बिहार के राजनीति में एमवाई समीकरण के बाद अब BY समीकरण का प्रवेश

अनिल कुमार
आज एमएलसी चुनाव के परिणाम में जिस तरह से बिहार में एक नया समीकरण ने पदार्पण लिया है उससे एनडीए खेमा चिंतित दिखायी दे रही होगी।
बिहार विधानपरिषद चुनाव में राजद नेता तेजस्वी यादव ने एक बड़ा दांव खेला था। इस दांव में भाजपा के प्रर्बल समर्थक भूमिहार जाति के पांच उम्मीदवार को राजद पार्टी ने अपने उम्मीदवार के रूप में विधान परिषद चुनाव में उतारा था। जिसमें तीन उम्मीदवारों ने जीत दर्ज कर बिहार के राजनीति में एक नया समीकरण BY बना दिया है।
राजद के टिकट पर तीन भूमिहार जाति के उम्मीदवारों की जीत बिहार मे राजद पार्टी को और मजबूती प्रदान करेगा,जिससे कि आगामी विधानसभा चुनाव में राजद पार्टी को सत्ता के नजदीक पहुंचाने मे अहम भूमिका अदा करेगा। इस विधान परिषद चुनाव ने एक संकेत एनडीए खेमा को जरूर दिया है कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव द्वारा पूर्व में दिए गए नारे “भूरा बाल साफ करो” को भूमिहार जाति भूल कर यादव -भूमिहार एक होकर एक मजबूत ताकत के रूप में उभरी है। इसका फिलहाल असर बोंचहा विधानसभा चुनाव पर पड़ना तय है।
जिस तरह से अंतिम समय में सारण से विधान परिषद चुनाव में सच्चिदानंद राय का टिकट भाजपा ने काटा है उससे भूमिहार समाज में भाजपा के प्रति एक गलत मैसेज गया और एक निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सच्चिदानंद राय ने जीत दर्ज कर भाजपा के नेताओं को आईना दिखा दिया। सच्चिदानंद राय की छवि एक मुखर नेता के रूप में जाना जाता है।
पश्चिम चंपारण मे राजद भूमिहार उम्मीदवार ई.सौरभ कुमार की जीत भी कम चौकाने वाली जीत नहीं है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल का गृह क्षेत्र है।
यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि बिहार की राजनीति और सत्ता की दो धुरी भूमिहार और यादव हैं। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को सत्ता से बेदखल करने में भूमिहार जाति की अहम भूमिका रही है और लालू यादव के सत्ता से बेदखल होने पर पिछले दो दशकों से भूमिहार और यादव जाति एक दूसरे के कट्टर विरोधी रहे हैं।
पर इस बार राजद नेता तेजस्वी यादव ने एक बड़ा दांव खेला। जिसमें पांच उम्मीदवार भूमिहार जाति के थे और इनमे तीन उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। पूरे विधान परिषद चुनाव के प्रचार में राजद नेता तेजस्वी यादव ने अपने यादव समाज को खासकर भूमिहार प्रत्याशियों को वोट देने के लिए दबाब बनाने में लगे रहे। तेजस्वी यादव अपने वोटरों को चुनाव में यही समझाते नजर आए कि अगर भूमिहार समाज मेरे तरफ आर्कषित हो गया तब ही हम बिहार के मुख्यमंत्री बन सकते हैं।
बिहार विधानपरिषद का यह चुनाव परिणाम हाल में होने वाले बोंचहा विधानसभा चुनाव पर भी इसका असर पड़ेगा। तब एनडीए खेमा विशेष कर भाजपा पार्टी में काफी उथलपुथल मचेगा।

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