लखीमपुर खीरी कांड : फारेंसिक जाँच में आया सामने कि आशीष मिश्रा के असलहे से हुई थी फायरिंग, सुप्रीम कोर्ट ने कहा ऐसा प्रतीत होता है कि ‘एक खास आरोपी’ को बचाने के लिए सुबूत जुटाए जा रहे हैं
फारुख हुसैन
लखीमपुर खीरी. कल सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए सख्त टिप्पणी की थी और कहा था कि लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) की जांच की निगरानी के लिए यूपी सरकार के बनाए गए न्यायिक आयोग पर उसे भरोसा नहीं है। अदालत ने एसआईटी जांच की स्टेटस रिपोर्ट पर भी गहरी नाराजगी जताई।
शीर्ष कोर्ट ने कहा, जांच में स्वतंत्रता और निष्पक्षता के लिए निगरानी दूसरे राज्य के हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा की जाए। मामले पर अगली सुनवाई 12 नवंबर को तय की गई है। शीर्ष कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने स्टेटस रिपोर्ट देखने के बाद जांच की धीमी गति पर भी असंतोष जताया। पीठ ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि ‘एक खास आरोपी’ को बचाने के लिए सुबूत जुटाए जा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट की इस सख्त टिप्पणी के बाद तीन अक्तूबर को लखीमपुर खीरी में किसानों को थार गाड़ी से कुचले जाने के मामले में अब एक नया खुलासा हुआ है। मामले में फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उपद्रव के दौरान हुई फायरिंग केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के पुत्र आशीष मिश्र के असलहे से हुई थी। गौरतलब हो कि इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने जांच दल पर किसी खास को बचाने की बात कहते हुए नाराजगी जाहिर की थी।
हिंसा में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हुई थी। रिपोर्ट में पुष्टि की गई है कि उपद्रव के दौरान आशीष मिश्र मोनू की रिवॉल्वर और उसके दोस्त अंकित दास की रिपीटर गन व पिस्टल से फायरिंग की गई थी। इस समय दोनों ही आरोपी लखीमपुर खीरी जिला जेल में बंद हैं। एएसपी अरुण कुमार सिंह ने कहा कि मामले से जुड़े जिन साक्ष्यों को जांच के लिए भेजा गया था उनकी रिपोर्ट आनी शुरू हो गई है। जिसके आधार पर आगे की जांच की जाएगी।