रामपुर पहुँचने पर छलक पड़ा आज़म खान का दर्द, कहा मेरी बर्बादी में अपनों का बड़ा हाथ, फिर भी सभी का शुक्रिया, जुल्म और जालिम की मुद्दत लंबी नहीं होती
आदिल अहमद
सपा के कद्दावर नेता एवं विधायक आज़म खान जेल से रिहा हो गये है। आज जब वह रामपुर अपने पैत्रिक आवास पर पहुचे तो उनका दर्द छलक पड़ा और उन्होंने कहा कि पिछले 40 सालो से कभी कुछ गलत नही किया। मेरी बर्बादी के पीछे किसी गैर का नही अपनों का हाथ है। फिर भी सभी का शुक्रिया कहता हु। कार से ही लोगों को संबोधित करते हुए आजम खां ने जेल में बिताए गए दो साल दो माह 24 दिनों के बारे में बात की। इस दौरान उन्होंने परिवार और शहर के लोगों का जिक्र भी किया।
आजम खां ने लोगों को संबोधित किया। आजम ने अपने सियासी सफर का भी जिक्र किया। बात जुल्मों की आई तो उन्होंने सधी जुबान में अपनों पर वार किया। कार्यकर्ताओं और समर्थकों से घिरे आजम खां ने अपने दिल की बात लोगों से कही। भारी मन से उन्होंने कहा कि हमारे, हमारे परिवार के साथ जो हुआ उसे भूल नहीं सकते। हमारे शहर को उजाड़ दिया गया। जेल में किस तरह उन्होंने समय बिताया इस बारे में भी लोगों को बताया। आजम ने कहा कि रात होती थी तो सुबह और सुबह होती थी तो रात का इंतजार करते थे। मुझे सजायाफ्ता कैदी की तरह जेल में रखा गया। इस दौरान उन्होंने किसी का नाम तो नहीं लिया पर कहा कि सबसे ज्यादा जुल्म तो मेरे अपनों ने किए हैं। आजम का ये बयान सीधे तौर पर सियासत से जोड़कर देखा जा रहा है।
संबोधन के दौरान आजम अपने सियासी भविष्य पर भी बोले। उन्होंने कहा कि मेरा 40 साल का सफर बेकार नहीं जाएगा। मेरा वक्त फिर लौटकर आएगा। आजम लोगों को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान लोगों ने उनके समर्थन में नारेबाजी की। कहा कि इस दरख्त की जड़ में जहर डालने वाले लोग अपने हैं। हम आपके सामने जिंदा खड़े हैं ये किसी आश्चर्य से कम नहीं है। हमें जहां रखा गया था उस कोठरी में अंग्रेजों के जमाने में उन लोगों को रखा जाता था जिन्हें दो-तीन दिन बाद फांसी होनी होती थी। हमारी कोठरी के पास ही फांसीघर था। हमारे बच्चे और पत्नी के आ जाने के बाद हम अकेले रह गए थे, बस दीवार और छत थी। रात होती थी तो सुबह का तसव्वुर रहता था और सुबह को शाम का तसव्वुर होता था।
उन्होंने कहा कि इस तरह आपसे जुदा होकर समय गुजारा है। हमारे रिश्तों में तसव्वुर ही नहीं था कि हम और आप जुदा होंगे। कहा कि बहुत कम उम्र में इमरजेंसी के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम विवि की यूनियन के सचिव थे और करीब पौने दो साल के लिए जेल जाना पड़ा था। जब जिंदगी की शुरुआत थी तब भी हालातों ने कुर्बानी ली और आज भी हालात कुर्बानी ले रहे हैं। इंसाफ करने वालों का शुक्रिया, जिन्होंने साबित किया कि अभी इंसाफ पसंदगी जिंदा है। कहा कि तारीख को तोड़ा-मरोड़ा जा सकता है लेकिन मिटाया नहीं जा सकता।
उन्होंने कहा कि हमारे साथ जो हुआ, हमारे घर, खानदान, शहर और जिले के साथ हुआ। चमन बसाए जाते हैं उजाड़े नहीं जाते, ये चमन किस प्रकार उजाड़ा गया है ये आनी वाली नस्ल पर भी असर डालेगा। ये चमन सिर्फ इसलिए उजाड़ दिया गया क्योंकि यहां तुम्हारी आबादी और गिनती ज्यादा है। नाम बदल देने से अकीदा, यकीन और इमान नहीं बदलता है। जुल्म और जालिम की मुद्दत लंबी नहीं होती और जब जुल्म खत्म होता है तो जालिम भी खत्म हो जाता है। हमारा-आपका साथ 40 साल लंबा है, हमारी-आपकी मोहब्बत कम नहीं होगी। हमारी भी तो कोई मंजिल होगी, क्या हमारी कोई मंजिल नहीं।