तारिक़ खान
प्रयागराज: बीते कई दिनों से गंगा और यमुना दोनों ही नदियाँ उफान पर है। बताते चले कि बीते कई दिनों से प्रयागराज में उफनाई गंगा-यमुना ने खतरे का निशान पार कर दिया है। खतरे का निशान 84.734 मीटर है। शुक्रवार को सुबह 10 बजे दोनों नदियों ने खतरे के निशान को पार कर दिया। ऐसे में कछार के निचले इलाकों की बस्तियों में बाढ़ का पानी घुस गया है। छोटा बघाड़ा, नेवादा के पवन नगर, बेली कछार में सैकड़ों मकानों की पहली मंजिल के करीब पानी पहुंच गया है। लगातार बढ़ते जलस्तर की वजह से गंगा-यमुना ने शुक्रवार को खतरे का निशान पार कर दिया। जिले में स्थापित 99 बाढ़ चौकियों और आपदा राहत टीमों को सक्रिय कर दिया गया है। बाढ़ नियंत्रण कक्ष की ओर से जारी बुलेटिन के मुताबिक गंगा आठ सेमी0 प्रति घंटा और यमुना 12 सेमी0 प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रही हैं। रात 10 बजे तक यमुना खतरे के निशान से महज 57 सेमी0 नीचे बह रही थी।
गंगा-यमुना में बढ़ता जलस्तर लगातार खतरनाक रूप लेता जा रहा है। बस्तियों में बाढ़ का पानी तो बुधवार को ही घुस गया था, अब इसका दायरा लगातार फैलता जा रहा है। बृहस्पतिवार रात तक एक दर्जन से अधिक मोहल्लों के हजारों घरों में बाढ़ का पानी घुस गया। मुश्किल यह कि दोनों नदियों के जलस्तर में अभी तीन दिनों तक बढ़ोतरी की बात कही जा रही है। खतरे का निशान 84.734 मीटर है। वहीं बृहस्पतिवार शाम को ही दोनों नदियों का जलस्तर 84 मीटर को पार कर गया था। ऐसे में कछार के निचले इलाकों की बस्तियों में बाढ़ का पानी घुस गया है। छोटा बघाड़ा, नेवादा के पवन नगर, बेली कछार में सैकड़ों मकानों की पहली मंजिल के करीब पानी पहुंच गया है। इन इलाकों में झोपड़ी और टीन शेड में रहने वालों के लिए कोई जगह नहीं है। यहां कई लोगों ने मकान की नींव तो ऊंची कराई है लेकिन वे चारों तरफ से बाढ़ से घिर गए हैं। सड़कें में भी जलमग्न हो गईं हैं।
इनके अलावा सेंट जोसेफ गर्ल्स विंग, वाईएमसीए समेत अन्य स्कूलों में भी बाढ़ पीड़ित पहुंचने लगे हैं। इन आश्रय स्थलों में देर रात तक 1500 लोग पहुंच गए थे। इनके लिए रहने-खाने की व्यवस्था के दावे किए जा रहे हैं। चिकित्सीय व्यवस्था समेत अन्य इंतजाम के दावे किए जा रहे हैं। लेखपाल एवं अन्य अफसरों की ड्यूटी लगाई गई है। एडीएम वित्त एवं राजस्व जगदंबा सिंह ने बताया कि बदरा-सोनौटी में पीएसी लगाई गई है। बाढ़ में घिरे लोगों को ले आने ले जाने के लिए 45 नावें भी लगाईं गईं हैं। शिविर में रहने वालों को सुबह-शाम भोजन तथा सुबह के नाश्ते का इंतजाम किया गया है। बच्चों के लिए दूध का इंतजाम होगा। बृहस्पतिवार को सुबह के समय 1200 लोगों को भोजन के पैकेट वितरित किए गए। कोई ई-रिक्शा पर सामान लाद रहा है तो कोई मोटरसाइकिल पर ही जरूरी सामान लेकर निकल रहा है। कुछ लोग डंडे से बाढ़ के पानी की गहराई नाप रहे हैं तो बढ़ते जलस्तर को मापने के लिए दीवारों पर भी निशान लगाए गए हैं। बघाड़ा, सलोरी, राजापुर, ऊंचवागढ़ी, नेवादा समेत बाढ़ग्रस्त बस्तियों को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाली हर गली में यह नजारा आम है।
इसी तरह राजापुर के उच्चतर ऋषिकुल राहत शिविर में पहुंचे पवन नगर के राजकुमार, अर्चना, चेतन गुप्ता आदि टीन शेड का घर बनाकर रहते हैं लेकिन घर बाढ़ की चपेट में आ गया है। उनका कहना है कि दूसरे के मकान की छत पर सामान रखकर वे लोग शिविर में रहने के लिए मजबूर हैं। ऋषिकुल में पहुंचे विशाल यादव समेत कई लोग शिविर के रजिस्टर में नाम लिखवाने के लिए भटक रहे थे। ओम नगर के ईशान, भाई लाल आदि भी पूरे परिवार संग शिविर में रहने के लिए मजबूर हैं। बाढ़ की वजह से कई परिवार भी अलग-थलग पड़ गए हैं। स्टैनली रोड स्थित मेहबूब अली इंटर कॉलेज शिविर में पहुंचीं रेशमा का कहना था कि वह बच्चों संग आई हैं। पूरा सामान छत पर रख दिया गया है। उसे देखने के लिए पति को छत पर ही रात गुजरानी होगी।
प्रशासनिक टीम के साथ सिविल डिफेंस के सदस्यों की भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों तथा राहत शिविरों में ड्यूटी लगाई गई है। लोगों तक राहत पहुंचाने, शिविर में सुविधा सुनिश्चित कराने समेत अनेक कार्यों में उनकी भूमिका भी तय की गई है। बघाड़ा, सलोरी, राजापुर आदि बाढ़ प्रभावित इलाकों में हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं प्रतियोगी किराए पर रहते हैं लेकिन बाढ़ की वजह से उनके सामने भी समस्या खड़ी हो गई है। विश्वविद्यालय एवं कॉलेज खुले हैं। इसके अलावा एनडीए समेत कई प्रतियोगी परीक्षाएं भी सामने हैं। ऐसे में वे घर नहीं लौट सकते। बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं सामान लेकर दूसरी जगह जाने भी लगे हैं। बाढ़ में फंसे लोग एक-दूसरे का सहारा भी बने हुए हैं। कछार के निचले इलाके में सैकड़ों लोगों का मकान एक तल ही बना है। उनके घरों में पानी घुस गया है और वे दूसरी जगह जाने के लिए मजबूर हैं।
अफसरों का कहना था कि सीमित दायरे में अधिक से अधिक लोगो को रहना है। ऐसे में मेज, चारपाई आदि रखने की छूट नहीं दी जा सकती। बताते चले कि प्रभारी मंत्री जयवीर सिंह, श्रम एवं सेवायोजन राज्यमंत्री मनोहर लाल ने वाईएमसीए बाढ़ राहत शिविर का निरीक्षण किया। उन्होंने राहत सामग्री भी वितरित की। मंत्री ने बिजली, पानी, सफाई आदि की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। इस दौरान विधायक प्रवीण पटेल, डीएम संजय कुमार खत्री समेत अनेक अफर मौजूद रहे। डीएम ने भी बघाड़ा स्थित एनी बेसेंट स्कूल का निरीक्षण तथा आवश्यक निर्देश दिए।
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