तारिक़ आज़मी
लखीमपुर के तिकुनिया कस्बे में हुई हिंसा पर आज जाँच कर रही टीम ने 5 हज़ार पन्नो की चार्जशीट अदालत में पेश करते हुवे मंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र मोनू मिश्रा को मुख्य आरोपी बनाया है। बताते चले कि तिकुनिया कस्बे में हुई इस घटना में एक पत्रकार सहित कुल 8 लोगो की जान गई थी। इसी घटना पर जाँच कर रही टीम ने आज अदालत में पांच हज़ार पन्नो की चार्जशीट पेश करते हुवे, गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र मोनू मिश्रा को मुख्य आरोपी बनाया है।
वैसे हमको मालूम है कि राजनीत में न कोई परमानेंट दुश्मन होता है, और न परमानेंट दोस्त होता है। बयानों का क्या है आज दिया कल पलट गए। ये सब सियासत में चलता है। मगर जिस विश्वास के साथ अजय मिश्रा टेनी इस बात को कहते थे कि वह और उनका बेटा घटना स्थल पर मौजूद ही नही थे, अब वह विश्वास केवल जबानी बात रह गई है। क्योकि जाँच टीम ने इस बात को अपने चार्जशीट में माना है कि मुख्य आरोपी मोनू मिश्रा ही है।
अब अजय मिश्रा टेनी का पांच अक्टूबर 2020 को दिया बयान हमको याद आ रहा है जिसमे अजय मिश्र टेनी ने कहा था कि ‘मैं लगातार अपनी बात रख रहा हूं। हमारे पास यह साबित करने के सबूत हैं कि न तो मैं और ना ही मेरा बेटा घटनास्थल पर मौजूद थे। अगर मेरे बेटे की मौजूदगी का प्रमाण साबित हो जाए तो मैं अभी मंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा।’ सिर्फ बात इतनी ही नहीं है। इसके बाद आठ अक्टूबर को एक न्यूज चैनल से बात करते हुए टेनी ने कहा था, ‘पूरे मामले की निष्पक्षता के साथ जांच कराई जा रही है। राजनीतिक द्वेष की भावना से मुझे और मेरे बेटे को फंसाया जा रहा है। हमारे पास कई ऐसे सबूत हैं, जिससे यह साबित होता है कि मैं और मेरा बेटा घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे। घटनास्थल और कार्यक्रम स्थल से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी थी।’
अब इसी बयान को आधार माने तो लगता है मंत्री जी अपना वह सबूत पेश नही कर सके। वही दुसरे तरफ एसआईटी ने अपनी चार्जशीट में अजय मिश्र टेनी के बेटे को मुख्य आरोपी बनाया है। विपक्ष ने सड़क से लेकर संसद तक इस मामले को लेकर हंगामा किया था। राहुल गांधी ने कहा था कि अजय मिश्र टेनी को इस्तीफा देना होगा। यह लिखकर ले लो। संसद का शीतकालीन सत्र भी इसी के चलते हंगामेदार रहा। यूपी चुनाव भी नजदीक है। ऐसे में सरकार पर अजय मिश्र टेनी का इस्तीफा लेने का दबाव काफी ज्यादा बढ़ता जा रहा है।
वैसे इस बात में भी दम है कि अजय मिश्रा टेनी ने अपने बयान में कहा था कि अगर साबित हुआ कि वह और उनका बेटा घटना स्थल पर मौजूद रहे तो वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। अब बात ये है कि शायद वह अपने बयान से पलट जाए, ऐसा बकिया लोग मान रहे होंगे, मगर हम नही मानते है। हम जानते है कि मंत्री जी वचन के पक्के है। “मंत्री पद जाए मगर वचन न जाए” के तर्ज पर वो अपने वचन पर कायम रहेगे। हम तो मान रहे है, मगर हमारे कक्का है कि मानने को तैयार ही नही है। सुबहिये से उनका समझा रहे है कि कक्का मंत्री जी वचन के पक्के है। देखो मंच से कहा था न कि “दिखा दूंगा” तो दिखाया न। अब वचन की बात है तो वह वचन पर खरे उतरेगे।
मगर कक्का है कि कहते है हम न मानेगे। उनका कहना है कि मंत्री जी कहेगे कि मामला अभी अदालत में विचाराधीन है। पुलिस अथवा जाँच टीम फाइनल अथारिटी नही है। अदालत जब फैसला देंगी तब हम इस्तीफा देने की सोचेगे। बात तो कक्का की भी ठीक है। उनका कहा कैसे टाल सकते है। मगर ये बात भी साफ़ है कि अजय मिश्रा टेनी की मुश्किलें अब बढ़ेगी। क्योकि सरकार पर विपक्ष का दबाव बढ़ेगा और सरकार इस मुद्दे को हलके में लेने की गलती नही करेगी। यहाँ गौरतलब हो कि नाराज़ किसानो को मनाने के लिए सरकार पहले से ही लगी हुई है। ऐसे में अजय मिश्रा टेनी के कारण सरकार और भी किसानो की नाराज़गी नही झेलेगी।
अनिल कुमार डेस्क: अदालत ने प्रशांत किशोर को बिना शर्त जमानत दे दिया है। प्रशांत…
ईदुल अमीन डेस्क: छत्तीसगढ़ में माओवाद प्रभावित बीजापुर के कुटरू बेंद्रे मार्ग पर संदिग्ध माओवादियों…
आफताब फारुकी डेस्क: बीजेपी नेता रमेश बिधूड़ी के कथित आपत्तिजनक बयान पर सवाल पूछने पर…
अनिल कुमार डेस्क: जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने ज़मानत लेने से इनकार…
मो0 कुमेल डेस्क: सोमवार को तमिलनाडु विधानसभा सत्र शुरू होते ही राज्यपाल और सत्ता पक्ष…
सबा अंसारी डेस्क: पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के मुख्य अभियुक्त सुरेश चंद्राकर को छत्तीसगढ़…