आदिल अहमद
शनिवार की सुबह 11 बजे आशीष मिश्र मोनू को पुलिस लाइन स्थित क्राइम ब्रांच के दफ्तर में पेश होना था, लेकिन वह तय समय से पहले ही 10 बजकर 38 मिनट पर पिछले रास्ते से पुलिस लाइन पहुंच गए। उनके साथ दो वकील अवधेश सिंह और अवधेश दुबे भी क्राइम ब्रांच के दफ्तर में दाखिल हुए। इस दौरान देर रात तक आशीष मिश्र से पूछताछ चली और करीब 12 घंटे की पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। शायद देश के इतिहास में यह पहला मौका था जब किसी एसआईटी पूछताछ के दरमियान कोई मंत्री का प्रतिनिधि भी बैठा था। वकील और मंत्री के प्रतिनिधि की मौजूदगी में हुई पूछताछ में आशीष मिश्रा मोनू सवालो के जवाब नही दे पा रहा था। इस मामले ने एक और बहस को पनाह दे दिया है कि आखिर पूछताछ के समय किसी मंत्री को अपने प्रतिनिधि भेजने की क्या ज़रूरत थी। साथ ही शायद ये एसआईटी के इतिहास की सबसे लम्बी पूछताछ थी।
पेशी के बाद आशीष को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। अब इस मामले को लेकर सोमवार को सुनवाई होगी। तब तक मुख्य आरोपी आशीष को जेल में रहना होगा। बताते हैं कि आशीष के वकील ने कस्टडी का विरोध किया था।आशीष के वकील अवधेश कुमार ने बताया कि उसे न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष पेश किया गया था। सोमवार 11 अक्तूबर को सुनवाई होगी कि उन्हें पुलिस कस्टडी दी जानी चाहिए या नहीं। फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में रहेंगे। पुलिस ने तीन दिन की हिरासत मांगी थी, जिस पर हमने आपत्ति जताई थी। आज रविवार हो गया। इसलिए सोमवार दोपहर 1 बजे सीजेएम कोर्ट में उन्हें पेश होना होगा। जिसके बाद कोर्ट तय करेगी कि उनको जेल भेजना है, या पुलिस रिमांड में भेजना है।
नही काम आया बेगुनाही का शपथ पत्र और सबूत
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी और सक्रियता के बाद तिकुनिया कांड का आरोपी आशीष मिश्र मोनू को दूसरे नोटिस के बाद क्राइम ब्रांच के ऑफिस में पेश होना ही पड़ा। शनिवार को उन्होंने जांच टीम को अपनी बेगुनाही के सुबूत दिए, जो काम नहीं आए। जानकारी के मुताबिक आशीष मिश्र के बचाव की हर कोशिशें हुई। घटनाक्रम से जुड़े लोगों से शपथ पत्र हासिल किए गए। मंदिर और पूजागृह में पूजन कराया गया। जांच के लिए समन भेजे जाने के बाद भी आशीष मिश्र शुक्रवार को पूछताछ में शामिल नही हुए। बल्कि शनिवार को पूरी तैयारी के साथ पुलिस लाइंस स्थित क्राइम ब्रांच के दफ़्तर में पेश हुए। सूत्रों के अनुसार वह घटना से जुड़े कई वीडियो अलग-अलग पेन ड्राइव में रखकर ले गए। साथी ही खुद को निर्दोष बताने वाले शपथ पत्र भी लेकर गए थे। इस दौरान शहर के चर्चित अधिवक्ता अवधेश सिंह को अपने साथ ले गए थे।
नहीं बता पाया अपनी लोकेशन
पुलिस की पूछताछ में सबसे अहम बिंदु यह रहा कि घटना के वक्त आशीष कहां था। आशीष की ओर से कई वीडियो साक्ष्य दिए गए, लेकिन वह किसी में भी घटना के समय पर कहीं और होने का साक्ष्य नहीं दे पाया। घटना के दिन दोपहर 2:34 से 3:31 बजे तक कोई लोकेशन नहीं मिल पाई। पुलिस ने यह भी पूछा कि रूट डायवर्ट होने की सूचना के बावजूद वह उसी रास्ते से क्यों गया। पुलिस ने यह भी पूछा कि उस दिन मौके पर गई गाड़ियों में और कौन-कौन लोग मौजूद थे।
टीम में शामिल पुलिस अधिकारियों ने आशीष से तीखे सवाल किए, जिनका सामना करने में वह परेशान दिखा। जांच टीम ने पूछा कि घटना के वक्त वह कहां था? जब रूट बदला गया तो उसकी गाड़ी उस रास्ते से होकर क्यों गई? घटना का पता उसे कब चला? घटना में कितने लोग मारे गए और इसकी जानकारी उसे कब और कैसे लगी? इस दौरान आशीष मिश्र मोनू ने घटना के दिन अपने बनवीरपुर होने की दलील दी। सूत्रों के मुताबिक जब जांच टीम ने पूछा कि घटना के दिन वह 2:36 से 3:30 के बीच कहां थे, तो वह इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सका।
जानकारी साझा करने से कतराते रहे अफसर
आशीष मिश्र मोनू से क्राइम ब्रांच दफ्तर मे पूछताछ के 12 घंटे बीतने के बाद भी जांच टीम कोई निर्णय नहीं ले सकी, बल्कि आरोपी की आवभगत में ही लगी रही, ऐसा बताया जा रहा है। इस मामले में दिनभर कोई भी अधिकारी मीडिया से बात करने के लिए आगे नहीं आए और जानकारी साझा करने से भी कतराते रहे।
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