ए0 जावेद
वाराणसी। वाराणसी नगर निगम की उदासीनता की कहानी शहर के हर तरफ देखने को मिल रही है। कही गन्दगी तो कही टूटी गलियाँ। इसमें सबसे अधिक शहर को नरकीय स्थिति में ढकेलने के अगर ज़िम्मेदारी तय किया जाए तो जलकल विभाग के ऊपर ज्यादा दिखाई देगी। शहर का शायद कोई ऐसा इलाका होगा जो सीवर की समस्या से ग्रसित न हो। यहाँ तक कि शहर के ह्रदयस्थलिय में गिना जाने वाला गोदौलिया चौराहा भी इसकी उदासीनता पर आज आंसू बहा रहा है।
यह कोई पहली बार नही है कि सीवर का पानी यहाँ सडको पर टहलने निकला हो। क्षेत्रीय नागरिको की माने तो अकसर ही सीवर का पानी सड़क पर टहलने निकल पड़ता है। दो दिनों से लेकर कभी कभी दो हफ्तों तक सम्बन्धित विभाग इसका संज्ञान नही लेता है। प्रधानमन्त्री के संसदीय क्षेत्र की इस स्थिति को यहाँ के आने वाले पर्यटक क्या छवि लेकर जाते होगे ये सोचनीय विषय है। अब देखना होगा कि आखिर कब तक इस समस्या का जड़ से निदान होता है। या फिर हर बार की तरह बस खानापूर्ति होकर थोड़े वक्त के लिए समस्या का निस्तारण हो जाता है।
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