टिकट बटवारे के बाद क्या वाराणसी में सियासी ज़मीन खो बैठी है कांग्रेस? सूत्र बता रही है कि लग सकता है वाराणसी में कांग्रेस को जोर का झटका

तारिक़ आज़मी

वाराणसी की सभी सीट पर कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए है। बहुप्रतीक्षित सीट वाराणसी की दक्षिणी विधानसभा से मुदिता कपूर और कैंट विधानसभा से पूर्व सांसद राजेश मिश्रा को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है। शहरी सीटो की बात करे तो वाराणसी के उत्तरी से विधायक रह चुके सफियुर्रह्मन की पुत्रवधू को टिकट देकर कांग्रेस ने उत्तरी की लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है। उत्तरी से कल शाम को उडी अफवाहों पर पूर्ण विराम लगाते हुवे कांग्रेस द्वारा घोषित प्रत्याशी ने स्पष्ट किया कि वह चुनाव लड़ेगी और अपने ससुर के अधूरे कार्यो को पूरा करेगी।

बेशक सफियुर्रह्मान के परिवार की सामाजिक प्रतिष्ठा उत्तरी विधानसभा में काफी है। जिसका फायदा कांग्रेस को मिलता अभी तो दिखाई दे ही रहा है, मगर सवाल यहाँ फिर एक और खडा होता है कि सपा ने अभी तक प्रत्याशी घोषित नही किया है। यदि जिस प्रकार के अनुमान लगाये जा रहे है वैसा कुछ रहा तो फिर लड़ाई त्रिकोणीय होने की संभावना काफी दिखाई दे रही है। इन सबके बीच कांग्रेस पूर्वांचल में सबसे अधिक मजबूत वाराणसी में रही है। मगर इस बार हुवे टिकट के बटवारे के बाद से सबसे बड़ा पार्टी के अन्दर विरोध कांग्रेस को वाराणसी में ही देखना पड़ रहा है। ये विरोध खासतौर पर दक्षिणी और कैंट विधानसभा के टिकट को लेकर सामने आ रहा है।

टिकट की घोषणा होने के तुरंत बाद ही प्रत्याशियों के विरोध की बाते सामने आने लगी। पहला विरोध जहा पुराने कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं ने सड़क पर उतर का दिखाया और दक्षिणी विधानसभा की प्रत्याशी का विरोध किया वही कैंट विधानसभा के प्रत्याशी के विरोध में लल्लापुरा क्षेत्र पुतलादहन का साक्षी बन गया। प्रत्याशी का पुतला फुकने वाले कांग्रेसियों का कहना था कि टिकट का बटवारा सही नही हुआ है और हमारा संघर्ष बेकार जा रहा है। उनकी बाते पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक नही पहुच रही है। वैसे कैंट विधानसभा से दो बार की रामनगर से चेयरमैन रेखा शर्मा टिकट मांग रही थी।

कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने जो चुनावी गणित जोड़ा उसके अनुसार रेखा शर्मा जिस क्षेत्र से आती है वह क्षेत्र 35 हजार वोट का एक बड़ा पाकेट होने के कारण काफी दिलचस्प लड़ाई का जरिया बन जाता और भाजपा को रोक सकता था। मगर रेखा शर्मा के जगह राजेश मिश्रा के आने से सियासी गणित कार्यकर्ताओं को गड़बड़ दिखाई दे रही है। वही कैंट विधानसभा के लिए अभी तक सपा ने अपना पत्ता नही खोला है। जिसके कारण असमंजस की स्थिति अभी भी है। वैसे पार्टी में व्याप्त चर्चाओं और अपने सूत्रों की माने तो कैंट से सपा शायद इस बार किसी अल्पसंख्यक प्रत्याशी पर दाव लगाये। अगर ऐसा होता है तो फिर कांग्रेस की जेब कितनी भरेगी वह आसानी से समझा जा सकता है।

दक्षिणी विधानसभा प्रत्याशी का है ज़बरदस्त विरोध

कांग्रेस ने दक्षिणी विधानसभा के मुदिता कपूर को टिकट दिया है। मुदिता सियासत में कोई जाना पहचाना नाम न होने के कारण सभी के लिए एक अचम्भे की वजह बन गई। कुछ समय के बाद ही कांग्रेसी सड़क पर उतर आये और अपना विरोध प्रदर्शन किया। विरोध करने वाले इस टिकट पर सबसे अधिक अचंभित थे। दक्षिणी सीट के प्रत्याशी का आज भी कांग्रेसी विरोध कर रहे है। उनका कहना है कि मुदिता को टिकट देकर पार्टी ने कही न कही से भाजपा को वाक ओवर दे दिया है।

दरअसल, वाराणसी दक्षिणी सीट को भाजपा का अभेद किला माना जाता था, मगर इस बार सभी पार्टी इस सीट पर भाजपा की राह को मुश्किल करना चाहती थी। इस सीट के लिए कांग्रेस टिकट पर बड़ी दावेदारी सीता राम केसरी की थी। सीताराम केसरी विगत 22 वर्षो से गोला दीना नाथ के पार्षद है। ये क्षेत्र संघ का गढ़ माना जाता है। इसके बाद भी कांग्रेस के टिकट से सीता राम केसरी लगातार चुनाव जीते है। व्यापारी वर्ग में भी सीता राम केसरी की बड़ी पकड़ है। कांग्रेसी मानते है कि सीता राम केसरी को टिकट न देकर कही न कही से भाजपा को वाक ओवर दे दिया गया है। भाजपा इस सीट पर अपनी राह अब आसन समझ रही है। वही सीता राम केसरी के चुनाव मैदान में आने के बाद समीकरण कुछ अलग ही रहता। मगर अब वही कांग्रेस में बगावत के बिगुल फुक चुके है। सीता राम केसरी की माने तो अगर महिला प्रत्याशी ही उतारना था तो फिर पूनम कुंडू क्यों नही?

क्या लगेगा वाराणसी में कांग्रेस को बड़ा झटका

कांग्रेस को अमरोहा और बरेली में ज़बरदस्त झटका लग चूका है। अमरोहा में तो कांग्रेस प्रत्याशी ने आखिरी मिनट में कांग्रेस का दामन छोड़ दिया। वही बरेली में टिकट मिलने के बाद कांग्रेस प्रत्याशी ने कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया। ऐसे कोई झटके इसके पहले किसी राजनितिक दल को नही लगे थे। ये बड़ी सियासी घटनाओं में से एक मानी जा रही है। मगर सूत्रों की माने तो कांग्रेस को वाराणसी में बड़ा झटका लग सकता है। टिकट बटवारे से नाराज़ कांग्रेस के कुछ नेता अन्य दलों के संपर्क में है। वही सूत्रों का कहना है कि वाराणसी जनपद में कांग्रेस बड़े झटके की तरफ अग्रसर है और कभी भी ये बड़ा झटका उसको लग सकता है। सूत्रों के अनुमान को माने तो 21 से 26 फरवरी तक कांग्रेस को ये झटका महसूस हो सकता है।

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