आदिल अहमद
कोलंबो: श्रीलंका अपनी आजादी के बाद से सबसे बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और लोगों को आवश्यक वस्तुओं की कमी के साथ ही भारी बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है। राजपक्षे ने उनके निजी आवास के बाहर जबरदस्त विरोध-प्रदर्शन के बाद एक अप्रैल को भी आपातकाल की घोषणा की थी। हालांकि, पांच अप्रैल को इसे वापस ले लिया गया था।
शुक्रवार को श्रीलंका की संसद में धावा बोलने की कोशिश कर रहे छात्रों पर पुलिस ने फिर से आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछार की। आर्थिक संकट से निपटने में नाकाम रहे राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनकी सरकार के इस्तीफे की मांग को लेकर व्यापार संघ ने शुक्रवार को देशव्यापी हड़ताल की। देश में जारी भीषण आर्थिक संकट के चलते सरकार विरोध प्रदर्शनों का सामना कर रही है और उसके इस्तीफे की मांग जोर पकड़ती जा रही है।
22 मिलियन जनसंख्या वाले इस देश की जनता कई महीनों से ब्लैकआउट, खाना, ईंधन, और दवाईयों की कमी से जूझ रही है। साल 1948 में आजादी के बाद से श्रीलंका में सबसे खराब हालात हैं। जनता में गुस्सा बढ़ता जा रहा है, इस संकट को संभालने में नाकाम रही सरकार को लेकर जनता में गुस्सा बढ़ता जा रहा है। सरकार के इस्तीफे के मांग को लेकर पूरे देश में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। गुरुवार को हजारों छात्र प्रदर्शनकारियों ने संसद की ओर जाने वाली सड़क पर डेरा डाल दिया था। अधिकारियों ने पानी की बौछार के बाद आंसू गैस के गोले दागे, लेकिन भीड़ वहां लगाए गए पुलिस बैरिकेड्स के पीछे इकट्ठा हो गई।
तारिक खान डेस्क: खनौरी और शंभू बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों का सब्र का…
सबा अंसारी डेस्क: संभल शाही जामा मस्जिद के कुए को हरिमंदिर बता कर पूजा की…
संजय ठाकुर डेस्क: संभल की जामा मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद के बीच उत्तर…
मो0 कुमेल डेस्क: बीते दिसंबर महीने में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के एक कार्यक्रम में…
तारिक आज़मी डेस्क: गूगल मैप की गलत लोकेशन बताने की कई खबरे आपने पढ़ा होगा।…
तारिक आज़मी वाराणसी: वाराणसी नगर निगम खुद को स्मार्ट होने का दावा कागजों पर करता…