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गुड जॉब : अमर उजाला ने खोला कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की गोरखपुर में हुई हत्या का अपनी खबर से राज़, जुटाया साक्ष्य और प्रकाशित किया समाचार, पुलिस क्रूरता देख आप हो जायेगे हैरान

तारिक आज़मी

वैसे तो खोजी पत्रकारिता अब लगभग अपने दम तोडती हुई पुनर्जन्म में दलाली और मुखबिरी का रूप लेती जा रही है, मगर कहते है कि वीरो से धरती खाली नही है। शायद इस खोजी पत्रकारिता को जिंदा रखने वाले आज भी धरती पर है जिनके बल पर अपराध से सम्बन्धित खोजी पत्रकारिता आज भी जिंदा है। जिस समय गोरखपुर में हुई कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता की हत्या का मामला अधिकतर मीडिया हाउस में ठन्डे बस्ते में जाकर प्रकरण को क्राइम की नार्मल रनिंग स्टोरी में तब्दील कर दिया गया था उस समय गोरखपुर में एक कलम का शूरवीर अपनी कलम पर धार रखकर इस हत्याकांड की कड़ियाँ जुटा रहा था और उसमे वह सफल भी हुआ। गोरखपुर से अमर उजाला के लिए काम करने वाले रोहित सिंह ने अपनी रपट के माध्यम से एक बार फिर इस केस को सुर्खियों में ला दिया।

गौरतलब हो कि कानपुर के बर्रा निवासी कारोबारी मनीष गुप्ता 27 सितंबर की सुबह आठ बजे गोरखपुर अपने दो दोस्तों हरवीर व प्रदीप के साथ घूमने आए थे। तीनों तारामंडल स्थित होटल कृष्णा पैलेस के कमरा नंबर 512 में ठहरे थे। 27 सितंबर की रात ही रामगढ़ताल थाना प्रभारी इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह, फलमंडी चौकी प्रभारी रहे अक्षय मिश्रा सहित छह पुलिस वाले आधी रात के बाद होटल में चेकिंग को पहुंच गए थे। कमरे की तलाशी लेने पर मनीष ने आपत्ति जताई तो पुलिसकर्मियों से उनका विवाद हो गया।

आरोप है कि पुलिस वालों ने उनकी पिटाई कर दी थी जिससे उनकी मौत हो गई थी। शुरुआत में पुलिस की ओर से नशे में गिरने से मौत बताया था मगर बाद में हत्या का केस दर्ज किया गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मनीष के शरीर पर कई जगह चोट के निशान मिले। मनीष की पत्नी मीनाक्षी की तहरीर पर पुलिस ने तीन नामजद और तीन अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया, तब जाकर परिवार के लोग शव लेकर कानपुर रवाना हुए थे।

रोहित सिंह द्वारा संकलित और मेहनत का जुटाये गए साक्ष्यो के आधार पर अमर उजाला ने अपनी रपट प्रकाशित किया है। पढ़कर आपके भी दिल में सम्मान जाग उठेगा कि वाकई देश में कलम की सेवा करने वाले लोग आज भी जिंदा है। वो पुलिस के लिए अथवा थाने चौकी पर दलाली और मुखबिरी नही करके अपने कलम का फर्ज़ पूरा करते है। अमर उजाला ने अपनी रपट में दिखाया है कि गोरखपुर में कारोबारी मनीष गुप्ता को 27 सितंबर की रात जब पुलिसकर्मी कमरा नंबर 512 से बाहर लाए, तो उनके शरीर में कोई हरकत नहीं थी। इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह उस समय मौके पर मौजूद थे। जगत नारायण ने ही बेजान-से मनीष को दूसरे दरोगा और अन्य पुलिसकर्मियों के साथ लिफ्ट से नीचे भिजवाया। यह सब कयास नहीं, बल्कि होटल के अंदर की उस सीसीटीवी फुटेज का सच है, जो अब एसआईटी के कब्जे में है। इस फुटेज को कलेक्ट उस पत्रकार ने करके अपनी खबर में प्रमुखता से प्रकाशित किया है।

सीसीटीवी की यह फुटेज में साफ नजर आ रहा है कि रात 12 बजकर 10 मिनट पर तत्कालीन चौकी इंचार्ज अक्षय मिश्रा बेजान-से मनीष को कमरे से बाहर लेकर आए थे। इसके बाद वह नीचे उतर गए। साथ में मौजूद दूसरे दरोगा ने अन्य पुलिसकर्मियों व होटल के दो स्टॉफ से मनीष के हाथ-पैर पकड़वाकर होटल की लिफ्ट से नीचे उतरवाया था। घटना वाले दिन, 27 अक्तूबर की रात 12 बजे के आसपास इंसपेक्टर जगत नारायण सिंह चौकी प्रभारी फलमंडी अक्षय मिश्रा के साथ होटल कृष्णा पैलेस पहुंचे थे। कमरे में सवाल-जवाब के बीच जो भी हालत हुए हों, लेकिन सीसीटीवी फुटेज में होटल के कमरा नंबर 512 के बाहर का नजारा साफ है। इसमें दिखाई दे रहा कि रात 12 बजकर 10 मिनट पर पुलिसकर्मी मनीष का हाथ पैर पकड़कर कमरे से बाहर आ रहे हैं। कमरे से आगे आकर दाईं तरफ लकड़ी की अलमारी है। इससे चंद कदम आगे की तरफ लिफ्ट लगी है। कमरे से बाहर लाने के बाद पुलिसकर्मी  मनीष को आलमारी के पास ही लिटा देते हैं। इस समय मनीष के शरीर पर सिर्फ अंडरवियर थी। फोटो में इसे साफ देखा जा सकता है। इस बीच अक्षय मिश्रा नीचे की तरफ निकल जाते हैं। दूसरी तरफ कमरे से एक तौलिया लेकर दरोगा बाहर की तरफ आता है। इसी तौलिये को लपेटकर मनीष के शरीर को लिफ्ट के जरिए पुलिसकर्मी नीचे ले जाते हैं। देखकर लग रहा है कि, भारी होने की वजह से पुलिस के अलावा होटल के दो स्टॉफ ने मनीष के हाथपैर पकड़े, जबकि पास में खडे़ इंसपेक्टर जगत नारायण सिंह ने मनीष को हाथ लगाकर नीचे उतारने में सहयोग देना भी उचित नहीं समझा।

कमरे से नीचे लेकर आने पर लिफ्ट के बाहर अक्षय मिश्रा के अलावा अन्य दरोगा (जो अचेत मनीष को ऊपर से नीचे लेकर आया था) ने तौलिया मनीष की कमर से हटा दिया और रिसेप्शन के पास खड़े एक शख्स को दे दिया। फुटेज देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह होटल कर्मचारी या मनीष का ही दोस्त रहा होगा। जांच में पुलिस को एक खून से सना तौलिया भी मिला है। शायद मनीष को अस्पताल लेकर जाने के बाद, इसी तौलिये को वापस उस युवक ने कमरे में रख दिया होगा या हो सकता है कि इसी तौलिये से अंदर का खून साफ किया गया हो।

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