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विशेश्वरगंज में पार्षद अंकित यादव पर गन शॉट प्रकरण: पुलिस ने दर्ज किया 307, 323, 504, नही हुआ नामज़द गिरफ्तार, जाने कौन है आरोपी और कौन है अंकित यादव

तारिक आज़मी

वाराणसी: वाराणसी में कल देर रात कोतवाली थाना क्षेत्र स्थित विशेश्वरगंज तिराहे पर गन शाट प्रकरण में पार्षद अंकित यादव की तहरीर पर पुलिस ने नामज़द मुकदमा अंतर्गत धारा 307, 323 और 504 दर्ज कर विवेचना शुरू कर दिया है। इस मामले में आरोपी हिमांशु यादव को अभी तक पुलिस गिरफ्तार नही कर पाई है। घटना के बाद इलाके में मची अफरातफरी के बाद आज सुबह रोज़मर्रा के तरह हुई है। पुलिस सूत्रों की माने तो घटना में घायल दोनों युवको नाटी इमली निवासी प्रशांत यादव और दारानगर निवासी साहिल यादव गोली लगने से घायल नही हुवे है बल्कि उनको शीशे से चोट लगी है।

बताते चले कि कल देर रात लगभग 11:47-11:50 के दरमियान पार्षद अंकित यादव अपने समर्थकों के साथ विशेश्वरगंज तिराहे पर खड़े होकर चाय पी रहे थे, तभी फार्च्यूनर कार सवार सपा नेता बाला यादव का पुत्र हिमांशु यादव मौके पर आया। प्रत्यक्षदर्शियो की माने तो हिमांशु यादव कार में ही बैठा था और अंकित के समर्थको से वाद विवाद कर रहा था। तभी अचनक कार को बैक गियर लगाते हुवे उसने कार की खिड़की से हाथ बाहर निकाल कर पिस्टल से फायर कर दिया। वह तो गनीमत था कि गोली किसी को लगी नही। फायर करने के बाद आरोपी तेज़ रफ़्तार से मछोदरी की तरफ भाग गया। प्रत्यक्षदर्शियो की माने तो उसके भागते समय अंकित यादव समर्थको के द्वारा उसका दौड़ा कर पीछा करने का भी प्रयास किया गया जिसमे आरोपी की गाडी का शीशा टूट गया।

क्या लाइसेंसी पिस्टल से चली थी गोली

इस दरमियान चर्चा है कि हिमांशु अपने साथ लाइसेंसी पिस्टल लेकर चलता है और इसी पिस्टल से गोली चली है। अब ये पिस्टल का लाइसेंस किसके नाम से है इस बात की पुष्टि नही हो पा रही है।

जारी है पुलिस की तफ्तीश

फिलहाल पुलिस मामले में अपनी तफ्तीश के क्रम में तिराहे पर लगे सरकारी कैमरा जिसमे पूरी घटना कैद हुई होगी को निकलवा कर छानबीन कर रही है। घटना से सम्बन्धित मिली सूत्रों से जानकारी के अनुसार अंकित यादव और हिमांशु यादव के बीच 3-4 दिन पहले विवाद लहुराबीर पर हुआ था। बताया जा रहा है कि इस विवाद का कारण रफ ड्राइविंग थी। जिसके बाद हिमांशु के पिता बाला यादव ने मामले में पंचायत करके मामला सुलझा दिया था। मगर शायद टशन की चिंगारी अन्दर ही अन्दर सुलग रही थी और कल वह सामने आ गई। अंकित यादव का आरोप है कि इसी खुन्नस में हिमांशु यादव ने दुबारा विवाद कर उस पर जान से मारने की नीयत से गोली चलाई है। अंकित यादव का आरोप है कि अपने पिता के राजनैतिक संरक्षण में हिमांशु यादव मनबढ़ हो चुका है।

कौन है हिमांशु यादव ?

