शाहीन बनारसी
वाराणसी। वाराणसी में विधानसभा चुनावों के मतदान खत्म हो गए है। कई एग्जिट पोल आपके सामने चंद लम्हों में आने वाले है। मगर इस दरमियान अगर वाराणसी की शहरी सीट पर नज़र दौडाए तो भाजपा को कड़ी टक्कर मिलती दिखाई दे रही है। ख़ास तौर पर बड़ा झटका वाराणसी के उस सीट पर भाजपा को मिलता दिखाई दे रहा है, जहा भाजपा पिछले तीन दशक से अपना वर्चस्व बनाये हुवे है। आइये वाराणसी शहर के तीन सीट पर हुवे मतदान में जनता द्वारा मिलते रुझान को देखते है।
शहर उत्तरी
शहर उत्तरी में जहा भाजपा ने अपने सीटिंग विधायक रविन्द्र जायसवाल को टिकट दिया है। वही सपा ने उनके मुकाबले अशफाक अहमद डब्लू को उतारा है। आम आदमी पार्टी ने जहा डॉ आशीष जायसवाल को अपना प्रत्याशी बनाया तो कांग्रेस से टिकट मांग रहे हरीश मिश्रा को एआईएमआईएम ने अपना प्रत्याशी बनाया था। इस सीट पर एक तरफ जहा त्रिकोणीय मुकाबले की बात सामने आ रही थी। मगर चुनाव में पोलिंग के दिन ये मुकाबला आमने सामने का दिखाई दे रहा है।
कैंट विधानसभा
कैंट विधानसभा में भी भाजपा की राह आसान नही दिखाई दे रही है। यहाँ विधायक सौरभ श्रीवास्तव भाजपा के टिकट से अपना विजय सफ़र जारी रखने के लिए उतरे थे। उनकी ये विजय रथ रोकने के लिए सपा ने पूजा यादव और कांग्रेस ने पूर्व सांसद राजेश मिश्रा को चुनाव मैदान में उतारा है। इस सीट पर मुस्लिम मतदाता गेम चेंजेर की भूमिका में दिखाई देते है।
इस सीट पर भी टक्कर कांटे की दिखाई दे रही है। यहाँ पूजा यादव ने जिस प्रकार से जमकर चुनाव लड़ा है वैसे ही डॉ राजेश मिश्रा ने भी चुनाव लड़ा है। दोनों ही दलों के द्वारा मिली टक्कर में भाजपा का नुक्सान दिखाई दे रहा है। यदि जैसा सीन दिखाई दे रहा है वैसा ही रहा तो इस सीट पर कांटे की टक्कर त्रिकोणीय मुकाबले में दिखाई दे रही है। मगर इन सबके बीच इस कांटे की टक्कर का फायदा भाजपा को मिल सकता है। अगर भाजपा ने अपने मतदाताओं को पहले जैसे समेटा है तो फिर भाजपा की जीत दिखाई दे रही है। मगर अगर इसके उलट अगर त्रिकोणीय तगड़ा मुकाबला हुआ है तो इसका फायदा भाजपा को मिलता दिखाई दे रहा है।
दक्षिणी विधानसभा सीट
वाराणसी दक्षिणी विधानसभा सीट पर योगी सरकार के मंत्री नीलकंठ तिवारी चुनाव मैदान में है। ये सीट भाजपा के लिए थोडा महत्वपूर्ण इस कारण से भी है क्योकि इसी सीट के क्षेत्र में विश्वनाथ कारीडोर भी बना हुआ है। इस विश्वनाथ कारीडोर को भाजपा ने अपनी सफलता के तौर पर पुरे चुनाव में पेश किया था। जिसकी चर्चाये भी काफी रही।
इस सीट पर कांग्रेस ने मुदिता कपूर को चुनाव मैदान में उतारा था तो आम आदमी पार्टी ने दो बार के पार्षद रहे अजीत सिंह को चुनाव मैदान में उतारा था। वही सपा ने आखरी लम्हों में महामृत्युंजय मंदिर के महंत और समाजवादी संघर्ष का पूर्वांचल में बड़ा नाम रहे किशन दीक्षित को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा था। एआईएमआईएम ने परवेज़ कादरी को मैदान में उतारा था तो बसपा ने दिनेश कसौधन को टिकट दिया था। मतदान के पूर्व ही इस सीट पर कांटे की टक्कर दिखाई दे रही थी।
मगर आज चुनाव में मतदान के समय जो अनुमान लगाया जा रहा है वह भाजपा को एक बड़ा झटका देता दिखाई दे रहा है। इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी को सबसे अधिक नुक्सान आम आदमी पार्टी के अजीत सिंह द्वारा दिया जाता दिखाई पड़ रहा है। इस सीट पर मुकाबला वैसे तो आमने सामने का भाजपा और सपा का दिखाई दिया है। मगर आम आदमी पार्टी के द्वारा भी काफी अच्छे तरीके से टक्कर दिए जाने का नुक्सान भाजपा को होता दिखाई दे रहा है। वही भाजपा के नाराज़ वोटर्स को भाजपा ने मना लिया ऐसा दिखाई तो नही दे रहा है। जो आज दिखाई दे रहा है अनुमान में वह भाजपा के लिए एक जोर का झटका समझ में आ रहा है। आज जिस प्रकार से भाजपा के नाराज़ मतदाता दिखाई दिए और उनका रुझान सपा के तरफ दिखाई दिया वह भाजपा के लिए अच्छे संकेत तो नही दिखाई दे रहा है।
इस दरमियान अल्पसंख्यक मतों का रुझान सपा के तरफ होने और ब्राह्मण मतों में विभाजन भाजपा को नुक्सान पहुचाता दिखाई दे रहा है। दुसरे तरफ सर्राफा मतदाताओं का अधिकतर रुझान आम आदमी पार्टी के तरफ दिखाई दिया। इस आकड़ो को देख कर भाजपा को झटका तो दिखाई दे रहा है। वही दूसरी तरफ एआईएमआईएम जिस प्रकार से दावा कर रही थी। मगर मतदाताओं एक रुझान बता रहे है कि परवेज़ कादरी चुनावो में बहुत कुछ नही कर पाए है और अपने पुराने व्यक्तिगत परफार्मेंस पर ही वह खड़े दिखाई दे रहे है। इन सभी को देखे तो भाजपा को बड़ा झटका इस सीट पर मिलता तो दिखाई दे रहा है। अगर भाजपा इस सीट पर जीत भी हासिल करती है तो जीत का अंतर बहुत ही कम होगा।
नोट:- यह चुनावी विश्लेषण मतदाताओं से बातचीत और विचार विमर्श के बाद निकला है। यह आंकलन के सही अथवा गलत होने का हम दावा नही कर सकते है। अंतिम चुनाव परिणाम इसके उलट भी हो सकते है। 10 मार्च को आने वाले चुनावी नतीजे स्थिति साफ करेगे।
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