खरगौन हिंसा प्रकरण: हाई कोर्ट हुआ “मामा के बुल्डोज़र” पर सख्त, मूलभुत अधिकारों का हनन बता कर जारी किया नोटिस और माँगा 2 सप्ताह में जवाब

शाहीन बनारसी

डेस्क: मध्य प्रदेश के खरगौन में दंगा आरोपियों के घरो पर बुल्डोज़र चला कर ज़मिदोज़ करने वाली शिवराज सिंह चौहान सरकार पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट अब सख्त रुख अपना रही है। हाई कोर्ट ने इस मामले में मुलभुत अधिकारों का हनन बताते हुवे सरकार को नोटिस जारी करते हुवे 2 सप्ताह में जवाब तलब किया है। अदालत ने कहा है कि यह मूलभूत अधिकारों का हनन है।

बताते चले कि शिवराज सरकार के द्वारा की गई इस कार्यवाही को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिसमे जस्टिस प्रणय वर्मा की खंडपीठ मामले की सुनवाई कर रही है।  सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि प्रशासन ने बिना नोटिस और बिना वक्त दिए ही सीधे मकान तोड़ दिए। पीड़ितों को पक्ष रखने का अवसर ही नहीं दिया गया। याचिकाकर्ता जाहिद अली ने यह भी कहा कि प्रशासन ने मालिकाना हक, रजिस्ट्री वाली संपत्ति तोड़ दी है। इसका मुआवजा दिलाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा निगम, प्रशासन को सभी तरह के टैक्स चुकाए गए थे। शासन की ओर से इस मामले में जवाब पेश करने के लिए दो सप्ताह का मांगा गया है।

बताते चले कि खरगोन में रामनवमी पर हुई हिंसा के बाद जिला प्रशासन ने कार्यवाही करते हुए कई आरोपियों के मकानों पर बुलडोजर चला दिया था। हिंसा में शामिल होने का आरोप लगा कर मकानों के साथ कई दुकानों को भी जमीदोंज किया गया था। जिला प्रशासन की इस कार्यवाही को गलत बताते हुए याचिकाकर्ता जाहिद अली ने एक याचिका इंदौर हाई कोर्ट में लगाई थी। जिस पर जस्टिस प्रणय वर्मा की खंडपीठ मामले की सुनवाई कर रही है। गौरतलब हो कि मध्य प्रदेश के खरगोन हिंसा के बाद प्रदेश के गृहमंत्री ने एक बयान दिया था जिसमे उन्होंने पत्थरबाजो के घरों को पत्थर के ढेर में बदलने कर देने की बात कही थी। जिसके बाद जिला प्रशासन ने दंगे के आरोपियों के घर और दुकाने जमीदोंज कर दी थी।

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