तारिक़ आज़मी
वाराणसी की शान उस्ताद बिस्मिल्लाह खान साहब का आज वो लफ्ज़ याद आ रहा है जिसमे उन्होंने कहा था कि “हमने नमाज़े भी पढ़ी है, अये गंगा तेरे पानी से वजू करके।” आज गंगा का वो किनारा अपने धर्म निर्धारण के बाद शायद बिस्मिल्लाह साहब को बड़ी शिद्दत से तलाश रहा होगा। सूरज की लालिमा के साथ अपनी साँसों को शहनाई से आवाज़ देने वाले बिस्मिल्लाह साहब तो अब इस दुनिया में नही रहे। मगर अध्यात्म की नगरी काशी में अब गंगा घाटो का भी धर्म निर्धारित हो गया है। ऐसा हम नही कह रहे है, बल्कि गंगा घाटो पर हिंदूवादी संगठनो द्वारा लगाये गए पोस्टर कह रहे है।
मामले में सियासी प्रतिक्रियाओं का दौर भी जारी है। महामृत्युंजय मंदिर परिवार से जुड़े और समाजवादी पार्टी युवजन सभा के जिलाध्यक्ष किशन दीक्षित का कहना है कि वाराणसी में वैसे भी सभी लोग सभी धर्मों के धार्मिक स्थलों का सम्मान करते हैं। सामान्य तौर पर भी न कोई मुसलमान मंदिर में जाता है और न कोई हिंदू मस्जिद में जाता है। फिर इस तरह के बैनर लगाना अनुचित है। सपा नेता ने कहा कि बीजेपी के पास कोई मुद्दा नहीं बचा है। इसलिए अब धार्मिक ध्रुवीकरण कर समाज में माहौल खराब करने का प्रयास किया जा रहा है।
कोई विकास नही, कोई समाज की बात नही, सिर्फ नफरत फैला रहे है- सीताराम केशरी
कांग्रेस नेता सीताराम केशरी ने हमसे बात करते हुवे कहा कि वर्त्तमान सरकार केवल हिन्दू मुस्लिम कर रही है। कोई विकास नही, कोई समाज की बात नही। बस एक मुद्दा इनके पास है नफरत फैलाना और ये फैला रहे है। 80% लोगो को 20% लोगो का डर दिखा कर केवल वोट को अपने तरफ बदलना चाहते है। ये बेहद निंदनीय है। गंगा सभी की है। गंगा किसी धर्म विशेष की धरोहर नही है। ये केवल समाज का माहोल ख़राब करने का प्रयास किया जा रहा है। जनता दाल रोटी के लिए परेशान है।
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