आफताब फारुकी
डेस्क। आंध्र प्रदेश में इंसानियत को झकझोर देने वाली वारदात सामने आई है। जिसे सुनकर शैतान की भी रूह कांप उठे। इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली दरिंदगी का एक खतरनाक चेहरा सामने आया है। 13 साल की मासूम बच्ची के साथ 80 लोगो ने दुष्कर्म किया है। मासूम नाबालिग बच्ची को अपनी हवस का शिकार बनाने वाले को तो जानवर भी नहीं कहा जा सकता है क्योकि इन जालिमो को जानवर कहना भी जानवरों का अपमान होगा। 13 साल की मासूम बच्ची जो शायद जानती भी नहीं होगी कि दुष्कर्म होता है क्या है। ऐसी मासूम सी बच्ची को अपनी हवस का शिकार इन इंसान के रूप में 80 भेडियो ने बना डाला।
आंध्र पुलिस ने उसे वहां से मुक्त कराकर बड़ा उपकार किया है। इससे भी बड़ा उपकार उन सभी 80 दरिंदों की गिरफ्तारी का है, जिन्होंने अपनी अबोध बेटी जैसी उम्र की पीड़िता से दुष्कर्म किया। पुलिस फरार आरोपियों की भी तलाश कर रही है, ताकि पीड़ितों को तथाकथित न्याय दिलाया जा सके। पुलिस का कहना है कि आठ माह के दौरान 80 से ज्यादा लोगों ने उस मासूम के साथ मुंह काला किया। पुलिस के अनुसार आरोपियों में एक बीटेक का छात्र भी है। उसने भी अपनी उच्च शिक्षा का परिचय इस घृणित कार्य में दिया। बच्ची ने पुलिस को अपने साथ हुई दरिंदगी की पूरी दास्तां सुनाई। यह सुनकर पुलिसकर्मी भी हैरान रह गए।
दरअसल, सवर्ण कुमारी नाम की एक महिला ने जून 2021 में कोविड-19 महामारी के दौरान एक अस्पताल में पीड़िता की मां से दोस्ती की थी। इसके बाद पीड़िता की मां की कोविड-19 के कारण मृत्यु हो गई थी। इसी दौरान पीड़िता को उसके पिता को बताए बगैर उक्त महिला अपने साथ ले गई थी। अगस्त 2021 में लड़की के पिता ने पुलिस से संपर्क किया और शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मुख्य आरोपी सवर्ण कुमारी की तलाश की। मामले में पहली गिरफ्तारी जनवरी 2022 में हुई थी। 19 अप्रैल को गुंटूर पश्चिम क्षेत्र पुलिस ने बीटेक के एक छात्र सहित 10 और गिरफ्तारियां कीं और पीड़िता को भी मुक्त करा लिया।
उक्त सभी आरोपियों को उनके किए की सजा मिलेगी, लेकिन अनगिनत सवाल अनुत्तरित हैं। उनके उत्तर पुलिस, सरकारों, समाज, अभिभावकों को देना चाहिए। सवाल यह है कि यह बच्ची आखिर किन हाथों से होते हुए वेश्यालयों तक पहुंची? कौन लोग हैं, जिन्होंने उसे समाज के भेड़ियों तक पहुंचाया? वेश्यालय का धंधा किसकी शह पर होता है? क्या पुलिस व प्रशासन का तंत्र इन पर लगाम लगाने में विफल है? देवियों को पूजने वाले इस देश में आखिर कब तक ये ललनाएं हवस का शिकार बनेंगी? तमाम अभियान, महिला विकास के विभाग व संगठन कैसे इसे रोकेंगे? पोक्सो एक्ट बना देने से काम नहीं चल रहा है तो क्या दूसरे उपायों पर विचार होगा? पोक्सो में मृत्यदंड की सजा पाए दोषियों को आखिर कब फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा, ताकि ऐसे दरिंदों में भय बैठे? समाज का नैतिक पतन कैसे रोका जाएगा? आखिर उस बच्ची का पुनर्वास कैसे होगा? क्या वह दोबारा इसकी शिकार तो नहीं होगी? महिलाओं के प्रति समाज का नजरिया कैसे बदलेगा?
मो0 कुमेल डेस्क: बुलडोज़र से किसी का आशियाना या घर तोड़ने से पहले सरकार या…
मोनू अंसारी डेस्क: हिजबुल्लाह ने दावा किया है कि उसने इसराइल के कई इलाको पर…
अबरार अहमद प्रयागराज: ब्लॉक श्रृंगवेरपुर के मोहिद्दीनपुर गांव में बंदरों आतंक लगातार जारी है जिसकी…
तारिक आज़मी वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद की देख रेख करने वाली तंजीम अन्जुमन इन्तेज़मियां मसाजिद कमेटी…
कल्पना पाण्डेय इतने सालों बाद हमे शर्म से ये स्वीकार कर लेना चाहिए कि धार्मिक…
तारिक खान डेस्क: एक कलाम का मिसरा है कि 'झुकती है दुनिया, झुकाने वाला चाहिए।'…