सच साबित हुई हमारी खबर: इलेक्ट्रिक इंजिनियर नीतीश कुमार ने दिया इस बार भाजपा को झटका, महागठबंधन के साथ मिलकर अब बनेगी सरकार, नीतीश के दाव पर बिहार में भाजपा हुई चित
अनिल कुमार
डेस्क: हमने आपको कल ही अपने सियासी सूत्रों से मिले समाचार के माध्यम से बताया था कि बिहार में पक रही सियासी खिचड़ी कभी भी उबाल पर आ सकती है। सियासत के सफ़र में इलेक्ट्रिक इंजिनियर रहे नीतीश कुमार इस बार भाजपा को झटका दे सकते है। नीतीश और भाजपा के बीच बढती दुरी ने इस कयास को और भी मजबूती दिया था। वही नीतीश कुमार का लालू यादव परिवार से बढती नजदीकियों ने भी इस कयास को और भी बल दिया था। जिसके बाद से सियासी जानकारी रखने वाले हमारे सूत्रों का कहना था कि सरकार में कभी भी उलट पुलट हो सकता है। आखिर आज की दोपहर जब पूरी दुनिया यौम-ए-अशुरा पर मातम कर रही थी तब नीतीश कुमार ने अपने दाव से भाजपा को चित करते हुवे उसे एक बड़ा झटका दिया है और महागठबंधन के साथ सरकार बना रहे है।
आज मंगलवार सुबह जेडीयू विधायकों और सांसदों की बैठक के बाद नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ने का ऐलान किया और उसके साथ ही अपना इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद आरजेडी-कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के साथ मिलकर उनके फिर से सरकार बनाने के कयास पुख्ता हो गए थे। नीतीश मंगलवार दोपहर करीब 3।45 बजे राज्यपाल फागू चौहान से मिलने के लिए निकले। उन्होंने मुख्यमंत्री आवास से करीब 500 मीटर दूर राजभवन जाकर राज्यपाल से मुलाकात की और अपना त्यागपत्र सौंप दिया। नीतीश जब राजभवन पहुंचे तो उसके बीच समर्थकों की भारी भीड़ ‘जिंदाबाद’ के नारे लगा रही थी। इसके बाद नीतीश कुमार तेजस्वी यादव से मिलने के लिए बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी के आवास गए।
राबड़ी देवी के घर से निकलने के बाद तेजस्वी और नीतीश कुमार साथ-साथ बाहर आए। इसके बाद राष्ट्रीय जनता दल, लेफ्ट पार्टी और कांग्रेस के विधायक सीएम आवास पर पहुंचे। जहां नए गठबंधन के विधायक दलों की बैठक शुरू हुई। इसमें नीतीश कुमार को महागठबंधन के विधायक दल का नेता चुना गया। नीतीश एक बार फिर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के साथ राजभवन गए है। उनके साथ लल्लन सिंह, जीतनराम मांझी, अजित शर्मा भी राजभवन गए हैं। इससे पहले जेडीयू की विधायक दल की बैठक में नीतीश ने बीजेपी पर उन्हें अपमानित करने का आरोप लगाया। साथ ही उनकी पार्टी तोड़ने की तोहमत भी मढ़ी।
बता दें, वर्ष 2017 तक आरजेडी के तेजस्वी यादव और उनके भाई तेज प्रताप यादव, नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री थे। जेडीयू, लालू यादव की पार्टी आरजेडी और कांग्रेस के सहयोग से यह सरकार बनी थी। नीतीश ने बीजेपी के साथ संबंध खत्म करते हुए यह गठजोड़ बनाया था। बाद में उन्होंने तेजस्वी और उनके भाई तेजप्रताप पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए गठबंधन खत्म कर लिया था और बीजेपी के पास वापस लौट गए थे। इस दरमियान अब बिहार में सत्ता में सहयोगी रहे जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच का तनाव चरम पर पहुंच गया था। नीतीश कुमार का मानना था कि केंद्रीय मंत्री अमित शाह लगातार जेडीयू को विभाजित करने के लिए काम कर रहे हैं। नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी के पूर्व नेता आरसीपी सिंह पर अमित शाह के मोहरे के रूप में काम करने का आरोप लगाया था।
जेडीयू की ओर से भ्रष्टाचार का आरोप लगाए जाने के बाद आरसीपी ने पिछले सप्ताह के अंत में जेडीयू से इस्तीफा दे दिया था। वर्ष 2017 में आरसीपी ने नीतीश कुमार के प्रतिनिधि के तौर पर जेडीयू कोटे से केंद्रीय मंत्रिमंडल ज्वॉइन किया था। बाद में नीतीश ने उनका राज्यसभा का कार्यकाल नहीं बढ़ाया जिसके कारण आरसीपी को केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में 243 सीटों में से नीतीश की पार्टी जदयू ने 45 सीटों पर जीत हासिल की थी। जबकि भाजपा ने 77 सीटों पर विजय हासिल की थी। जदयू के कम सीटें जीतने के बावजूद भाजपा ने नीतीश को मुख्यमंत्री बनाया था और प्रदेश की कमान उनको सौंपी थी। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में राष्ट्रीय जनता दल ने 79 सीटें और कांग्रेस ने 19 सीटों पर जीत हासिल की थी। जबकि हम को 4 सीटें मिली थी। बहुमत का आंकड़ा 122 है।