ईदुल अमीन
वाराणासी। वाराणासी के चौक थाना क्षेत्र स्थित दालमंडी के घुँघरानी गली इलाके की मशहूर मस्जिद मिर्ज़ा बिस्मिल्लाह में आज तरावीह मुकम्मल हुई। तरावीह जमात की इमामत हाफिज समा के साहबज़ादे हाफ़िज़ शोएब नुमानी ने किया।
गौरतलब हो कि रमज़ानुल मुबारक के मुकद्दस महीने में हर मस्जिद मे तरावीह कु नमाज़ होती है। इस नमाज़ में रोज़ 20 रकात नमाज़ अकीदतमंद अदा करते है। हर रोज़ कुरआन की आयातों को कुरआन मजीद के सिलसिलेवार पढा जाता है और पूरी एक कुरआन तरावीह में पढ़ी जाती है। जिस दिन पूरी कुरआन पढ़ लिया जाता है उस दिन तरावीह मुकम्मल उस मस्जिद में होती है और उसके बाद से सूरह तरावीह पूरे रमज़ान महीने में रोज़ रात को बाद नमाज़ ईशा 20 रकात होती है जो ईद का चांद देखने तक जारी रहती है। किस मस्जिद में कितने सिपारे (क़ुरआन का पाठ जो कुल 30 पारो में है) पढ़े जायेगे ये पहले से तय रहता है।
इस प्रकार से तीन दिन से लेकर 26 दिन की तरावीह मस्जिदों में होती है। सबसे कम दिनों में तीन दिन की तरावीह होती है जहा दूसरे रमज़ान की तरावीह मुकम्मल हो जाती है। शहर बनारस में कुछ ही मस्जिदों में तीन दिन की तरावीह होती है जिसमे लाट की मस्जिद, कचहरी वाली और पिपलानी की मस्जिद प्रमुख है।
गुजिश्ता हर साल की तरह इस साल भी सभी मस्जिदों में तरावीह मुकम्मल होने का सिलसिला जारी है। इसी क्रम में मस्जिद मिर्ज़ा बिस्मिल्लाह में आज तरावीह मुकम्मल हुई। इस मुक़द्दस मौके पर अकीदतमंदों ने मुल्क में अमन-ओ-चैन की दुआ रब की बारगाह में करते हुवे अपनी अपनी जायज़ तमन्नाओ की तलब रब से किया और तमाम आलमीन की खैर अल्लाह रब्बुल आलमीन से मांगी।
तरावीह मुकम्मल होने के बाद सभी नामाज़ियों ने एक दूसरे का मुसाफा करके उन्हें बधाई दिया और हाफ़िज़ शोएब नोमानी को बधाई दिया। साथ ही सभी नमाज़ियो में बतौर तबर्रुख मिठाई तकसीम मस्जिद की इंतेजामिया कमेटी के जानिब से हुई। बताते चले हाफिज शोएब नोमानी चश्मा फेयर मदनपुरा वाले हाफ़िज़ समा के साहबज़ादे (बेटे) है। हम अपने पाठकों को जिनकी तरावीह मुकम्मल हो चुकी है को बधाई देते हुवे दुआ की दरखास्त करते है।