मुकेश यादव
मधुबन (मऊ)। परहित सरस धरम नहिं भाई पर पीड़ा नाही सम अधमाई गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में लिखा है कि मानवता की सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है। जहां लोग जाती पाती धर्म के नाम पर लड़ते मरते हैं वहां पर ऐसे लोगो को के लिए आईना दिखाने का काम किया, इस युवा समाज सेवी ने। तुलसीदास के उक्त लाइन को चरितार्थ कर दिखाया है, मधुबन थाना क्षेत्र के ढिलई फिरोजपुर निवासी समाजसेवी कलामुद्दीन उस्मानी ने।
इस संबंध में कमालुद्दीन का कहना है कि गरीबों और असहाय की मदद करने के पीछे हमारी मंशा यह है कि हमने अपने पिता से समाज सेवा के कार्य को सीखा है। मेरी सोच है कि जात धर्म से ऊपर उठकर, मैं लोगों की सेवा कर सकूं और इसी तर्ज पर समाज के ऐसे लोगों को भी आगे आना चाहिए, जिसको अल्लाह ताला ने धन दिया है वे गरीबो के मदद में लगाए। कंबल पाने वालों में सरिता, सुरेश, सुनैना, मैना, सुमित्रा, जमुनी देवी, पार्वती देवी, विनीता, वसंती, शांति, परवीन, प्रवीण, फुलवा राम, प्रवेश आदि लगभग 400 लोगों में कंबल वितरित किया गया।
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