हैदराबाद: गणेश प्रतिमा पर चढ़ाया गया 21 किलोग्राम का लड्डू 24.60 लाख रूपये में हुआ नीलाम

तारिक़ खान

देश में इस समय भगवान गणेश के महोत्सव की धूम देखने को मिल रही है। मुंबई समेत कई शहरों में गणेश पांडल लगाए गए हैं। शुक्रवार को 10 दिन के बाद भगवान गणेश की प्रतिमाओं को विसर्जन किया जा रहा है। इस बीच हैदराबाद में भगवान गणेश के लड्डू की नीलामी की गई है। इस लड्डू का वजन 21 किलोग्राम था। ये लड्डू 24.60 लाख रुपये में नीलाम किया गया है। हैदराबाद में मशहूर बालापुर गणपति भगवान के 21 किलोग्राम के लड्डू की नीलामी की गई है। इसका 24.60 लाख रुपये में बिकना रिकॉर्ड है। इस साल लड्डू को बालापुर इलाके के टीआरएस नेता वांगेटी लक्ष्मा रेड्डी ने सबसे ऊंची बोली लगाकर हासिल किया है। साल 2021 में लड्डू के लिए 18.90 लाख रुपये की बोली लगाई गई थी। 2019 में लड्डू के लिए 17.60 लाख रुपये की बोली लगाई गई थी।

वहीं 2018 में इसे 16.60 लाख रुपये की कीमत पर नीलाम किया गया था। साल 2020 में कोरोना महामारी के कारण नीलामी रद्द कर दी गई थी और बालापुर गणेश लड्डू को मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव को सौंप दिया गया था। लड्डू की नीलामी का इतिहास काफी पुराना है और यह साल 1994 से चला आ रहा है। पहले लड्डू को एक भक्त ने 450 रुपये में खरीदा था और तब से यह परंपरा जारी है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बोली लगाने वाले लोग लड्डू को हथियाने के लिए नीलामी में भाग लेते हैं। इसको लेकर कई लोगों का मानना है कि यह अच्छा भाग्य और समृद्धि लाता है।

हैदराबाद में गणपति प्रतिमा विसर्जन के लिए भारी सुरक्षा बल तैनात कर रखी है, तेलंगाना सरकार ने 9 सितंबर को छुट्टी घोषित की है। शुक्रवार को होने वाले गणेश विसर्जन (विसर्जन) के लिए हैदराबाद, साइबराबाद और राचकोंडा के तीनों पुलिस कमिशनरेट इलाके में किसी तरह की कोई तनाव न फैले, पुलिस हाई अलर्ट पर रहेगी। तीनों कमिश्नरी मिलकर सुरक्षा व्यवस्था के लिए लगभग 25,000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है,

केंद्रीकृत जुलूस शहर के दक्षिणी छोर के बालापुर से निकाला जाएगा और चंद्रयानगुट्टा, फलकनुमा, अलीाबाद, नागुलचिंटा, शाहलीबंदा, चारमीनार, पथेरगट्टी, नयापुल, उस्मान शाही रोड, एमजे मार्केट, एबिड्स, गनफाउंडरी, लिबर्टी और से होकर गुजरेगा, हुसैनसागर या नेकलेस रोड पर समाप्त होता है। जीएचएमसी और स्थानीय नगर निकायों ने 31 अन्य छोटे तालाबों और झीलों पर व्यवस्था की। मूर्तियों के विसर्जन की सुविधा के लिए कृत्रिम तालाबों की व्यवस्था की गई है। एहतियात के तहत कई इलाकों में मस्जिदों को ढका गया है।

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