तारिक आज़मी संग शाहीन बनारसी
वाराणसी। वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के जाबाज़ पुलिसकर्मियों ने शाइन सिटी के दुर्दांत 5 लाख के इनामिया आर्थिक अपराधी राशिद नसीम के दो बेहद करीबी गुर्गो को धर दबोचने की बड़ी सफलता एक सप्ताह के अन्दर प्राप्त किया है। ये दोनों सफलताये एकदम फ़िल्मी स्टाइल में वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट को प्राप्त हुई है। जिसको जानकर लोगो ने दांतों तले उंगलिया दबा ली और बरबस ही सभी के मुह से “गुड जॉब” निकल पड़ा।
जाने कैसे फ़िल्मी स्टाइल में पकड़ा गया था मुश्ताक
वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस के टारगेट पर दुर्दान्त 5 लाख का इनामिया अपराधी मुश्ताक था। मुशताक की कोई भी जानकारी काफी दिन तक पुलिस को नहीं मिल पा रही थी। अंततः सिगरा पुलिस को एक छोटी सी जानकारी हासिल लगी कि मुश्ताक सिवान के किसी गाव में खुद का रियल स्टेट का कारोबार कर रहा है। पुलिस के टारगेट पर अब मुश्ताक था। नौजवान दरोगाओ पर पूरा भरोसा करने वाले पुलिस कमिश्नर सतीश गणेश ने सिगरा थाने के इंस्पेक्टर अनूप शुक्ला को मुश्ताक के गिरफ्तारी के लिए निर्देशित किया। इस निर्देशन के बाद इंस्पेक्टर अनूप शुक्ला ने एसआई प्रकाश सिंह के नेतृत्व में कुल 4 पुलिसकर्मियों की एक टीम सिवान रवाना किया। टारगेट था मुश्ताक की गिरफ्तारी। दिक्कत ये कि कोई इलेक्ट्रॉनिक अथवा सेर्विलौंस की सहायता नहीं मिल सकती।
सिवान पहुंची पुलिस टीम ने वहां अपना खबरी नेटवर्क डेवलप किया। जिसके बाद टीम को जानकारी कि मुश्ताक सिवान स्थित महाराजगंज इलाके के देवरिया गाव में रहता है। देवरिया गाव में छापेमारी आसान नहीं थी। जिसके लिए अँधेरा होने का इंतज़ार वारणसी पुलिस कमिश्नरेट ने किया। स्थानीय पुलिस का कोई सहयोग न मिल सकने के कारण वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस को पूरा ऑपरेशन खुद ही करना था। अँधेरा हो चूका था। स्थानीय मुखबिर ख़ास के माध्यम से पता चला कि मुश्ताक गाव की चट्टी के पास है। जानकारी कन्फर्म होने के बाद वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस को ये गिरफ्तारी करना ही करना था। गाव का रास्ता सुगम नहीं था और मुश्ताक की गिरफ्तारी पैदल ही जाकर करनी थी। पुलिस टीम अचानक दौडती हुई गाव के अन्दर पहुँचती है और मुश्ताक को उठाकर उसी रफ़्तार से दौडती हुई गाव के बाहर आ जाती है। जब तक वो खुद समझ पाते तब तक मुश्ताक की गिरफ्तारी हो चुकी थी। वाराणसी पुलिस कमिश्नर ने अपनी टीम को शाबासी दिया तो टीम का हौसलाअफजाई हुई। जिसके बाद एसआई प्रकाश सिंह और क्राइम ब्रांच के एसआई राजकुमार पाण्डेय के साथ एक टीम आर्यन भार्गाव की गिरफ्तारी हेतु लागाई गयी।
फ़िल्मी स्टाइल में हुई आर्यन भार्गव की गिरफ्तारी
