आफताब फारुकी
डेस्क। करहल विधानसभा से कांग्रेस ने समाजवादी मुखिया अखिलेश यादव को एक प्रकार से वाकओवर दे दिया है। करहल से कांग्रेस की घोषित प्रत्याशी का नामांकन आज दाखिल नही हुआ है। इस प्रकार माना जा रहा है कि ये कांग्रेस द्वारा अखिलेश यादव को एक प्रकार का वाकओवर है। जिसके बाद अब सीधा मुकाबला सपा बनाम भाजपा हो गया है।
बताया जा रहा है कि कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय से ज्ञानवती यादव को फोन करके करहल विधानसभा क्षेत्र से नामांकन नहीं करने के निर्देश दिए। इस संबंध में कांग्रेस जिलाध्यक्ष सहित कार्यवाहक जिलाध्यक्ष को भी सूचना दी गई। जिलाध्यक्ष और कार्यवाहक जिलाध्यक्ष ने भी करहल विधानसभा क्षेत्र से घोषित प्रत्याशी ज्ञानवती यादव को हाईकमान के निर्णय की सूचना दे दी। कांग्रेस के प्रदेश महासचिव प्रकाश प्रधान ने कहा कि समाजवादी पार्टी ने अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस प्रत्याशियों के सामने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं। कांग्रेस हाईकमान ने भी मैनपुरी की करहल और इटावा की जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र से अपने पूर्व घोषित प्रत्याशियों से नामांकन नहीं कराया है। दोनों जिलों की शेष विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस ने पूर्व घोषित प्रत्याशियों से नामांकन करा दिए हैं।
यहाँ ध्यान देने वाली बात है कि करहल विधानसभा में कुल मतदाता- 371261 है। जिसमे पुरुष 201394 तथा महिला 169851 मतदाता है। वही अन्य 16 मतदाता भी है। अब अगर जातिगत बात किया जाये तो इस सीट पर सबसे अधिक यादव मत है। यहाँ यादव 1।25 लाख, शाक्य 35 हजार, बघेल 30 हजार, क्षत्रिय 30 हजार, एससी- 22 हजार, मुस्लिम 18 हजार, ब्राह्मण 16 हजार, लोधी 15 हजार और वैश्य 15 हजार मतदाता है। एक तरफ जहा यादव और मुस्लिम मतों को नज़र में रखकर सपा इस सीट को सुरक्षित समझती है। वही भाजपा ने दुसरे वोट बैंक बघेल, शाक्य, क्षत्रिय और ब्राह्मण मतो के साथ एससी मतो पर भी अपनी नज़र रख रखा है। अब अगर इनकी गणना करे तो ये मत 1 लाख 35 हज़ार के करीब होते है।
भाजपा इन मतो को अपना परम्परागत मत मानती है। जातिगत समीकरण को देखते और मुलायम परिवार से पूर्व में करीबी रहे एसपी बघेल को टिकट देकर भाजपा इस सीट पर अखिलेश के राह में काँटा बिछा रही है। मगर दूसरी तरफ आज जब कांग्रेस ने अखिलेश को वाकओवर दिया है तो उसको भाजपा नुक्सान के नज़रिए से देख रही है। क्योकि कांग्रेस प्रत्याशी के मैदान में होने से यादव मतो पर सेंध लगती। अब यादव मतो पर भाजपा खुद सेध लगाने की कोशिश जारी कर चुकी है। नतीजा तो 10 मार्च को आना है मगर इस सीट पर अखिलेश की राह आसान नही दिखाई दे रही है।
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