालातो के लिए मशहूर शायर वसीम बरेलवी ने अर्ज़ किया है कि “गरीब लहरों पर पहरे बिठाये जाते है, समुन्दरो की तलाशी कभी नही होती”

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