तारिक आज़मी
मासूम बच्चियों के साथ होती घिनौनी वारदातों को भले आप एक समाचार के तौर पर पढ़ कर अख़बार को किनारे रखते हुवे कहे, उफ़ बड़ा बुरा जमाना आ गया है, मगर ये तरबियत और सीरत का ही तो मामला है कि हम अपने बच्चो को अदब और तहजीब नही सिखा पा रहे है। एलकेजी की मासूम बच्ची के साथ कक्षा 9 में पढने वाले किशोर ने दुष्कर्म किया। किशोर को पुलिस ने भले गिरफ्तार कर लिया है। मगर रूह काँप जाती है इस तरबीयत को देख कर कि आखिर ये कहा हम आ गये है। पहले आपको घटना बताते चलते है फिर उसके बाद उस घटना से सम्बन्धित बकिया बाते किया जाये। घटना ऐसी है कि पत्थर के भी आँखों को नमी दे दे।
मां ने बताया कि मासूम के अनुसार स्कूल के ही एक छात्र ने उसके साथ क्लास रूम में उस वक्त दुष्कर्म किया जब सभी बच्चे लंच होने के कारण क्लास के बाहर खेल रहे थे। इस मामले की जानकारी होने के बाद मासूम की मां ने स्थानीय पुलिस को तहरीर दिया। जिसके बाद मुगलसराय कोतवाली में तहरीर के अनुसार मुकदमा दर्ज हुआ। मासूम बच्ची उस किशोर को जानती भी नही थी। पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया और जांच में जुट गई। आखिर पुलिस का प्रयास काम आया और गुजिस्ता जुमे को पुलिस ने छात्रा के जरिये आरोपी छात्र की पहचान पुख्ता किया। पहचान पुख्ता होने के बाद कल शनिवार की सुबह पुलिस ने आरोपी नौवीं कक्षा के 15 वर्षीय छात्र को विद्यालय से गिरफ्तार कर लिया। उसको विधिक कायवाही कर किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किया, जहां से उसे बाल सुधार गृह भेज दिया गया।
मुगलसराय कोतवाली क्षेत्र के जिस विद्यालय में छात्रा के साथ दरिंदगी हुई थी वहां लगे सीसी कैमरे पुलिस की जांच में खराब मिले। इसके अलावा विद्यालय के गेट पर कोई भी सुरक्षा गार्ड तैनात नहीं मिला। विद्यालयों में छात्राओं की सुरक्षा को लेकर बेपनाह की लापरवाही थी। वही शिक्षा विभाग ने इस विद्यालय को मान्यता कैसे दे दिया ये भी समझ के परे है। क्योकि विद्यालय कुल 4 कमरों का है ये बताया जा रहा है। छोटे से स्कूल में ऐसी घटना के घटित हो जाने पर सभी विद्यालय प्रबंधन पर सवालिया निशान लगा रहे है। मगर कई बाते और सवाल अधूरे है।
मासूम बच्ची के साथ क्या हुआ उसको शायद इसका अहसास भी नही होगा। वह अपनी तकलीफ तक किसी को नही बता पाई होगी। आप सिर्फ आरोपी छात्र के तरबियत और उसकी सीरत को देखे। महज़ 15 साल की उम्र में उसको कौन सी तरबियत किस मुकाम पर खड़ा किये हुवे है। उस उम्र के पड़ाव में जहा बच्चे खेलते कूदते और पढ़ते है यह किशोर ऐसा जघन्य अपराध का कलंक अपने माथे पर ले बैठा है। इस उम्र में यह सा कुछ बच्चो को पता ही नही होता है। फिर कैसी तरबियत परिजनों ने अपने इस बच्चे को दिया जिसको इतनी कुछ घिनौनी जानकारी हो गई। माँ बाप जिनको अपने बेटे की इस करतूत पर शर्मसार होना चाहिए वही माँ बाप अपने इस बेटे की ज़मानत के लिए पैरवी कर रहे होंगे।
आप सोचे इसको क्या कहेगे ? मंचो पर बड़ी भीड़ को संबोधित करते हुवे महिलाओं को ढंग के कपडे पहने की नसीहत देने वालो को सोचना होगा कि ये “सीरत का मामला है।” कितनी उम्र होगी मासूम की जिसके साथ ऐसी घटना को अंजाम दिया गया। मगर चार साल से भी कम होगी। आरोपी की उम्र भी ध्यान दे ले। महज़ 15 साल। मासूम का क्या कसूर रहा होगा। वो तो “भैया” कहती होगी इस किशोर को। मगर भैया किस तरीके का राक्षसों वाली तरबियत लेकर बैठा है उस मासूम को क्या पता होगा। घिन्न आती है ऐसी तरबियत पर जो अपने बच्चो को तहजीब न सिखा पाई होगी। ऐसे माँ बाप को सोचना होगा कि वो क्या तरबियत दे रहे है बच्चो को। सच बताऊ, शर्मनाक जैसे लफ्ज़ भी कम पड़ जायेगे। आखिर ये कहा आ गए हम ……..?
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