फारुख हुसैन
लखीमपुर खीरी: बाबुल का यह घर गोरी कुछ दिन का ठिकाना हैं। बनकर दुल्हन एक दिन मुझे पिया घर जाना हैं। हर लड़की का यह एक सपना होता हैं। एक ऐसा ही वाक्या लखीमपुर खीरी के क़स्बा मैगलगंज से सामने आया हैं, जहाँ एक दुल्हन हांथो में मेहंदी रचाये और दुल्हन की पोशाक पहन कर अपनी दहलीज पर दूल्हे की बारात की आस लगाए इन्तेजार में बैठी थी। मेहमानों से भरे शादी के पंडाल में शहनाईयां गूँज रही थी। लेकिन दहेज के दानव ने दुल्हन की आंखों में बिदाई के आंसू ना देकर दुल्हन को खून के आंसू रुला दिया। ना ही बारात, ना ही बाराती, ना ही दूल्हा दुल्हन की चौखट पर बारात लेकर आया।
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