समाजवादी पार्टी में बढ़िया पैठ उच्चस्तर तक रखने वाले बाला यादव की प्रशासनिक पकड भी अच्छी है साथ ही सामाजिक पकड भी दमदार है। बताया जाता है कि बाला यादव के कई बड़े नौकरशाहों से सम्बन्ध भी अच्छे है। साथ ही सामाजिक सरोकार में भी बाला यादव एक प्रेमी स्वाभाव की शख्सियत के तौर पर अपनी पहचान रखते है साथ ही उनका समाज से सम्मान भी सभी वर्गों के बीच है। बाला यादव की तीन बेटियों के बीच हिमांशु इकलौता बेटा है, चर्चाओं के अनुसार एकलौता बेटा होने के कारण लाड-प्यार में हिमांशु को बिगडैल और मनबढ़ स्वभाव का बना दिया है।

मनबढ़ स्वभाव ने गुज़रवाया था भेलूपुर थाने पर पूरी रात, कई थानों की पुलिस ने दौड़ा कर पकड़ा था

31st दिसंबर की रात को अपने दोस्तों के साथ नववर्ष की खुशियाँ मनाने के लिए नशे में धुत होकर हिमांशु अपनी ब्लैक शीशा लगी फर्च्युनर 9090 लेकर सडको पर फर्राटा भर रहा था। लंका से आगे बढ़ते हुवे भेलूपुर थाना क्षेत्र स्थित दुर्गाकुंड पुलिस चौकी क्षेत्र में तेज़ रफ़्तार से कई वाहनों को धक्के आदि देते हुवे जा रहा था। गुरुधाम चौराहे पर इसकी रफ ड्राइविंग बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती थी। जिसके बाद तत्कालीन चौकी इंचार्ज प्रकाश सिंह ने किसी बड़ी घटना को रोकने के लिए वारलेस पर इसकी सुचना प्रदान कर इस गाडी का पीछा किया।

वारलेस पर सुचना प्रसारित होने के बाद शहर की कई थाने की पुलिस ने सिगरा चौराहे से आखिर ये फार्चुनर को पकड़ कर भेलूपुर पुलिस के हवाले कर दिया था। उस समय ये गाडी हिमांशु यादव चला रहा था और साथ में उसके चार अन्य मित्र भी थी। सभी को भेलूपुर पुलिस ने शांति भंग में चालान किया था क्योकि कोई शिकायतकर्ता नही था।   

कौन है अंकित यादव ?

अंकित यादव वर्तमान पार्षद है। उसके पिता बंशी यादव भी सपा के पार्षद थे। जिनकी वाराणसी ज़िला जेल में गोली मार कर वर्ष 2005 में हत्या अन्नू त्रिपाठी गैंग ने किया था। यह हत्या वर्चस्व के खातिर होने की बात उस समय पुलिस ने माना था। इस हत्याकांड को प्रदेश के सबसे दुस्साहसिक हत्याकांड में एक माना जाता है जिसमे जेल के गेट पर बुलाकर जेल में बंद व्यक्ति की हत्या हुई थी। इसी हत्याकांड के बाद प्रदेश की कई जेलों की सुरक्षा बढाई गई थी। वर्त्तमान में जो वाराणसी जिला जेल का गेट सड़क से लगा दिखाई दे रहा है पहले वह गेट नही था और न ही बाउंड्री थी। सीधे जेल का मुख्य दरवाज़ा हुआ करता था। जहा बंशी यादव की हत्या हुई थी।

पिता बंशी यादव की हत्या के समय अंकित काफी छोटा था। बाद में वर्ष 2017 में अंकित ने सपा के टिकट पर वार्ड 72 से पार्षद का चुनाव लड़ा और इस चुनाव में उसको बम्पर जीत हासिल हुई। वर्त्तमान में अंकित ने सपा की सदस्यता छोड़ दिया है और बतौर निर्दल पार्षद है। इसके साथ ही अंकित का गिट्टी बालू का भी कारोबार है जो देर रात को ही अधिकतर चलता है। जिसके कारण बताया जाता है कि अंकित देर रात तक सडको पर ही रहता है।

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