फारुख हुसैन
डेस्क: 6 राज्यों की 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए आज मतदान हो रहा है। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार कुल 10 फीसद मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर प्रत्याशियों की किस्मत को ईवीएम में कैद कर ड़ोया है। यह चुनाव एक प्रकार से भाजपा और क्षेत्रीय दलों के बीच एक बड़ा मुकाबला होने के तौर पर देखा जा रहा है। इसमें भाजपा अपना परचम लहराती है अथवा क्षेत्रीय दल अपनी जीत हासिल करते है ये मुस्तकबिल की बात है। मगर समाचार लिखे जाने तक कुल साढ़े दस फीसद मतदान हो चूका है।
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जनपद स्थित गोला गोकर्णनाथ विधानसभा सीट पर अपना कब्ज़ा कायम रखने के लिए जहा सत्तारूढ़ दल भाजपा ने पूरी ताकत झोक दिया है। वही मुख्य विपक्षी दल सपा ने अपनी कुवत झोक रखा है। सीट को कायम करने की कोशिश भाजपा कर रही है जबकि सपा यहाँ अपना पुराना इतिहास तलाशने की कोशिश कर रही है। तमाम दावे दोनों दलों के तरफ से है, मगर जीत किसकी होगी किसको लगेगी हार हाथो में इसका जवाब आने वाला वक्त बतायेगा।
बीजू जनता दल (बीजद) शासित ओडिशा में मौजूदा विधायक के निधन से खाली हुई धामनगर सीट पर सहानुभूति का लाभ उठाने के लिए दिवंगत विधायक के बेटे को उम्मीदवार बनाया गया है।’ सहानुभूति मतों के सहारे चुनाव लड़ रहे बीजद उम्मीदवार के समर्थन में कई बड़े नेताओं ने जनसंपर्क भी किया और सभाए भी किया। सत्तारूढ़ दल को उम्मीद है कि विपक्ष पर वह फतह हासिल कर लेगी।
वही हरियाणा के आदमपुर विधानसभा क्षेत्र पांच दशक से भजनलाल परिवार का गढ़ रहा है और वह इसे कायम रखने की कोशिश कर रहा है। बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में ‘महागठबंधन’ की सरकार बनने के बाद यह पहली चुनावी परीक्षा है। नितीश कुमार की जनता दल यूनाइेटड (जदयू) द्वारा भाजपा का साथ छोड़ने के तीन महीने से भी कम समय के बाद बिहार में पहला उपचुनाव हो रहा है। तेलंगाना की मुनूगोडा सीट पर भाजपा और राज्य में सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने आक्रामक तरीके से प्रचार किया है। यह सीट कांग्रेस विधायक द्वारा त्यागपत्र देने से खाली हुई थी और अब वह भाजपा के टिकट पर दोबारा चुनावी मैदान में हैं।
बिहार विधानसभा की दो सीटों-मोकामा और गोपालगंज पर उपचुनाव के लिए बृहस्पतिवार को मतदान होगा। दोनों सीटों पर सत्ताधारी महागठबंधन में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है। मोकामा सीट पर पहले राजद का और गोपालगंज पर भाजपा का कब्जा था। भाजपा पहली बार मोकामा सीट से चुनाव लड़ रही है, पूर्व के चुनाव में वह इस सीट को अपने सहयोगियों के लिए छोड़ती थी। भाजपा और राजद दोनों ने ही इस सीट पर बाहुबलियों की पत्नी को उम्मीदवार बनाया है।
मोकामा में भाजपा ने सोनम देवी को मैदान में उतारा है, जो एक स्थानीय बाहुबली ललन सिंह की पत्नी हैं और अनंत सिंह का विरोध करती रही हैं। राजद ने इस सीट से अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को उम्मीदवार बनाया है। मोकामा में उपचुनाव राजद विधायक अनंत कुमार सिंह को अयोग्य ठहराए जाने के कारण कराया जा रहा है। बाहुबली से राजनेता बने अनंत सिंह ने मोकामा सीट पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के टिकट पर तीन बार, एक बार निर्दलीय और 2020 में राजद उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी। जदयू के वरिष्ठ नेता व राज्य के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा, ‘‘महागठबंधन का उम्मीदवार आसानी से दोनों सीट पर जीत दर्ज कर लेगा। मतदाताओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यकाल में विकास को देखा है।”
स्थानीय बाहुबली और अनंत सिंह के विरोधी ललन सिंह की पत्नी सोनम सिंह पहली बार चुनावी मैदान में हैं। ललन सिंह को गैंगस्टर से नेता बने सूरज भान सिंह का करीबी माना जाता है जिन्होंने वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह को हराया था जो तत्कालीन राबड़ी देवी सरकार में मंत्री थे। गोपालगंज सीट पर उपचुनाव भाजपा के चार बार के विधायक सुभाष सिंह के निधन के कारण कराया जा रहा है। इस सीट से पार्टी ने की सिंह की पत्नी कुसुम देवी को चुनावी मैदान में उतारा है। गोपालगंज राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और उनकी पत्नी राबड़ी देवी का पैतृक जिला है। राजद ने वैश्य समुदाय से ताल्लुक रखने वाले मोहन प्रकाश गुप्ता को भाजपा के जातिगत समीकरणों को बिगाड़ने के लिए टिकट दिया है। वहीं, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने लालू प्रसाद यादव के साले साधू यादव की पत्नी इंदिरा यादव को उम्मीदवार बनाया है।
महाराष्ट्र में मुंबई के अंधेरी (पूर्वी) विधानसभा क्षेत्र के लिए बृहस्पतिवार को होने वाला उपचुनाव भाजपा उम्मीदवार के पिछले महीने मैदान से हटने के बाद महज औपचारिकता भर है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना धड़े की उम्मीदवार रुतुजा लटके के अब आराम से जीत दर्ज करने की उम्मीद है। उनके खिलाफ छह उम्मीदवार हैं जिनमें से चार निर्दलीय हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस ने लटके की उम्मीदवारी का समर्थन किया है। इस साल मई में रुतुजा लटके के पति एवं शिवसेना विधायक रमेश लटके के निधन के कारण अंधेरी (पूर्वी) सीट पर उपचुनाव जरूरी हो गया था। एकनाथ शिंदे और 39 अन्य विधायकों की बगावत से शिवसेना के दो खेमों में बंटने और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार के पतन के बाद यह पहला चुनाव है। छह राज्यों की जिन सात सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं उनमें से इस समय भाजपा और कांग्रेस के पास दो-दो सीटें थीं। वहीं, बीजद, शिवसेना और राजद के पास एक-एक सीट थी।
इन सीटों के नतीजों से विधानसभा की स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा। हालांकि, राजनीतिक दलों ने इसे हल्के में नहीं लिया है और आक्रामक तरीके से चुनाव प्रचार किया है। मतों की गिनती छह नवंबर को होगी। निर्वाचन आयोग ने तेलंगाना के मुख्य चुनाव अधिकारी को विभिन्न प्रवर्तन एजेंसियों के जरिये मुनूगोडे सीट पर पर होने वाले मतदान पर करीब से नजर रखने का निर्देश दिया है। टीआरएस ने हाल में पार्टी का नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) किया है जिसका उद्देश्य स्वयं को राष्ट्रीय राजनीति में स्थापित करना है। इस चुनाव में हार मिलने की स्थिति में उसकी राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका निभाने की योजना को झटका लगेगा। वहीं, भाजपा स्वयं को राज्य में टीआरएस के विकल्प के तौर पर पेश करने की योजना पर काम कर रही है और मुनूगोडे सीट पर जीत मिलने पर उसे बल मिलेगा।
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