तारिक आज़मी
वाराणसी: एक तरफ वाराणसी पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश द्वारा अपराध के खिलाफ कोई समझौता न करने और अपराध नियंत्रण के फार्मूले को कोतवाली पुलिस शायद पूरी तरीके से धज्जियां उड़ा कर अपराध नियंत्रण कर रही है। वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के काशी ज़ोन का थाना कोतवाली इस समय चर्चा का केंद्र है। कोतवाली पुलिस पर पीडित ने आरोप लगाया है कि उसके चोरी हुवे मोबाइल की शिकायत दर्ज करने के बजाए पुलिस उसके ऊपर दबाव डाल रही है कि मोबाइल गुमशुदगी दर्ज करवा लो।
इस सम्बन्ध में हमने जब इस्पेक्टर कोतवाली भरत उपाध्याय से फोन पर बात किया तो उन्होंने ऐसे किसी घटना के संज्ञान में होने साफ़ साफ़ मना कर दिया और कहा कि कोई मामला ऐसा संज्ञान में नही है। मगर हमसे बातचीत में इस्पेक्टर कोतवाली इस बात को ज़रूर कहते है कि वह आईफोन एक लाख का प्रयोग नही कर सकते है। जबकि हमने अपनी बातचीत में मोबाइल के मॉडल की बात ही ही किया था। बहरहाल, इस्पेक्टर साहब ने आईफोन के सम्बन्ध में जिस प्रकार हमसे वक्तव्य दिया उसको सुन कर तो यह अहसास होता है कि पीड़ित अगर ये बात कह रहा है कि पुलिस उसका मज़ाक कर रही है तो बात में कुछ सत्यता भी समझ में आने वाली है।
बहरकैफ, पीड़ित तहरीर लेकर दो दिनों से थाने का सुबह, दोपहर, शाम तीन वक्त दवा के डोज़ की तरह चक्कर काट रहा है। मगर समाचार लिखे जाने तक पुलिस ने उसका मुकदमा दर्ज नही किया है। इसको देख कर तो यही प्रतीत होता है कि कोतवाली पुलिस क्राइम कंट्रोल का सबसे आसान रास्ता अख्तियार कर चुकी है कि क्राइम ही रजिस्टर्ड न करो। अब देखना होगा कि पीड़ित को इन्साफ मिलता है या फिर इसके लिए उसको लम्बी जद्दोजेहद जारी रखना है।
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