National

लता मंगेशकर: तुमको न भूल पायेगे, खामोश हुई स्वर कोकिला की आवाज़, दो दिन का राष्ट्रीय शोक हुआ घोषित

शाहीन बनारसी

डेस्क। स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने आज सुबह सबको अलविदा कहते हुए इस दुनिया-ए-फानी से रुखसत लिया। सुरों की मल्लिका और भारत रत्न से सम्मानित लता मंगेशकर कोरोना संक्रमित हो गई थी। उनकी हालत कई दिनों से ख़राब चल रही थी। जिसके चलते उन्होंने आज अपने चाहने वालो के आँखों में आंसू देते हुए अलविदा दुनिया को अलविदा कह दिया। बताते चले कि लता मंगेशकर को कोरोना के साथ-साथ निमोनिया भी हो गया था।

वह मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थीं। यहां उन्हें आईसीयू में रखा गया था। फैंस भी उनके लिए दुआ मांग रहे थे, लेकिन वह हर किसी को रोता-बिलखता छोड़कर चली गईं।  खराब स्वास्थ्य की समस्या से जूझ रहीं महान गायिका लता मंगेशकर का रविवार की सुबह 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनकी बहन उषा मंगेशकर ने यह जानकारी दी। वह पिछले करीब एक महीने से मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थीं। जानकारी के अनुसार सुबह 8।12 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। आठ जनवरी को वह कोरोना संक्रमित हुई थीं।

अपने लगभग 78 साल के करियर में करीब 25 हजार गीतों को अपनी आवाज देने वाली लता मंगेशकर को कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया था। तीन बार उन्होंने राष्ट्रीय अवार्ड अपने नाम किया था। अपनी मधुर आवाज से लोगों को मोह लेने वाली लता मंगेशकर को प्रतिष्ठित भारत रत्न और दादा साहेब फालके अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने लता मंगेशकर के निधन पर शोक व्यक्त किया है। नितिन गडकरी ने एक ट्वीट में लिखा, ‘देश की शान और संगीत जगत की सिरमौर स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर का निधन बहुत ही दुखग है। पुण्यात्मा को मेरी भावभीनी श्रद्धांजलि। उनका जाना देश के किए अपूरणीय क्षति है। वे सभी संगीत साधकों के लिए सदैव प्रेरणा थीं।’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं अपना दुख शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता हूं। दयालु और स्नेही लता दीदी हमें छोड़कर चली गई हैं। वह हमारे देश में एक खालीपन छोड़ गई है जिसे भरा नहीं जा सकता। आने वाली पीढ़ियां उन्हें भारतीय संस्कृति के एक दिग्गज के रूप में याद रखेंगी, जिनकी सुरीली आवाज में लोगों को मंत्रमुग्ध करने की अद्वितीय क्षमता थी।

pnn24.in

Recent Posts

शम्भू बॉर्डर पर धरनारत किसान ने सल्फाश खाकर किया आत्महत्या

तारिक खान डेस्क: खनौरी और शंभू बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों का सब्र का…

13 hours ago

वर्ष 1978 में हुवे संभल दंगे की नए सिरे से होगी अब जांच, जाने क्या हुआ था वर्ष 1978 में और कौन था उस वक्त सरकार में

संजय ठाकुर डेस्क: संभल की जामा मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद के बीच उत्तर…

15 hours ago