संजय ठाकुर
डेस्क: केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में आज और कल जो भारत बंद बुलाया गया है, अब उसका असर देश के ज्यादातर इलाकों में साफ दिखने लगा है। इस बंद को अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ का भी समर्थन मिल रहा है। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के एक संयुक्त मंच द्वारा राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया है। ये हड़ताल श्रमिकों, किसानों और लोगों को प्रभावित करने वाली सरकारी नीतियों के विरोध में की जा रही है।
बीजेपी के पांच में से चार राज्यों में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद यह पहली ऐसी हड़ताल है, जिसमें सरकारी नीतियों का विरोध किया जा रहा है। हाल ही में संपन्न हुए 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने चार राज्य में शानदार जीत हासिल कर अपनी सरकार बनाई। इस हड़ताल में बैंक कर्मचारी भी हिस्सा ले रहे हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्राइवेटाइजेशन की सरकार की योजना के साथ-साथ बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक 2021 के विरोध में बैंक यूनियन हड़ताल में शिरकत कर रही है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन पर कम ब्याज दर, ईंधन की बढ़ती कीमत इस बंद के मुख्य कारणों में से एक हैं।
पश्चिम बंगाल में, भले ही ट्रेड यूनियनों को सड़कों पर विरोध करते देखा जा सकता है, लेकिन राज्य सरकार ने सभी कार्यालयों को खुले रहने और कर्मचारियों को ड्यूटी पर आने के लिए कहा है। भाकपा सांसद बिनॉय विश्वम ने राज्यसभा में नियम 267 के तहत निजीकरण नीतियों के विरोध में देश भर के श्रमिकों द्वारा बुलाई गई दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल को लेकर निलंबन का नोटिस दिया। भारतीय मजदूर संघ के अलावा लगभग सभी ट्रेड यूनियन हड़ताल में भाग ले रहे हैं। संसद में, माकपा सांसद बिकाशरंजन भट्टाचार्य ने दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए नियम 267 के तहत राज्यसभा में कार्य स्थगित करने का प्रस्ताव पेश किया है।
भारत बंद को अखिल भारतीय असंगठित कामगार और कर्मचारी कांग्रेस की तरफ से समर्थन मिला है। कांग्रेस की तरफ से कहा गया है कि राहुल गांधी बंद में शामिल वर्गों की मांगों के पक्ष में अपनी बात रखते रहे हैं। बंगाल सरकार ने 28 और 29 मार्च को किसी भी कर्मचारी को कोई आकस्मिक अवकाश या आधे दिन की छुट्टी देने से साफ मना किया है। सरकार ने कहा कि यदि कोई कर्मचारी छुट्टी लेता है, तो इसे आदेश का उल्लंघन माना जाएगा और इसका असर उसके वेतन पर भी पड़ेगा।
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