शाहीन बनारसी
केवल वाराणसी ही नही बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय इन दिनों चर्चा का केंद्र पिछले लगभग 20 घंटो से बना हुआ है। कारण जानकार आप भी असमंजस में रह जायेगे कि आखिर ये कौन सा कारण हुआ जिसको लेकर इतना हंगामा हो रहा है। कारण महज़ एक है कि कल रोज़ा इफ्तार पार्टी का आयोजन हुआ था और इस आयोजन में खुद वीसी ने शिरकत कर लिया था। फिर क्या था जमकर मामले को तुल देने में जुटने वाले लोग जमकर मामले को चमकाने में जुटे है।
वीसी ऑफिस के अधिकृत ट्वीटर हैंडल से एक और ट्वीट हुआ जो सभी विवादों का बड़ा जवाब है। इस ट्वीट में लिखा गया है कि “काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में कई वर्षों से रोज़ा इफ्तार का आयोजन होता रहा है और बीएचयू परिवार के मुखिया के रूप में कुलपति जब भी परिसर में उपलब्ध होते हैं, इस कार्यक्रम में शामिल होते हैं तथा विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन करते हैं।“ इसके अतिरिक्त ट्वीट पर ऐसे विवादों की निन्दा भी करते हुवे लिखा गया है कि “पूर्व में कई बार विभिन्न कुलपतिगण ने इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों के साथ बैठकर इफ्तार की है। इस संबंध में विश्वविद्यालय का शैक्षणिक व सद्भावपूर्ण वातावरण बिगाड़ने की कोशिश निंदनीय है।“
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के अधिकृत ट्वीटर से कुछ तस्वीरे भी पोस्ट हुई है। जिसमे ऐसी रोज़ा इफ्तार पार्टी में पूर्व में कई अन्य वीसी के शामिल होने का दावा किया गया है। बेशक मैंने जितने भी पूर्व छात्रो से इस सम्बन्ध में जानकारी हासिल करना चाहा तो सभी ने ऐसी पार्टी के आयोजन की बाते तो स्वीकारी। ऐसे आयोजन के दरमियान वीसी के होने की भी बात स्वीकार किया गया। फिर आखिर हंगामा किस बात को लेकर है। सवाल यहाँ केवल एक उठता है कि “समरसता” नाम की भी कोई चीज़ होती है या नही। ये काशी की धरती है। तानी बाने के रिश्ते को याह गंगा जमुनी तहजीब माना जाता है। यहाँ संकट मोचन मंदिर में बैठ कर बिस्मिल्लाह खान अपनी शहनाई की रियाज़ करते थे। इसी गंगा के पानी से हम वजू बना कर नमाज़ पढ़ते है। फिर आखिर ऐसे मसलो को हाईलाइट करके लोग साबित क्या करना चाहते है? आखिर इफ्तार पार्टी होना और उसमे कुलपति का जाना कौन सी बड़ी बात होती है।
मुझको अच्छी तरह याद है। हमारे पडोस में मिश्रा अंकल रहते है। उनके घर पर शारदीय नवरात्र में कन्या पूजन होता चला आया है। वह 9 कन्याओं को भोजन करवाते थे। उन कन्याओं से उनका धर्म और मज़हब नही जाना जाता था। कई बार मैं खुद उनके घर कन्या पूजन में गई हु। आंटी के हाथो की बनी लज़ीज़ खीर की लज्ज़त आज भी जुबां पहचानती है। आप सोच रहे होंगे कि मैं ये क्यों आपको बता रही हु। मेरे इसको बताने का मकसद सिर्फ एक है कि हमारे यहाँ इसका कभी भेदभाव नही रहा है। ये सिर्फ उनके लिए कहा है मैंने जो नाम में मज़हब तलाशते है। तो ओ भाई, मेरे नाम में मज़हब तलाशो और त्रिपुरारी मिश्रा अंकल का भी मज़हब उनके नाम में तलाश लो। फिर आखिर हंगामा क्यों बरपा है एक इफ्तार पार्टी के आयोजन और उसमें वीसी की शिरकत का?
हम भी पढ़े लिखे है। तो बेशक हम भी स्कूल से लेकर कालेज तक और विश्वविद्यालय तक गए है। होली पर अपनी दोस्तों के साथ रंग, अबीर, गुलाल खेलती थी या फिर कहे आज भी खेलती हु। सरस्वती पूजा हो या कोई अन्य आयोजन चंदा मैं भी देती हु। यहाँ तक कि होलिका दहन हमारे मोहल्ले में होता है तो मोहल्ले के भैया लोग इस बार मुझसे भी चंदा लिए थे कि अब तुम कमाने लगी हो। मैंने भी ख़ुशी ख़ुशी दिया था। नाम में मज़हब तो तलाश लिया होगा, फिर इसका तो कोई गुरेज़ कही नही है। इफ्तार पार्टी शाम को आयोजित हुई होगी। कुलपति के जाने से इफ्तार पार्टी में शामिल छात्र छात्राओं के अन्दर एक उत्त्साह आया होगा। इसको मज़हब से जोड़ कर देखने की क्या ज़रूरत है आखिर? इस मसले को ऐसे ही नज़रअंदाज़ किया जा सकता था। फिर इतना हंगामा है क्यों बरपा?
शाहीन अंसारी वाराणसी: विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट द्वारा…
माही अंसारी डेस्क: कर्नाटक भोवी विकास निगम घोटाले की आरोपियों में से एक आरोपी एस…
ए0 जावेद वाराणसी: महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के शिक्षाशास्त्र विभाग में अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा विरोधी…
ईदुल अमीन डेस्क: सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने संविधान की प्रस्तावना में…
निलोफर बानो डेस्क: उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में शाही जामा मस्जिद के सर्वे के…
निलोफर बानो डेस्क: उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में शाही जामा मस्जिद के सर्वे के…