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सराहा जा रहा है अपर पुलिस कमिश्नर वाराणसी (आईपीएस) सुभाष चन्द्र दुबे द्वारा दिला अभ्यर्थियों को सलाह का वीडियो, मिल रही अभ्यर्थियों को नई राह

तारिक आज़मी

वाराणसी। अपर पुलिस कमिश्नर अपराध एवं मुख्यालय सुभाष चन्द्र दुबे वर्ष 2005 बैच के आईपीएस अफसर है। शिक्षा में एकेडमिक रिकार्ड रखने वाले सुभाष चन्द्र दुबे के अनुभवों का हर एक प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा अभ्यर्थी सफलता हेतु प्रयोग में ला सकता है। अभ्यर्थी वर्ग की इस आवश्यकता का अहसास कर आईपीएस सुभाष चन्द्र दुबे ने फेसबुक लाइव और यूट्यूब के माध्यम से अभ्यर्थियों को महत्वपूर्व सुझाव रविवार को दिए, जो इन अभ्यर्थियों के लिए काफी कारगर साबित हो रहा है।

प्रयागराज से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे एक अभ्यर्थी अनुराग दुबे ने हमसे बात करते हुवे कहा कि एक सफल व्यक्ति से मिले मार्गदर्शन से हौसलों को नई उड़ान मिलती है। आईपीएस सुभाष चन्द्र दुबे द्वारा सफलता के जो मंत्र टाइम मैनेजमेंट के सम्बन्ध में बताया गया वह काफी कारगर है। मैंने खुद उस नियमो के तहत अब अपना अध्यन शुरू किया है तो काफी फर्क महज़ दो दिनों में देखने को मिल रहा है। पढ़ाई का लोड भी कम हुआ है और साथ ही साथ विषयों पर सही समय भी दे पा रहा हु। अनुराग ने कहा कि आईपीएस सुभाष चन्द्र दुबे के द्वारा दिले मंत्र वास्तव में शिक्षा जगत में क्रांतिकारी है। पहली बार इस प्रकार से कोई सफल व्यक्ति हम सबको सिखाने का प्रयास कर रहा है।

बताते चले कि सुभाष चन्द्र दुबे ने रविवार को सोशल मीडिया पर लाइव होकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को संबोधित करते हुवे कहा था कि “सबके पास 24 घंटे ही है, लेकिन सफल आदमी इसी समय का प्रयोग अपनी सफलता के लिए करता है। इसलिये समय प्रबंधन ज़रूरी है। परिक्षा के पहले के 6 माह या 100 दिन की अवधी तय करे। इस दौरान विषयवार अनियमित तौर पर समय दे। सबसे पहले लक्ष्य का निर्धारण करे। रूचि आपकी जिस तरफ है आपका लक्ष्य और विषय भी वही होना चाहिए। इससे कामयाबी की राह आसन हो जाती है। उस विषय को सबसे पहले अपने रूटीन में शामिल करे जिसमे आपको कम जानकारी हो। जो स्मरण हो जाये उसे अपने अपने शब्दों में नोट करे।”

आईपीएस विकास चन्द्र दुबे के इस वीडियो को सोशल मीडिया पर काफी कामयाबी मिल रही है। इसकी जमकर तारीफ हो रही है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही शुभांगी अग्रवाल ने कहा कि मुझको इतिहास में काफी दिक्कत आती थी। इतिहास सच बताऊ तो डराता था, मगर अब बताये गए नुस्खो को इस्तेमाल किया है। थोडा रूचि बढ़ रही है। प्रदेश के और भी सफल लोग अपने अनुभव ऐसे बतायेगे तो हम जैसे स्टूडेंट्स को और भी मार्ग दर्शन मिलेगा।

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