ईदुल अमीन
वाराणसी: हमारी खबर ने त्वरित असर दिखाया और खबर प्रकाशन के साथ ही कैंट पुलिस के कचहरी चौकी इंचार्ज विनोद कुमार मिश्र ने नगर निगम प्रवर्तन दल के साथ कचहरी क्षेत्र स्थित बुचड खाने के पास दबंग फकरू और अल्फी बाबा द्वारा अवैध निर्माण को न केवल रुकवा दिया। बल्कि त्वरित कार्यवाही करते हुवे अब तक हुआ अवैध निर्माण भी ध्वस्त कर दिया। इस दरमियान दूर से खड़े होकर फकरू और अल्फी बाबा अवैध कब्ज़े के अपने अरमानो पर पानी फिरता हुआ देखते रहे।
बताते चले कि कैंट थाना क्षेत्र स्थित पक्की बाज़ार बुचडखाने के पास नगर निगम की अराजी नम्बर 583 और 653 पर शाही नाला है। यह संपत्ति नजूल की सार्वजनिक संपत्ति है जिसकी इस समय बाज़ार कीमत करोडो में आंकी जाती है। इस संपत्ति को लेकर भू-माफियाओ ने काफी समय से मुह में तेल लगा रखा था कि कब कटहल पके और कब हम खाए। करोडो की संपत्ति पर नज़र गाड़े बैठे भूमाफियाओ ने इसको कब्ज़ा करने के लिए किसी अज्ञात संपत्ति की रजिस्ट्री करवा लिया और कही पर निगाहें कही पर निशाना की तर्ज पर इस संपत्ति को कब्ज़ा करने के लिए लालच भरी नज़र से देख रहे थे।
मगर ये दबंग माफिया भी कहा मानने वाले थे। इस प्रकरण में दुबारा उन्होंने कोशिश किया और दुबारा से इस करोडो की संपत्ति पर कब्ज़ा करने की कोशिश फरवरी माह में हुई। जब इस सार्वजनिक रास्ते को दुबारा कब्ज़ा करने की कोशिश हुई। इस कोर्शिश को 112 के ईमानदार सिपाहियों ने ही विफल कर दिया था और सख्ती दिखाते हुवे काम को तुरंत रुकवा दिया था। महज़ दो ईमानदार सिपाहियों ने ही भूमाफियाओ को पटखनी दे दिया था। इसके बाद भी ये दोनों दबंग माने नही और अगर बनारसी भाषा में कहे तो जबर बेहयाई पर उतारू होते हुवे दुबारा कल बृहस्पतिवार से अवैध निर्माण करवाना शुरू कर दिया था। जिसके सम्बन्ध में हमारे द्वारा खबर का प्रकाशन करते हुवे कैंट पुलिस पर सवाल उठाये गए थे।
हमारी खबर का संज्ञान लेते हुवे वाराणसी नगर निगम और वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट ने मामले में तत्काल कार्यवाही शुरू किया। इस क्रम में कचहरी चौकी इंचार्ज विनोद कुमार मिश्र ने नगर निगम प्रवर्तन दल से संपर्क किया और मौके पर खुद खड़े होकर नगर निगम प्रवर्तन दल से भूस्थिति को नपवा कर हुवे अवैध निर्माण को रोकते हुवे अब तक हो चुके अवैध निर्माण को ज़मीदोज़ कर दिया गया। कचहरी चौकी इंचार्ज के इस जज्बे को देख कर दबंग फकरू और अल्फी बाबा की दबंगई धरी की धरी रह गई। सूत्र बताते है कि दोनों मौके पर तो नही आये मगर दूर से बैठ कर अपने दबंगई के ज़रिये अपने अरमानो को टूटते हुवे देखते रहे।
शायद अल्फी बाबा को समझ आ गया होगा कि उसके होटल पर पुलिस वाले खाना खाते है तो पैसे देकर खाते है। नियमो से खेलने की परमिशन वह किसी किसी को नही देंगे। 2012 में भी अल्फी बाबा का खेला कामयाब नही हुआ था और पुलिस उस वक्त भी सख्त हुई थी और आज भी पुलिस सख्त हुई है।
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