मुश्ताक की गिरफ्तारी के बाद अपने पुलिस कमिश्नर से बधाई पायी टीम जोश लबरेज़ थी। एसआई प्रकाश सिंह और राजकुमार पाण्डेय आर्यन की गिरफ्तारी के लिए सड़क मार्ग से कोलकाता पहुँच जाते है। टीम के पास आर्यन की एक तस्वीर थी। शातिर आर्यन अपने मोबाइल को ऑन द वे चालु करता और बंद कर लेता। पुलिस को उसकी लोकेशन हावड़ा के पास मिली थी। जहाँ इतनी भीड़ में शिनाख्त करना बहुत ही टेडी खीर थी। आर्यन का मोबाइल भी बंद था और पुलिस को उसकी लोकेशन नहीं मिल पा रही थी। अचानक तभी आर्यन का मोबाइल ऑन होता है जो वेस्ट बंगाल के लोकल रेलवे स्टेशन बांडेल के रेलवे ट्रैक पर जाते हुए दिखाता है। पुलिस के पास सिर्फ अंदाज़ लगाने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। अंदाज़ के हिसाब से पुलिस अपनी कार से एक ट्रेन का पीछा करती है। जिसके बाद आर्यन का मोबाइल दुबारा ऑफ़ हो जाता है।
गौरतलब हो कि वेस्ट बंगाल में रोड के साइड से लोकल ट्रेन का ट्रैक जाता है। पुलिस इस ट्रेन का लगातार पीछा करती रहती है। तभी अचानक आर्यन का मोबाइल ऑन होता है और वह वापसी के रुड पर दिखाता है। प्रकाश सिंह और राजकुमार पाण्डेय की टीम ने ट्रेन को आईडेंटीफाई कर लिया था। अब पुलिस के पास सबसे बड़ा चैलेंज था कि बांडेल स्टेशन के पहले आर्यन को गिरफ्तार करना है क्योकि बांडेल स्टेशन पर भारी भीड़ के बीच में आर्यन फरार हो सकता था। पुलिस ने सड़क पर गाडी दौडाते हुए ट्रेन के आगे के 4 कोच और पीछे के 4 कोच स्कैन कर लिया था। अब बीच के 8 कोचों में आर्यन के होने की सम्भावना थी। बांडेल से 3 स्टेशन पहले ट्रेन आने के 2 मिनट पहले एसआई प्रकाश सिंह और राजकुमार पाण्डेय की टीम पहुँच चुकी थी।
पत्नी बनी आर्यन के पहचान का कारण
महज़ 10 सेकंड रुकने वाली ट्रेन में वाराणसी पुलिस को चिन्हित डिब्बो में अन्दर जाना था। पुलिस टीम 2 हिस्सों में यहां बंटी और प्रकाश सिंह के साथ एक टीम आगे और राजकुमार पाण्डेय के साथ एक टीम पीछे से ट्रेन में चढ़ी। ट्रेन के एक-एक यात्रियों को दोनों टीमे बहुत ही बारीकी से स्कैन कर रही थी। आर्यन अपनी पत्नी के साथ बैठा था और मास्क लगाये हुए था। तभी उसकी पत्नी की नज़र प्रकाश सिंह पर पड़ी और उसके चेहरे की हवाई उड गयी। प्रकाश सिंह ने आर्यन के चेहरे का मास्क जैसे ही हटाया, आर्यन भागने की कोशिश करता है मगर प्रकाश सिंह की मजबूत पकड़ से खुद को छुड़ा नहीं पाता है और पकड़ा जाता है। पुलिस टीम आर्यन को लेकर बांडेल स्टेशन उतरती है और जीआरपी बांडेल में आमद करवाकर अदालत में आर्यन को पेश कर वहां से ट्रांजिट डिमांड पर लेकर आर्यन को बनारस पहुँचती है।
वाराणसी पुलिस कमिश्नर ने अपने तेज़ तर्रार इस पुलिस टीम को मिली सफलता पर 50 हजार रुपये इनाम देने की घोषणा की है। माना जा रहा है कि आर्यन भार्गव उर्फ कमलेश पुत्र कड़े दीन निवासी ग्राम हरिद्वारी (जौनपुर) से पूछताछ में पुलिस को अहम सुराग मिल सकते हैं। वह शाइन सिटी इंफ्रा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में अमिताभ श्रीवास्तव की टीम में काम करता था।
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